आलोक रंजन / वाराणसी : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पूर्वांचल में राजनीतिक समीकरण बनाने की कोशिश की है। मऊ सदर विधानसभा सीट से अशोक सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है। मुख्तार अंसारी के खिलाफ बीजेपी ने मऊ सदर सीट से अशोक सिंह को मैदान में उतारा है। अशोक सिंह मऊ के मशहूर ठेकेदार अजय प्रकाश उर्फ मन्ना सिंह मामले (मन्ना सिंह हत्याकांड) में अधिवक्ता हैं। अशोक सिंह ठेकेदार मन्ना सिंह के भाई भी हैं। 29 अगस्त 2009 को बाइक सवार बदमाशों ने ठेकेदार मन्ना सिंह और राजेश राय की गोली मारकर हत्या कर दी थी। लिहाजा बीजेपी जहां ओशक सिंह के बहाने सहानुभूति बटोरना चाहती है वहीं बसपा ने भी अपने सबसे बड़े चेहरे को मैदान में उतारकर लड़ाई को और दिलचस्प बना दिया है।
अशोक सिंह के बहाने सहानुभूति वोट बटोरने की कोशिश में बीजेपी
मन्ना सिंह हत्याकांड के गवाह राम सिंह मौर्य और उसके गनर की भी एक साल बाद हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में मुख्तार अंसारी भी आरोपी थे। यह मामला कोर्ट में है और इस पर फैसला आना बाकी है। अब बीजेपी ने मुख्तार अंसारी के सामने मन्ना सिंह के भाई को उतारा है। बीजेपी हालांकि कई बार इस सीट से मुख्तार को हराने का प्रयास कर चुकी है लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। अबकी बार मुख्तार की तगड़ी घेरेबंदी की जा रही है। बीजेपी की कोशिश इस बार मन्ना सिंह के परिवार को टिकट देकर ठाकुरों और अन्य जातियों के बीच सहानुभूति बटोरने की है। इस प्रयास में बीजेपी कितना सफल होगी यह तो समय ही बताएगा लेकिन उसके दांव से मुख्तार अंसारी की परेशानियां जरूर बढ़ गई हैं।
बसपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को उतारा
इसमें बसपा भी बीजेपी का अंदरखाने साथ दे रही है। बसपा ने इस बार इस सीट से बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को टिकट दिया है। इसे राजभर मतदाताओं में सेंध लगाने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि मुख्तार अंसारी पिछली बार सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे लेकिन इस बार सपा ने मऊ सदर की सीट गठबंधन के तहत सुभासपा को सौंप दी है। सुभासपा के चीफ ओम प्रकाश राजभर ने मुख्तार अंसारी को उम्मीदवार बनाया है। मऊ सदर सीट मुख्तार के लिए हमेशा से एक सेफ सीट रही है। लेकिन दूसरी ओर बसपा ने इस बार यहां बड़े चेहरे को मैदान में उतार दिया है। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि राजभरों के वोटों में बिखराव होगा और इससे मुख्तार की मुश्किलें बढ़ेंगी।
मऊ में क्या हैं राजनीतिक समीकरण
पिछले 2017 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की लहर थी. मऊ जिले की चार विधानसभा सीटों पर मऊ सदर सीट पर मुख्तार अंसारी का कब्जा बरकरार है। मऊ विधानसभा के स्थानीय निवासी के मुताबिक इस विधानसभा में भी मामला कुछ अलग नहीं है। विकास को लेकर कई सवाल हैं, लेकिन यहां चुनाव हिंदू बनाम मुस्लिम और वर्चस्व का है। मुख्तार अंसारी इस सीट पर हार बर्दाश्त नहीं कर सकते। वह पिछले 15 साल से जेल से चुनाव जीत रहे हैं। चुनाव जीतने के पीछे न सिर्फ बाहुबली की छवि है बल्कि उनकी लोकप्रियता भी है। छोटी जातियों में उनकी मजबूत पकड़ है।
मुख्तार अंसारी समेत 11 लोग बनाए गए थे आरोपी
मन्ना सिंह की हत्या के मामले में मुख्तार अंसारी और हनुमान पांडे समेत 11 लोगों को आरोपी बनाया गया था। सितंबर 2017 में मऊ की निचली अदालत ने अंसारी समेत 8 आरोपियों को इस मामले से बरी कर दिया था। अदालत ने अरविंद यादव, राजू उर्फ जामवंत और अमरेश कन्नोजिया को हत्या का दोषी ठहराया। फिलहाल मन्ना सिंह के भाई अशोक सिंह की ओर से हाईकोर्ट में अपील की गई है और मामला विचाराधीन है।