जनजीवन ब्यूरो / गोरखपुर : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बहुजन समाज पार्टी ने सोशल इंजीनियरिंग के दम पर सेंध लगाने का प्रयास किया है। बीजेपी ने गोरखपुर सदर सीट से सीएम योगी आदित्यनाथ को मैदान में उतारा है। लेकिन बसपा ने भी यहां पर दलित-मुस्लिम गठजोड़ के भरोसे शहर सीट से ख्वाजा शमसुद्दीन को मैदान में उतारकर मुसलमानों को संदेश दिया है कि वह उनके शुभचिंतक हैं जबकि एसपी ने यहां से उपेंद्र शुक्ला की पत्नी को टिकट दिया है। यहां लड़ाई त्रिकोणीय होगा या नहीं यह तो समय ही बताएगा लेकिन फिलहाल बसपा का दावा है कि दलित-मुस्लिम गठजोड़ के सहारे वह गोरखपुर की सीटों पर अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहेगी।
बसपा पर उसके विरोधियों ने आरोप लगाया है कि वह चुनावों में निष्क्रिय हो गई है। जबकि बसपा ने दावा किया कि वह राज्य में जमीनी स्तर पर काम कर रही है और मीडिया और सोशल मीडिया से दूर है वहीं, बसपा अब जातिगत समीकरणों के दम पर पूरी ताकत से चुनावी मैदान में है. बसपा ने सीएम सिटी गोरखपुर की 9 सीटों के लिए खास रणनीति तैयार की है और कोर वोटर और कैंडिडेट वोटर्स के अलावा सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला आजमाया है. सीएम योगी फिलहाल (सीएम योगी आदित्यनाथ) गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर शहर में बसपा को दलित-मुस्लिम गठबंधन पर भरोसा है।
गोरखपुर में चार सीटों पर दूसरे नंबर पर थी बसपा
अगर 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में बसपा सिर्फ 19 सीटें ही जीत पाई थी जबकि मोदी-योगी लहर में गोरखपुर में बसपा ने एक सीट जीती थी। जबकि बाकी चार सीटों पर वह दूसरे नंबर पर रही। वहीं, बसपा इस बार उन्हीं सीटों पर फोकस कर रही है। जिसमें वह पिछली बार दूसरे स्थान पर रही थीं। यही प्रयोग बसपा पूरे प्रदेश में कर रही है। फिलहाल बसपा प्रमुख मायावती 26 फरवरी को जिले में बसपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए रैली कर रही हैं। बताया जा रहा है कि मायावती की रैली से पार्टी के कोर वोटर ज्यादा सक्रिय होंगे। वहीं बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग के अपने पुराने फॉर्मूले के जरिए चुनाव में समाज के विभिन्न वर्गों का समर्थन किया है।
योगी के खिलाफ मुस्लिम उम्मीदवार को क्यों मैदान में उतारा
बसपा ने शहर सीट से ख्वाजा शमसुद्दीन को मैदान में उतारकर मुसलमानों को संदेश दिया है कि वह उनके शुभचिंतक हैं. जबकि एसपी ने यहां से उपेंद्र शुक्ला की पत्नी को टिकट दिया है। इसलिए माना जा रहा है कि मुसलमानों का झुकाव बसपा की तरफ होगा। वहीं इस सीट पर दलित वोटरों की संख्या करीब 40 हजार है। बसपा का पहला फोकस दलित मुस्लिम गठबंधन पर है. इसके साथ ही पार्टी की नजर निषाद वोट बैंक पर भी है। यही वजह है कि पार्टी ने ग्रामीण से दारा निषाद और कैंपियरगंज से चंद्रप्रकाश निषाद को टिकट दिया है।
जानिए अन्य सीटों पर किसे दिया गया टिकट
फिलहाल बसपा ने सहजनवां से सुधीर सिंह और क्षत्रियों को रिझाने के लिए चिलुपार से राजेंद्र सिंह पहलवान को उतारा है। जबकि बसपा ने 2017 में चिलुपार से चुनाव जीता था और अब इस सीट से जीतने वाले हरिशंकर तिवारी के बेटे सपा में शामिल हो गए हैं। वहीं वैश्य वर्ग की बसपा ने पिपराइच से दीपक अग्रवाल और चौरीचौरा से वीरेंद्र पांडेय को टिकट दिया है. जबकि पूर्व मंत्री सदल प्रसाद के भाई विद्यासागर को खजनी से और पूर्व जिलाध्यक्ष राम नयन आजाद को बांसगांव से मैदान में उतारा गया है।