जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक बार फिर जोर देकर कहा है कि रेलवे के निजीकरण की सरकार की कोई योजना नहीं है। यह विपक्ष की कोरी कल्पना भर है। रेल मंत्री लोकसभा में रेलवे की अनुदान मांगों पर हुई 13 घंटे की चर्चा का जवाब दे रहे थे।
इस दौरान भारत की मिट्टी को बुलेट ट्रेन के अनुकूल नहीं होने की बात पर वैष्णव ने आक्रामक अंदाज में कहा कि हमें अपनी क्षमता पर भरोसा करना होगा। वंदेभारत ट्रेनों की रफ्तार को भी 200 किलोमीटर प्रति घंटे तक ले जाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि रेलवे में सेफ्टी व सिक्युरिटी को उच्च प्राथमिकता दी गई है। आटोमेटिक प्रोटक्शन प्रणाली ‘कवच’ के आविष्कार से हम इस दिशा में बहुत आगे बढ़े हैं।
रेल मंत्री ने कहा कि सरकार रेल यात्रियों की सहूलियत के लिए सब्सिडी के तौर पर 60 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है। रेलवे के संचालन में सरकार जनकल्याण और व्यावसायिक पक्ष के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करती है। सरकार रेलवे के माध्यम से छोटे उद्यमियों, किसानों और एमएसएमई क्षेत्र के साथ पर्यटन और संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में निरंतर प्रयासरत भी है। वन स्टेशन वन प्रोडक्ट की अवधारणा को सामने रखते हुए देश की विविधता और देश के कोने-कोने में तैयार होने वाले स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए रेलवे प्रतिबद्ध है। इसके नतीजे भी दिखने लगे हैं।
लोकसभा में कहा, भर्ती मामले में संवेदनशीलता के साथ काम कर रही रेलवे
रेलवे में भर्तियों पर किसी भी तरह की रोक की बातों को नकारते हुए रेल मंत्री वैष्णव ने कहा कि भर्तियां नियमित रूप से चल रही हैं। पिछले दिनों में अभ्यर्थियों के बीच गलतफहमियां पैदा हुई हैं। सरकार ने उन्हें समझा और उचित समाधान भी निकाला।
मुंबई से अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के काम में लाई जा रही तेजी
बुलेट ट्रेन के मामले में लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए रेल मंत्री ने कहा कि मुंबई से अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के डिजाइन का काम पूरा होने के बाद मुंबई में 99 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है। अब तक 750 से अधिक पिलर बन चुके हैं। फिलहाल आठ किलोमीटर प्रति माह की गति से पिलर बनाए जा रहे हैं, जिन्हें बढ़ाकर 10 किलोमीटर प्रति माह करना है। रेल मंत्री ने कहा कि हमें अपनी प्रतिभा पर बहुत भरोसा है।
तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर कसा तंज
