अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । संसदीय समिति ने रेलवे में पानी की नकली ब्रांड बोतलों की बिक्री से रेल यात्रियों की सेहत से खिलावड़ को लेकर चिंता जताई है। समिति का कहना है कि रेलवे स्टेशनों व टे्रनों में पेयजल की मांग के अपेक्षा रेलवे सिर्फ 62 फीसदी रेलनीर बोतलबंद पेयजल मुहैया करा पा रहा है। शेष पेजयल की आपूर्ति के लिए ब्रांडेड बोतलबंद का प्रावधान है, लेकिन रेलवे की अपर्याप्त व्यवस्था के चलते अवैध वेंडर पेयजल बोतलबंद के नकली ब्रांड की बिक्री करते हैं। इससे रेलवे के राजस्व को घाटा हो रही है, वहीं यात्रियों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो रहा है।
रेल संबंधी संसद की स्थायी समिति ने संसद में रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण सहित यात्री सुविधाएं पर पेश अपनी रिपोर्ट में उपरोक्त बातों का उल्लेख किया है। सांसद राधा मोहन सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि स्टेशनों और ट्रेनों स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना आश्वायक सुविधा में शुमार है। रेलवे की तमाम कोशिशों के बावजूद सबसे लोकप्रिय बोतलबंद पेयजल की मांग और आपूर्ति के अंतर को पाटने में नाकाम रही है। समिति ने कहा कि रेलवे में प्रतिदिन 18 लाख लीटर पेयजल की मांग है, 14 संयंत्रों से 11.22 लाख लीटर यानी 62 फीसदी रेलनीर बोतलबंद पेयजल का उत्पादन हो पा रहा है। 6.78 लाख लीटर प्रतिदिन पेयजल की कमी को दूसरे ब्रांडेड बोतलबंद पेयजल से पूरा किया जा रहा है। लेकिन रेलवे में पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में अवैध वेंडर नकली पानी बेच रहे हैं। समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि रेलवे रेलनीर उत्पादन बढ़ाने की उपयुक्त योजना के साथ आगे आए जिससे अवैध वेंडरों को नकली ब्रांड का पानी बेचने से रोका जा सके और यात्रियों के स्वास्थ्य को बचाने में मदद मिल सके। रेलवे ने अपने जवाब में कहा है कि पांच नए संयत्र लगाने की प्रक्रिया चल रही है। जिससे उक्त समस्या को समाधान करने मे मदद मिलेगी।