जनजीवन ब्यूरो
वाशिंगटन । पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने चीन के साथ 1962 के युद्ध के दौरान चीन के तेज होते आक्रमण को रोकने के लिए अमेरिका से मदद मांगी थी और भारत को लड़ाकू विमान मुहैया कराने के लिए तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जान एफ कैनेडी को पत्र लिख था। एक नयी किताब में दावा किया गया है कि पीपुल्स रिपब्लिक आफ चाइना के संस्थापक माओ त्से तुंग ने 1962 में भारत पर हमला ‘‘नेहरू’’ को अपमानित करने के लिए किया था जो तीसरी दुनिया के नेता के रूप में उभर रहे थे।
सीआईए के पूर्व अधिकारी ब्रूस रिडेल ने अपनी किताब ‘‘जेएफके’ज़ फार्गटन क्राइसिस: तिब्बत, सीआईए एंड इंडो-चाइना वार’’ में लिखा है, ‘‘भारत द्वारा फारवर्ड पॉलिसी लागू किए जाने से सितंबर 1962 में चीन भड़क गया।’’ रिडेल लिखते हैं, ”माओ का ध्यान नेहरू पर था लेकिन भारत की पराजय माओ के दो और दुश्मनों (निकिता खुर्शचेव और कैनेडी) के लिए भी बड़ा धक्का होती।’’ चीन के आक्रमण से जब भारत के पैर उखड़ रहे थे और उसके सैनिक बड़ी संख्या में हताहत हो रहे थे तो नेहरू ने नवंबर 1962 में कैनेडी को एक पत्र लिखा और कहा कि भारत को चीन के आक्रमण की उफनती लहर को रोकने के लिए परिवहन तथा लड़ाकू विमानों की जरूरत है।’’ उन्होंने लिखा था, ”हमारे और हमारे मित्रों की ओर से काफी प्रयासों की जरूरत होगी।’’ रिडेल लिखते हैं कि नेहरू ने इसके तुरंत बाद एक और पत्र कैनेडी को लिखा। नेहरू ने एक प्रकार से घबराहट भरी हालत में यह दूसरा पत्र लिखा जिसे अमेरिका में तत्कालीन भारतीय राजदूत बीके नेहरू ने 19 नवंबर को खुद कैनेडी को सौंपा।
रिडले ने अपनी किताब में लिखा है, ”इस प्रकार नेहरू, कैनेडी से पीएलए को परास्त करने के लिए चीन के खिलाफ हवाई युद्ध में भागीदारी करने को कह रहे थे। यह भारतीय प्रधानमंत्री की ओर से की गयी पुरजोर अपील थी। कोरिया में चीनी कम्युनिस्ट बलों के साथ अमेरिकी बलों के संघर्षविराम समझौते पर पहुंचने के ठीक एक दशक बाद भारत जेएफके से साम्यवादी चीन के खिलाफ एक नए युद्ध में शामिल होने को कहा रहा था।’’ नेहरू की चिट्ठी से पहले भारत में तत्कालीन अमेरिकी राजदूत गालब्रेथ ने व्हाइट हाउस को एक टेलीग्राम भेजा जिसमें राष्ट्रपति को पहले से ही सूचित किया गया कि इस प्रकार का अनुरोध भारत की ओर से आने वाला है। पत्र में नेहरू ने अमेरिकी वायुसेना से 12 स्क्वाड्रन की अपील की थी। रिडेल ने शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक ब्रुकलिन इंस्टीट्यूट द्वारा मंगलवार को आयोजित पुस्तक समीक्षा समारोह में अमेरिकी श्रोताओं को इस बारे में जानकारी दी। रिडेल ने किताब में इस पत्र का हवाला देते हुए लिखा है, ”सभी मौसमों के अनुकूल सुपरसोनिक की कम से कम 12 स्क्वाड्रन की जरूरत है। हमारे पास देश में आधुनिक रडार कवर नहीं है। हमारे कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिए जाने के दौरान, अमेरिकी वायुसेना के कर्मचारियों को इन लड़ाकू विमानों और राडार को संचालित करना होगा।’’
इसके अलावा नेहरू ने तिब्बत पर हमला बोलने के लिए ‘‘बी 47 बमवर्षक विमान की दो स्क्वाड्रन की अपील की थी।’’ पत्र में नेहरू ने कैनेडी को आश्वस्त किया था कि इन बमवर्षकों का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ नहीं किया जाएगा बल्कि इनका इस्तेमाल केवल ‘‘चीन को रोकने के लिए ही होगा।’’
नेहरू ने कैनेडी को लिखे पत्र में यह भी कहा था कि ‘‘केवल भारत का अस्तित्व ही दांव पर नहीं लगा है बल्कि यह इस पूरे उप महाद्वीप या एशिया में स्वतंत्र सरकारों के अस्तित्व का सवाल है।’’ अमेरिकी विद्वान ने लिखा है कि तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री को भी नेहरू की ओर से ऐसी ही चिट्ठी मिली। पत्र मिलने के बाद कैनेडी द्वारा अपने प्रशासन को दिए गए निर्देशों का हवाला देते हुए रिडेल ने उनकी व्याख्या इस प्रकार से की है कि जैसे एक राष्ट्रपति युद्ध के लिए तैयार हो रहा था। लेकिन अमेरिका के अगला कदम उठाने से पहले ही चीन ने एकतरफा युद्धविराम घोषित कर दिया। काफी आगे तक बढ़ने और पूरे पूर्वोत्तर को अपने कब्जे में लेने की स्थिति में आने और कोलकाता तक पहुंच सकने की मजबूत स्थिति में आ चुके चीनी नेतृत्व ने एकतरफा युद्धविराम घोषित कर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया। क्योंकि चीन को यह डर सताने लगा था कि ब्रिटेन और अमेरिका युद्ध में भारत को साजो सामान सहायता मुहैया कराने की तैयारी कर रहे हैं।
नवंबर के पहले सप्ताह में आधिकारिक रूप से बाजार में आने वाली किताब में लेखक ने लिखा है, ”जाहिर सी बात है कि हमें यह कभी पता नहीं चल पाएगा कि यदि युद्ध जारी रहता तो भारत को अमेरिका किस प्रकार की मदद देता।’’ उन्होंने लिखा है, ”लेकिन हमें इस बात की निश्चितता है कि अमेरिका, भारत और संभवत: ग्रेट ब्रिटेन मिलकर चीन के खिलाफ युद्ध कर रहे होते।’’ किताब में यह भी लिखा है कि भारत पर ‘‘पाकिस्तान के हमले को पहले ही रोकने’’ में कैनेडी ने निर्णायक भूमिका अदा की जबकि उस समय पाकिस्तान भारत की नाजुक स्थिति को देखते हुए उसके खिलाफ युद्ध छेड़ने में सक्षम था।