तृणमूल कांग्रेस नेताओं के आरोपों पर तल्खी भरे अंदाज में वैष्णव ने कहा कि ‘मां, माटी और मानुष’ की बात करने वालों को अपनी मिट्टी और भारत मां पर ही भरोसा नहीं है। इस पर विपक्षी खेमा शोर मचाने लगा तो वैष्णव यहीं नहीं थमे, उन्होंने मेज पर हाथ मारते हुए कहा कि यह बहुत शर्म की बात है। विपक्ष की यह आदत बन गई है। पक्ष-विपक्ष के बीच हंगामे जैसी स्थिति पैदा हो गई। रेल मंत्री विपक्ष के उठाए सवालों का जवाब देते हुए उन्हें चिढ़ाने से नहीं चूके।पश्चिम बंगाल के 18 प्रोजेक्ट. 44060 करोड़ के पेंडिंग है, केवल राज्य सरकार की वजह से।
केरल का जो सिल्वर लाइन प्रोजेक्ट है, यह बहुत ही कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट है। पर्यावरण इश्यू बहुत अधिक है। 63000 करोड़ की कॉस्ट है। 2009 से 14 में केरल के 372 करोड़ मिलते थे…उसके बाद 950 करोड़ मिलना चालू हुआ। 22-23 में 1085 करोड का रिकॉर्ड अलॉटमेंट हैं।
उन्होंने कहा दशकों पुरानी टेक्नोलॉजी की बात थी, जो चेंज नहीं हो पा रही थी। 1950-60 की टेक्नोलॉजी से चल रहे थे। जिसमें रेलवे में अपने डिपार्टमेंट की चिंताएं ज्यादा थीं। ऐसी परिस्थितियां थीं, जिनमें रेलवे लगातार अपना मार्केट शेयर लूज करता जा रहा था।
रेलवे का शेयर लगातार गिरता जा रहा था और उसके कारण देश का भी नुकसान हो रहा था। इकोनॉमी का लॉस बढ़ता जा रहा था, रेलवे में डीजल का बिल बढ़ता जा रहा था। जब नेतृत्व संभाला तो सबसे पहले सफाई पर ध्यान दिया। स्टेशन की, ट्रेन की सबकी सफाई की। एक परिवर्तन आता है। उसके बाद में जितने फील्ड ऑफिस थे हमारे, बहुत सारी पॉवर नीचे डेलीगेट किए गए। आज 90 प्रतिशत टेंडर्स फील्ड ऑफिस में डिसाइड होते हैं, रेलवे बोर्ड में नहीं आते।
सबसे बड़ा परिवर्तन आया, पीएम जी ने टेक्नोलॉजी में विशेष रुचि ली। उससे एक अलग जो सेफ्टी, स्पीड, पैसेंजर एक्सपीरियेंस की बात हुई उन सबमें एक अलग परिवर्तन आता है, उसका एक प्रभाव आता है। सबसे बड़ी बात हर एक टेक्नोल़ॉजी में प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें बाहर से सीखना पड़े, लेकिन उसमें हमें आत्मनिर्भर होना है।
डीजल पर निर्भरा हटाने का डिजीशन लिया गया और ब्रॉड गेज का सौ प्रतिशत विद्युतीकरण करने का निर्णय लिया गया। सबसे जो एक मूलभूत आलोचना की कि क्यों रेल के बजट को आम बजट में शामिल कर दिया। इसका अहम कारण है…भारतीय रेल की मूल कमी थी कि लैक ऑफ इन्वेस्टमेंट।
2009 से 14 में एवरेज कैपिटल इन्वेस्टमेंट 45980 करोड़ रुपये होता था, ये फैक्ट हैं। मोदी जी ने आते ही 2014 से 19 में इसको डबल किया। 99511 करोड़ प्रति वर्ष। उस पर रुके नहीं 19-20, 20-21 में बढ़ाया। 21-22 में रिकॉर्ड इन्वेस्टमेंट किया है 2,45,800 करोड़ का। अब हमारे ऊपर निर्भर है कि हम किस प्रकार दिन-रात मेहनत करें।
नए ट्रैक, डबलिंग, ट्रिपलिंग, मल्टीट्रैकिंग। 2009 से 14 में मात्र 1520 किलोमीटर प्रतिवर्ष होता था, इसको सीधा डबल किया 14 से 19 में। 2531 किलोमीटर प्रति वर्ष रहा। इस वर्ष हमने टार्गेट लिया है 3 हजार किलोमीटर का। और उसके लिए व्यवस्थाओं को बदल रहे हैं।
