जनजीवन ब्यूरो / पटना । बिहार में अब कैंसर के मरीज़ों का नई तकनीक से सफ़लतापूर्वक इलाज किया जा रहा है। पटना एम्स के डॉक्टों के बड़ी कामयाबी मिली है। पटना एम्स में फेफड़े के कैंसर का इलाज नई तकनीक से किया जा रहा है। ग़ौरतलब है कि बिहार में पहली बार इस नई तकनीक से कैंसर के मरीज़ों का इलाज पटना एम्स के डॉक्टरों ने किया है। पटना एम्स से डॉक्टरों ने बताया कि बहुत सारे केसेस में यह देखने को मिला है कि फेफड़े के कैंसर पता बहुत देर से चलता है। जब पता चलता है तो कैंसर का इलाज ऑपरेशन से मुमकिन नहीं हो पाता है।
हिटकोक विधि द्वारा कैंसर के मरीज़ों का इलाज
एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि कुछ मरीज़ ऐसे होते हैं जिनकी छाती में ही कैंसर फैला रहता है। ऐसे मरीज़ों का इलाज नई तकनीक से मुमकिन है। हाल ही में पटना एम्स में दो मरीज़ों का सफलतापूर्वक इलाज भी किया गया है। जिस विधि से मरीज़ों का इलाज किया गया उसे को हिटहोक कहते हैं। डॉ सीएम सिंह (चिकित्सा अधीक्षक, एम्स पटना) ने बताया है कि मरीज़ों के किमोथेरैपी के बाद सर्जिकल आन्कोलॉजी विभाग में कैंसर सर्जरी के लिए भेजा गया था। ऑपरेशन के तुरंत बाद हिटकोक विधि द्वारा मरीज़ों के छाती में गरम करके कैंसर की दवा दी गई। अब दोनो मरीज स्वस्थ हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है।
पटना के कैंसर सर्जरी विभाग में और भी कई सुविधाएं मौजूद
डॉ जगजीत कुमार पांडेय (विभाग प्रमुख, कैंसर सर्जरी विभाग) एम्स पटना के नेतृत्व में कामयाब ऑपरेशन हुआ है। डॉ सौरभ वार्ष्णेय (निदेशक, एम्स पटना) ने सफल ऑपरेशन पर पूरी टीम को बधाई दी। इस ऑपरेशन में डॉ दिपेन्द्र राय, डॉ सौरभ करमाकर, डॉ प्रितांजलि सिंह , डॉ कुणाल सिंह, डॉ सत्यनारायण, डॉ सतीश और डॉ राहुल की अहम भूमिका रही है। एम्स पटना में इस तरह से अन्य कैंसर पेट, अंडाशय, आंत के कैंसर का इलाज हाइपेक विधि से किया जा रहा है। एम्स अस्पताल पटना के कैंसर सर्जरी विभाग में यह सुविधा पहले से मौजूद है।
कम से कम 20 लाख रुपये का आता है खर्च
जो दो मरीज़ों का सफल ऑपरेशन हुआ है, वह सारण और मोकामा के रहने वाले हैं। इस 60 वर्षीय महिला सफत सारण की रहने वाली हैं और 25 वर्षीय युवक मोकामा का रहने वाला है। इलाज के बाद दोनों मरीज खतरे से बाहर है और उनकी अस्पताल से छुट्टी भी हो गई है। आपको बता दें कि पहली बार पूरे देश में किसी सरकारी अस्पताल इस तरह का सफल कैंसर का इलाज हो पाया है। मेडिकल एक्सपर्ट्स की मानें तो इस तरह के ऑपरेशन में कम से कम लगभग 20 लाख रुपये का खर्च आता है। जो कि ग़रीब परिवार के बजट से बाहर है। पटना एम्स में हुए इन दोनों मरीजों के ऑपरेशन का ज़्यादातर खर्च मुख्यमंत्री चिकित्सा अनुदान की तरफ़ से हुआ है।