जनजीवन ब्यूरो
मैनपुरी (यूपी): गाय काटने के अफवाह पर हुई हिंसा के मामले में पुलिस की शक की सूई कुछ दक्षिणपंथी संगठनों की तरफ घूम गई है। वारदात के तुरंत बाद मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने बताया है कि शुरुआती तौर पर दंगे भड़काने में कुछ राइट विंग ग्रुप्स का हाथ नजर आता है।पुलिस इस बात से भी हैरान है कि भीड़ में कई लोगों के पास बंदूकें थीं। इन लोगों ने पुलिस की फायरिंग का जवाब दिया। इससे भी पुलिस को शक है कि घटना को पहले से प्लान किया गया था। पुलिस इन सवालों के जवाब भी ढूंढ रही है-पंचायत चुनाव के दिन ही यह हिंसा क्यों हुई? इतनी बड़ी भीड़ इतनी जल्दी कैसे इकट्ठी हो गई?
जांच की अगुआई कर रहे आगरा के डीआईजी लक्ष्मी सिंह ने बताया, ”जांच में एक नाम सामने आया है। वह शख्स एक दक्षिणपंथी संगठन से जुड़ा हुआ है। माना जा रहा है कि इस शख्स ने बेहद कम वक्त में बहुत बड़ी भीड़ इकट्ठी कर ली। उसका नाम भी एफआईआर में शामिल है। जांच चल रही है। जिन लोगों ने इस वारदात को अंजाम दिया है, उनके खिलाफ जल्द ही हमारे पास ठोस सबूत होंगे। वे जल्द ही सलाखों के पीछे होंगे। ”
घटना मैनपुरी जिले के करहल में नगरिया इलाके के मोहल्ला कुरैशियान में शुक्रवार को हुई। आरोप है कि यहां दो लोग देवी रोड के हैंडपंप के पास एक गाय की खाल उतार रहे थे।
इसकी जानकारी मिलते ही एक कम्युनिटी के लोग भड़क गए। उन्होंने दोनों लोगों को जमकर पीट दिया। मौके पर भीड़ बढ़ने लगी और फिर बवाल शुरू हो गया।
वहां पहुंची पुलिस ने जब दोनों लोगों को छुड़ाकर अस्पताल भिजवाया, तो भीड़ नाराज हो गई। भीड़ ने पुलिस की एक जीप में तोड़फोड़ के बाद उसे आग के हवाले कर दिया। इसके अलावा इलाके की कई दुकानें भी जला दी।
भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इससे लोग और भड़क गए। उन्होंने पथराव शुरू कर दिया। जवाब में पुलिस ने फायरिंग की। भीड़ की ओ से भी फायरिंग की गई।
इस मामले में 22 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। गिरफ्तार किए गए लोगों के उम्र 18 से 25 साल के बीच है। इन सभी को वीडियो फुटेज के आधार पर पकड़ा गया है।
पुलिस और प्रशासन इस बात से हैरान है कि अल्पसंख्यक समुदाय के दो लोगों को चमड़ा उतारने के लिए मरी हुई गाय देने वाला शख्स बहुसंख्यक समुदाय का था। इसी शख्स ने अफवाह फैलाई कि गाय काटी गई है।
मामले की जांच से जुड़े एक टॉप अफसर ने बताया, ”भीड़ में अधिकतर लोगों ने भगवा गमछा ओढ़ रखा था। वे ‘जय श्री राम’ और ‘गौ हमारी माता है’ जैसे नारे लगा रहे थे। उन्होंने सिर्फ उन दुकानों को निशाना बनाया, जो एक खास समुदाय के थे।”
कुछ दूसरे पुलिसवालों का दावा है कि जब भीड़ पर लाठीचार्ज किया गया तो लोगों ने अपने भगवा गमछे उतारने शुरू कर दिए। पुलिस के मुताबिक, घटना से पहले, कुछ टेक्स्ट और वॉट्सऐप मैसेज बड़े पैमाने पर सर्कुलेट किए गए। इस मामले में पकड़े गए लोगों के पास से दर्जनों मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं।
कुछ लोकल लोगों का दावा है कि हिंसा देखकर ऐसा लगता है, मानों इसकी प्लानिंग हफ्तों पहले की गई है। लोग यह देखकर हैरान थे कि इतनी जल्दी इतने सारे लोग कैसे इकट्ठे हो गए? भीड़ शुरुआत में इतनी ज्यादा थी कि पुलिसवालों को पीछे हटना पड़ा। कुछ पुलिसवाले तो भीड़ के सामने असहाय नजर आए।
करहल के एसएचओ दिलीप सिंह ने बताया, ”हम मौके पर सुबह साढ़े आठ बजे पहुंचे। गाय का चमड़ा उतारने के आरोपी दो लोगों को हिरासत में लिया और भीड़ को वहां से जाने को कहा। हालांकि, वे मानने को तैयार नहीं थे। भीड़ चाहती थी कि उन दोनों लोगों को उन्हें सौंप दिया जाए ताकि वे ही उनका इंसाफ कर सकें। किस्मत से एक्स्ट्रा फोर्स मौके पर पहुंच गई।” बता दें कि हिंसा में कई पुलिसवाले घायल हो गए थे।