रेलवे में इलेक्ट्रिफिकेशन में मिशन मोड में काम करके, जहां 608 किलोमीटर प्रतिवर्ष (2009-14) होता था, वो 2014-19 में ये 3440 किलोमीटर प्रति वर्ष होने लगा। 31 मार्च तक 50 हजार किलोमीटर पूरा हो जाएगा। अगले साल का टार्गेट 6500 किलोमीटर और पूरी मेहनत करेंगे इसे पूरा करने के लिए।
नॉर्थ ईस्ट कनेक्टिविटी देश के लिए रणनीतिक है। यूपीए के शासन में 2122 करोड़ खर्च होता था। 5531 करोड़ रुपये खर्च किया। इस साल 9970 करोड़ रुपये नार्थ ईस्ट के लिए आवंटन है।
फ्रेट कॉरिडोर महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट था। 2009 से 14 में शून्य किलोमीटर कमीशन हुए। मोदी जी ने आ के बाद 1010 किलोमीटर का फ्रेट कॉरिडोर पूरा कर चुके हैं।
आरओबी, आरयूबी हो, पहले 763 होता था, अब 1258। इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव पहले 246 होता था, इस बार का टार्गेट है 681. एवरेज 473 रहा। एलएचबी कोच का प्रोडक्शन चार गुना बढ़ा। ये हार्ड फैक्ट्स हैं।
हमारे नेता नरेन्द्र मोदी जी दिन-रात राष्ट्र निर्माण की तपस्या कर रहे हैं।
इस पूरे विजन और मेहनत का नतीज है कि 70 वर्षों में पहली बार रेलवे ने कार्गों में अपना शेयर बढ़ाया है। 14 में जब नेतृत्व संभाला था मोदी जी ने तब 1052 मिलियन टन की लोडिंग होती थी, इस वर्ष 1400 मिलियन टन से अधिक लोडिंग का अनुमान है। चीन, यूएस, रशिया, जो टॉप लोडिंग कंट्रीस हैं आज यूएस के करीब-करीब समकक्ष हम आ रहे हैं।
रेलवे एक यूनिक ऑर्गेनाइजेशन है। इसका एक सीरियल सोशल ऑब्लीगेशन भी है। सब बतों को ध्यान में रखकर कहा जाए तो, मेरा मानना है कि आज रेलवे एक नई ऊर्जा के साथ राष्ट्र की सेवा में तत्पर है। मजबूत है, टेक्नोलॉजी की दिशा में अग्रसर है और किस तरह से जनसेवा में नए कार्य के लिए तैयार है।
आज रेलवे करीब 800 करोड़ पैसेंजर साल में ट्रांसफर करती है, 1400 मिलियन टन कार्गो पर हैं करीब..दो लाख करोड़ का रेवेन्यू हैं और करीब ढाई लाख करोड़ का इस बार के बजट में कैपिटल इन्वेस्टमेंट का प्रावधान है। एक करोड़ का रेल परिवार है टोटल।
देश का जो एक्सपेक्टेशन है, बड़ी जनसंख्या है जो रेल से ही जाती है। अगले दस वर्षों में क्या विजन लेकर चलना चाहिए…हजार करोड़ पैसेंजर को ले जाने की क्षमता बढ़ानी चाहिए। 3000 मिलियन टन कार्गो पर जाना चाहिए।
सबसे बड़ा विजन है विश्वस्तरीय स्टेशन…हमें अपनी परिस्थितियों के हिसाब से सीखना पड़ेगा। आधुनिक ट्रेन की बात है। 2017 में इस संकल्प पर काम चालू हुआ और वंदेभारत 2019 में निकली। यह ऐसी सक्सेस स्टोरी है, दुनियाभर क रेलवे इंड्स्ट्री इससे हिल गई। क्यों कि अगर बाहर की ट्रेनों की बात करें तो 290 करोड़ के आसपास लागत आती है, हमारी 110-115 के आसपास पड़ी। और किसी भी टेक्निकल पैरामीटर पर दुनिया की किसी भी ट्रेन से पीछे नहीं है।
