लावण्या झा / देहरादून : उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे 632 उम्मीदवारों की किस्मत कल ईवीएम में कैद हो जाएगी। होली से पहले चुनाव संग्राम के नतीजे जारी होंगे। परिणाम किसी की होली का रंग चटख कर देगा तो कोई उदास भी नजर आएगा। उत्तराखंड के इस चुनाव में 11 खास सीटों का परिणाम जानने के लिए हर कोई उत्सुक रहेगा। यह सीटें परिवार की राजनीति से जुड़ी है। भाई, पति और माता के निधन के बाद कुछ जगहों पर घर के लोग ही चुनाव लड़ रहे हैं। किसी ने अपनी बहू को टिकट दिलाया है। हालांकि, कई नाम ऐसे भी है जो पहले चुनाव जीत अपना दम दिखा चुके हैं।
पूर्व सीएम हरीश रावत की बेटी अनुपमा हरिद्वार ग्रामीण से चुनाव लड़ रही है। नेता प्रतिपक्ष रही डा. इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद उनके बेटे कांग्रेस के टिकट पर हल्द्वानी से चुनावी मैदान में हैं। नैनीताल सीट पर यशपाल आर्य के बेटे संजीव दूसरी बार मैदान में उतरे हैं। सल्ट पर दिवंगत विधायक सुरेंद्र जीना के भाई महेश मैदान में है। भाई के निधन के बाद महेश ने उपचुनाव जीता था। पिथौरागढ़ सीट पर भाजपा के दिग्गज मंत्री रहे प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत फिर मैदान में उतरी है। उपचुनाव में उन्हें भी जीत मिली थी। सितारगंज सीट से पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के बेटे सौरभ दूसरी बार विधायक बनने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।
काशीपुर सीट पर विधायक हरभजन चीमा के बेटे त्रिलोक और पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के बेटे नरेंद्र चुनाव लड़ रहे हैं। दून कैंट सीट पर भाजपा अपने वरिष्ठ नेता स्व. हरबंस कपूर की पत्नी सविता कपूर को चुनाव लड़ा रही है। पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत पहली बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। लेकिन बहू अनुकृति गुंसाई लैंसडाउन से मैदान में हैं। भगवानपुर सीट पर पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र राकेश की पत्नी ममता राकेश चुनाव लड़ रही है। पति के निधन के बाद उन्होंने उपचुनाव और फिर 2017 में भी जीत हासिल की थी। पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी की बेटी ऋतु इस बार यमकेश्वर की बजाय कोटद्वार से भाजपा प्रत्याशी है।