जनजीवन ब्यूरो / चंडीगढ़ । पंजाब चुनाव के लिए हुए मतदान के एक्ज़िट पोल को देखने के सियासी पार्टियों ने चुनावी रणनीतियां बनानी शुरू कर दी है। एक्ज़िट पोल के आंकड़े अगर सही साबित हुए तो पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार बना लेगी लेकिन अगर आंकड़ों में ज़रा सी भी चूक हुई तो आम आदमी पार्टी के लिए सरकार बनाने का सपना अधूरा रहा सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी एक्ज़िट पोल में आम आदमी पार्टी की सरकार बनती हुई दिख रही थी लेकिन चुनावी परिणाम के बाद कांग्रेस सत्ता पर क़ाबिज़ हुई थी। इस बार के सियासी समीकरण कई मायने में बदल चुके हैं और इसलिए किसी भी पार्टी को बहुमत मिलने के आसार कम हैं। इसी कड़ी में पंजाब में यह चर्चा तेज़ है कि आम आदमी पार्टी को सरकार बनाने से रोकने की तैयारी की जा रही है।
पंजाब विधानसभा चुनाव के एक्ज़िट पोल के नतीजे में आम आदमी पार्टी पूर्ण बहुमत में सरकार बनाती दिख रही है। एक्जिट पोल के नतीजे आने के बाद से पंजाब में सियासी पारा चढ़ चुका है। सीएम चरणजीत सिंह चन्नी और कैप्टन अमरिंदर सिंह के दिल्ली में हुई केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात के भी कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। इसके साथ ही पंजाब में मतदान ख़त्म होने के तुरंत बाद शिरोमणि अकाली दल की नेत्री हरसिमरत कौर बादल से अमित शाह की हुई बात भी चर्चा का विषय बना हुआ है। सियासी गलियारों में यह चर्चा ज़ोरों पर है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार नहीं बना पाए इसके लिए पहले ही चरणजीत सिंह चन्नी, कैप्टन अमरिंदर सिंह और हरसमिरत कौर बादल ने अमित शाह से बात कर रणनीति तैयार कर ली है। पंजाब में आम आदमी पार्टी को किसी तरह से रोकने का खेल शुरू हो गया है।
पंजाब के कई सियासी जानकारों का मानना है कि प्रदेश में त्रिशंकु विधानसभा बन सकती है। क्योंकि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने वाला है और जोड़-तोड़ की राजनीति में आम आदमी पार्टी कमज़ोर है। उदाहरण देते हुए कहा कि चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी थी लेकिन वह अपना मेयर नहीं बना सकी और भारतीय जनता पार्टी ने अपनी रणनीति से आम आदमी पार्टी को मात देते हुए मेयर की कुर्सी को अपने पाले में कर लिया। अगर आम आदमी पार्टी जादुई आंकड़े को नहीं छू पाती है तो फिर उसे किसी दूसरी पार्टी के समर्थन से सरकार बनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा सकता है।
आम आदमी पार्टी अगर बहुमत से चूकती है तो जादुई आंकड़े के लिए तीन विकल्प हैं, एक कांग्रेस, दूसरा शिरोमणि अकाली दल और तीसरा भारतीय जनता पार्टी का समर्थन। ग़ौरतलब है कि चुनाव प्रचार के दौरान शिरोमणि अकाली दल को ड्रग्स सहित कई मुद्दों पर आम आदमी पार्टी घेरती रही है। इसलिए शिअद से समर्थन की उम्मीद कम ही है। वहीं दूसरा विकल्प कैप्टन-भाजपा गठबंधन से समर्थन लेना है, अगर आम आदमी पार्टी ने ऐसे किया तो दिल्ली सहित दूसरे राज्यों में मुश्किलों का सामना करना पड़ा सकता है क्योंकि पार्टी पर पहले से ही भाजपा से मिलीभगत के आरोप लगते रहे हैं। इसके अलावा तीसरी विकल्प कांग्रेस से समर्थन लेना है, लेकिन इसमे भी पेंच फंस रहा है क्योंकि आम आदमी पार्टी कांग्रेस का विरोध कर के ही दिल्ली की सत्ता पर क़ाबिज़ हुई थी।