प्रीति झा / देहरादून : नाम वापसी से पहले बागियों को बैठाने के लिए भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। इस कड़ी में वरिष्ठ नेताओं को मोर्चे पर लगाया गया है। कुछ सीटों पर असंतोष दूर करने के प्रयासों में कुछ हद तक सफलता मिली है। इससे वहां बागियों के तेवर नरम अवश्य पड़े हैं, लेकिन असली तस्वीर नाम वापसी के बाद ही सामने आएगी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को कपकोट से नाराज चल रहे पूर्व विधायक शेर सिंह गड़िया को आखिरकार मना लिया। उन्होंने शेर सिंह से 12 मिनट तक बंद कमरे में बात की और उनको भरोसा दिलाया कि पार्टी में उनका पूरा सम्मान है। उनके अनुरोध पर शेर सिंह गड़िया ने भाजपा के प्रत्याशी सुरेश गड़िया के पक्ष में प्रचार का निर्णय लिया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रविवार को कपकोट पहुंचे थे। यहां हेलीपेड पर उतरने के बाद वे नजदीक के सरयू होटल में पहुंचे और जलपान किया। इसके बाद पार्टी का टिकट न मिलने से नाराज पूर्व विधायक शेर सिंह गड़िया अपने समर्थकों के साथ मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे, जहां उनकी मुख्यमंत्री समेत सांसद अजय टम्टा से 12 मिनट वार्ता हुई।
शेर सिंह के साथ बंद कमरे में हुई इस बातचीत के बाद सीएम पुष्कर धामी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि प्रत्येक सीट में टिकट वितरण में शीर्ष नेतृत्व का निर्णय होता है। भाजपा ऐसी पार्टी है, जहां हर कोई कार्यकर्ता योग्य होता है। उन्होंने कहा कि शीर्ष नेतृत्व के निर्णय के बाद शेर सिह से वार्ता सकारात्मक हुई है। शेर सिंह पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता हैं। तभी उन्होंने नाराजगी के बाद भी नामांकन नहीं कराया।’
बीजेपी का समर्पित सिपाही रहा हूं और रहूंगाः गड़िया
वहीं भाजपा के पूर्व विधायक व इस बार टिकट न मिलने से नाराज शेर सिंह गड़िया ने कहा कि वे पार्टी के समर्पित सिपाही रहे हैं और आगे भी रहेंगे। उन्होंने कहा कि सुरेश गड़िया के पक्ष में जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में कार्य करेंगे। सीएम से वार्ता के बाद गड़िया ने कहा कि वे पार्टी से टिकट के दावेदार थे, परंतु किसी कारणवश उन्हें टिकट नहीं मिल पाया, जिससे वे आहत हुए तथा उनके समर्थक नाराज हो गए। उन्होंने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया।
विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण होने के बाद दोनों ही प्रमुख दल भाजपा व कांग्रेस विभिन्न सीटों पर कार्यकत्र्ताओं के बगावती तेवर से जूझ रहे हैं। 16 सीटों पर भाजपा कार्यकत्र्ताओं ने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के विरुद्ध बतौर निर्दलीय प्रत्याशी नामांकन कराया है। इसी तरह कांग्रेस से 10 सीटों पर बागियों ने नामांकन कराया है। यद्यपि, नामांकन के बाद से ही दोनों दल बागियों को मनाने में जुटे हैं। इसमें उनके स्थानीय संपर्कों को तलाश कर उन्हें साधने के प्रयास हो रहे हैं तो दोनों पार्टियों ने प्रांतीय नेताओं को इस कार्य में लगाया है। कुछ नेताओं को बाकायदा जिम्मेदारी देकर क्षेत्रों में भेजा गया है।
भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट को कुमाऊं और पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को हरिद्वार और पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद तीरथ सिंह रावत को गढ़वाल क्षेत्र में डैमेज कंट्रोल का जिम्मा सौंपा है। इसके साथ ही संबंधित जिलों के प्रभारी मंत्रियों, पार्टी के प्रांतीय नेताओं को भी काम पर लगाया गया है। इसी तरह कांग्रेस ने भी अपने नेताओं को बागियों को मनाने के लिए झोंका हुआ है। दोनों दलों को कुछ सीटों पर सफलता मिली है, लेकिन असमंजस का कुहासा अभी छंटा नहीं है। भाजपा व कांग्रेस की यह मेहनत कितना रंग लाती है, इसे लेकर सोमवार को स्थिति साफ हो जाएगी।
इन सीटों पर हैं बगावती तेवर
भाजपा
रुद्रपुर, कालाढूंगी, भीमताल, लालकुंआ, द्वारहाट, कोटद्वार, देहरादून कैंट, धर्मपुर, डोईवाला, ऋषिकेश, धनोल्टी, घनसाली, यमुनोत्री, कर्णप्रयाग, रुड़की व पिरान कलियर।
कांग्रेस
लालकुंआ, रामनगर, बागेश्वर, किच्छा, यमुनोत्री, घनसाली, रुदप्र्रयाग, सहसपुर, रायपुर व ऋषिकेश