अब अगली श्रेणी की जो ट्रेन बन रही है उसमें एयर कुशन है, ताकि जर्नी में सुधार हो। आज सितंबर के महीने से जब सीरियल प्रोडक्शन चालू होगा…तो शुरुआत में महीने में चार वंदेभारत ट्रेन निकलेगी, फिर 8 ट्रेन्स प्रति माह निकलेगी। सभी प्रोडक्शन यूनिट्स को अपग्रेड किया जा रहा है।
इन परिस्थितियों में विश्वास है कि अगले तीन वर्षों में 400 ट्रेन का संल्कप पूरा होगा। कोई ट्रेन इंपोर्ट करने की जरूरत नहीं है।
एश्योर्ड सेफ्टी रेलवे का संकल्प है, इसमें बहुत ज्यादा मेहनत की जरूरत है। टेक्नोलॉजी चेंज हो रही है। 2018 में सिर्फ एलएचबी कोर्च निर्मित करने का फैसला लिया गया। भारत में विकसित कवच का एक शानदान डेवलपमेंट हुआ है। इसका एसएलआई-4 सर्टिफिकेशन है।
एश्योर्ड टाइमटेवल फॉर कार्गों की भी व्यवस्था की जा रही है। नए-नए कंटेनर डेवलप करने पर काम किया जा रहा है।
टूरिज्म में रेलवे का अधिक उपयोग हो सकता है। भारत गौरव ट्रेन का कॉन्सेप्ट दिया है प्रधानमनंत्री मोदी ने। इसका पहला रामायण एक्सप्रेस है। कई सर्किट पर काम किया जा रहा है।
मुंबई से अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का डिजानइन कंपलीट हुआ….उसमें गुजरात वाले सेक्शन में लैंड एक्विजिशन 99 प्रतिशत आया। और आज 750 से अधिक पिलर बन चुके हैं। हर महीने 8 किमी की गति से पिलर बनाए जा रहे हैं….जो आने वाले दिनों में 10 किलोमीटर की गति से चलेगा। सभी बड़ी नदियों पर काम चल रहा है।
हमें अपने इंजीनियर्स पर अपनी काबिलियत पर विश्वास करना चाहिए। ऐसा नहीं चलेगा. हम कब तक विदेशियों पर विश्वास करते रहेंगे। (15.14)
वंदेभारत को भी 200 किमी के वर्जन के लिए अपग्रेड किया जा रहा है।..
भारत की विविधिता को ध्यान में रखते हुए वन नेशन वन प्रोडक्ट का कॉन्सेप्ट अनाउंस किया गया है बजट में। बहुत जल्द पायलट प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा।
पीएम का मल्टीडायमेंशनल विजन इस बजट में दिखाई पड़ता है। हमारी सरकार गरीब वंचित, छोटे किसान, माताओं को ध्यान में रखकर प्रोग्राम बनाए जाते हैं। उसी को ध्यान में रखकर रेल बजट बनाया गया है।
पश्चिम बंगाल के 18 प्रोजेक्ट. 44060 करोड़ के पेंडिंग है, केवल राज्य सरकार की वजह से।
केरल का जो सिल्वर लाइन प्रोजेक्ट है, यह बहुत ही कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट है। पर्यावरण इश्यू बहुत अधिक है। 63000 करोड़ की कॉस्ट है। 2009 से 14 में केरल के 372 करोड़ मिलते थे…उसके बाद 950 करोड़ मिलना चालू हुआ। 22-23 में 1085 करोड का रिकॉर्ड अलॉटमेंट हैं
2009 से 14 में रेलवे में मात्र 2,42,709 नियुक्तियां की गई थी। 2014 से पीएम श्री मोदी जी ने आलरेडी 3,44,646 नियुक्तियां की हैं। साथ ही साथ 1,44,713 वैकेंसीस पर आलरेडी रिक्यूटमेंट प्रोसेस चल रहा है।
प्राइवेटाईजेशन का मुद्दा..हाईपोथेटिकल है…। कहीं कोई निजीकरण की बात नहीं है।
रेलवे के आज सोशल ऑब्लीगेशन का अमाउंट कैल्कुलेट करें…50 प्रतिशत…. 1 रुपये 16 पैसे कॉस्ट आती है…उसकी जगह 48 पैसे लेते हैं।