जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । किडनी, शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करने का काम किडनी का ही होता है। यह सभी अशुद्धियां किडनी से होते हुए मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाती हैं। इसके अलावा किडनी, शरीर में पीएच, सोडियम और पोटेशियम के स्तर को भी नियंत्रित करती है। किडनी द्वारा ऐसे हार्मोन का भी उत्पन्न होता है जो रक्तचाप को नियंत्रित करने के साथ लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में सहायक होते हैं। अब सोचिए अगर किडनी में किसी प्रकार की की समस्या आ जाए तो शरीर पर इसका कितनी गंभीर असर हो सकता है? इंडियन मेडिकल एसोसिएशन किडनी रोग को लेकर 5 मार्च व 6 मार्च को दो दिनों का किडनी हेल्थ फॉर ऑल सम्मेलन आयोजित किया है। सम्मेलन में देशभर के हजारों विशेशज्ञ शामिल हो रहे हैं।
सम्मेलन की जानकारी देते हुए आईएमए के अध्यक्ष सहजानंद प्रसाद सिंह ने बताया कि किडनी व प्रोस्टेट की समस्या लोगों को बहुत देर से पता चलता है। लोग इन रोगों को नजरअंदाज भी करते रहते हैं। जब रोग गंभीर हो जाता है तब डॉक्टरों के पास जाते हैं। लेकिन तबतक मामला गंभीर हो जाता है।
आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय अग्रवाल ने कहा कि बिना डॉक्टरों की सलाह लिए लोग दवाइयां खाते हैं जो किडनी के लिए नुकसानदायक साबित होता है। लोगों में अंगदान करने के प्रति रूचि नहीं है। एक आदमी के अंगदान से कम से कम पांच लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है।
आईएमए के महासचिव डॉ. जयेश लेले का कहना है कि गांव गांव तक डॉक्टरों व लोगों को किडनी व प्रोस्टेट रोग के प्रति जागरूक करने के लिए आईएमए अभियान चलाने जा रहा है ताकि लोगों कि जिंदगी बचाई जा सके।
सम्मेलन के आयोजक सचिव व नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. गरिमा अग्रवाल ने बताया कि 95 फीसदी किडनी मरीज डॉक्टरों के पास नहीं जाते हैं। जबकि 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के प्रत्येक साल हेल्थ चेकअप करवानी चाहिए। इससे सही समय पर बीमारी का पता चल जाता है और इलाज संभव हो पाता है।
सम्मेलन आयोजक सचिव व यूरोलॉजिस्ट डॉ. क्षितिज बाली का कहना है कि यूरीन इंफेक्शन से न सिर्फ किडनी को नुकसान पहुंचता है बल्कि प्रोस्टेट की समस्या भी आती है। भारत में प्रत्येक साल औसतन 8 से 10 हजार ही किडनी ट्रांसप्लांट हो पाते हैं। क्योंकि लोगों में अंगदान के प्रति जागरुकता नहीं है।
मौजूदा समय में दुनिया की बड़ी आबादी किडनी के रोगों की शिकार है। गंभीर बात यह है कि इनमें से ज्यादातर लोगों को इस तरह की किसी भी समस्या के बारे में पता भी नहीं होता है। डॉक्टर कहते हैं, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के रोगियों के साथ जिन लोगों के परिवार में किसी को पहले से किडनी की समस्या रह चुकी हो, उन लोगों में किडनी से संबंधित समस्याओं खतरा अधिक हो सकता है। यदि समय रहते किडनी की बीमारियों का पता चल जाए तो इसका इलाज आसान होता है, इसके लिए आपको बीमारी के लक्षणों पर विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।
पेशाब में समस्या को न लें हल्के में
डॉक्टर कहते हैं, पेशाब में होने वाली किसी भी तरह की समस्या को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, यह किडनी की बीमारियों का संकेत हो सकते हैं। सामान्यतौर पर किडनी से मूत्र का उत्पादन होता है, इसलिए यदि किडनी ठीक से काम नहीं करती है तो मूत्र के रंग में बदलाव या पेशाब से संबंधित अन्य समस्याएं हो सकती हैं। बार-बार पेशाब महसूस होना, पेशाब से असामान्य तरीके की बदबू आना, पेशाब से झाग बनना, खून आना आदि को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए, यह किडनी की समस्याओं का संकेत हो सकते हैं।
पैरों या टखनों में सूजन
डॉ. गरिमा बताती हैं, जब किडनी सामान्य रूप से तरल पदार्थ को निकालने में असमर्थ हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में पैरों, टखनों और यहां तक कि हाथों में भी सूजन की समस्या हो सकती है। यदि पैरों में असामान्य तरीके की सूजन कुछ दिनों तक बनी रहती है तो इस बारे में डॉक्टर से संपर्क कर लें, यह भी किडनी रोगों का संकेत हो सकता है।
त्वचा संबंधी समस्याएं
यदि आप लंबे समय से त्वचा संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो यह किडनी की बीमारी का संकेत हो सकता है। जब किडनी, रक्त में खनिजों और पोषक तत्वों का उचित संतुलन नहीं बना पाती है तो ऐसी स्थिति में आपको त्वचा के सूखेपन या त्वचा में खुजली की समस्या हो सकती है। त्वचा में होने वाले किसी भी असामान्य परिवर्तन की समस्या यदि लंबे समय तक बनी रहती है तो इस बारे में चिकित्सक से सलाह जरूर ले लें।
किडनी को स्वस्थ रखने के उपाय
डॉ. बाली कहते हैं, जीवनशैली में बदलाव करने के साथ अच्छा खान-पान रखकर आप किडनी को स्वस्थ बनाए रह सकते हैं। यदि आप नियमित रूप से ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दर्द की दवा लेते हैं, तो इससे किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा किडनी को स्वस्थ रखने के लिए धूम्रपान न करें और दिन में कम से कम 3-4 लीटर पानी पिएं। जंक और बहुत अधिक मसाले वाले भोजन से भी किडनी को क्षति पहुंच सकती है। वहीं जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या है, उन्हें शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। शुगर बढ़ने से किडनी खराब होने का खतरा सबसे अधिक होता है।