जनजीवन ब्यूरो / मुंबई : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक कार्य मंत्री नवाब मलिक को बुधवार को भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों से जुड़े धन शोधन मामले की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता मलिक (62) को दक्षिण मुंबई के बलार्ड एस्टेट इलाके में ईडी के दफ्तर में सुबह आठ बजे से करीब पांच घंटे तक पूछताछ किये जाने के बाद हिरासत में ले लिया गया। अधिकारियों ने बताया कि उनका बयान धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत दर्ज किया गया। राकांपा ने कहा है कि ईडी मलिक को सुबह करीब 6 बजे उनके आवास से ले गई थी।
नवाब मलिक को गिरफ्तार किये जाने के बाद बुधवार को एक विशेष अदालत में पेश किया गया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता मलिक को मेडिकल जांच के लिए दोपहर में जे जे अस्पताल ले जाया गया, जिसके बाद उन्हें सत्र अदालत ले जाया गया। सफेद कुर्ता पहने मलिक को धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) से संबद्ध मामलों की सुनवाई के लिए निर्धारित विशेष न्यायाधीश आर एन रोकड़े के अदालत कक्ष में शाम 4 बजकर 50 मिनट पर लाया गया और उन्हें कठघरे में खड़ा किया गया। न्यायाधीश ने जब उनसे पूछा कि क्या उन्हें कोई शिकायत है, मलिक ने कहा कि ईडी अधिकारी सुबह में उनके घर आए और अपने दफ्तर ले गये। मंत्री ने अदालत से कहा, ‘‘दफ्तर में, उन्होंने (ईडी ने) मुझसे एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराया, जिस बारे में उन्होंने (ईडी ने) बाद में बताया कि वह सम्मन था।” आगे की कार्यवाही जारी थी।
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने बुधवार को दावा किया कि राज्य के मंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता नवाब मलिक से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा की गई पूछताछ ‘बदले’ की कार्रवाई थी और यह समय राजनीतिक विरोधियों को चुप कराने की रणनीति के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का है। पटोले ने यहां पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस मलिक के साथ मजबूती से खड़ी है, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की “जनविरोधी” नीतियों और “सत्ता के अहंकार” के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। पटोले की पार्टी कांग्रेस महाराष्ट्र में शिवसेना और राकांपा के साथ सत्ता साझा करती है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘हम केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा की जा रही इस तरह की कार्रवाइयों पर चर्चा करेंगे और राजनीतिक विरोधियों को चुप कराने की रणनीति के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेंगे।” उन्होंने भाजपा पर सत्ता के लिए महाराष्ट्र को बदनाम करने का भी आरोप लगाया। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने 2019 में राज्य में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार बनाने के लिए हाथ मिलाया था।
अधिकारियों ने बताया कि ईडी ने बुधवार को महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री एवं राकांपा के मुख्य प्रवक्ता मलिक से मुंबई अंडरवर्ल्ड, भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की गतिविधियों को लेकर धनशोधन की जांच के सिलसिले में पूछताछ की। इस बीच, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने पुणे में संवाददाताओं से कहा कि यदि राकांपा और अन्य एमवीए घटकों के नेताओं को लगता है कि नवाब मलिक के खिलाफ ईडी की कार्रवाई सत्ता का दुरुपयोग है, तो वे न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम (भाजपा) पिछले 27 महीनों से (राज्य सरकार द्वारा) अन्याय का शिकार हुए हैं, ….. जब हमारे 12 विधायकों को निलंबित कर दिया गया, तो हम अदालत गए और न्याय मिला। इसी तरह, यदि उन्हें लगता है कि उत्पीड़न हो रहा है, तो उन्हें चाहिए कि अदालत का दरवाजा खटखटाएं।”
पाटिल ने कहा कि जब राज्य के पूर्व गृह मंत्री एवं राकांपा नेता अनिल देशमुख को (ईडी द्वारा धनशोधन मामले में) गिरफ्तार किया गया था, तब भी इसी तरह का हंगामा हुआ था, लेकिन बाद में सब शांत हो गया। भाजपा नेता ने यह भी दावा किया कि देशमुख ने कहा था, ‘‘यदि वह (देशमुख) अपना मुंह खोलते हैं, तो यह (एमवीए को) काफी महंगा पड़ेगा।”
इससे पहले दिन में, राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि मलिक को परेशान किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ और केंद्रीय जांच एजेंसियों के “दुरुपयोग” के खिलाफ बात की थी। पवार ने कहा, ‘‘उन्होंने कौन सा मामला खोला है? यह सीधी सी बात है। वे दाऊद का नाम लेते हैं, खासकर अगर कोई मुस्लिम कार्यकर्ता है (जिसके खिलाफ मामला खोला गया है) … । (संबंधित कार्यकर्ता और अंडरवर्ल्ड के बीच) कोई संबंध नहीं है , लेकिन यह किया जाता है।” पवार की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया जताते हुए पाटिल ने राकांपा प्रमुख पर जातिवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘कभी वह मराठों और गैर-मराठों के बीच ऐसा करते हैं, कभी वह अल्पसंख्यकों और गैर-अल्पसंख्यकों के बीच ऐसा करते हैं। लेकिन, लोग इस तरह की (पवार की) राजनीति को जानते हैं जो पिछले 50 वर्षों से चल रही है। गैर-मुस्लिम समुदाय जानते हैं इसे और वे इसे गंभीरता से नहीं लेंगे।”