जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली । सात दशक पुरानी मांग को पूरा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को घोषणा की कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित गोपनीय फाइलों को केंद्र सरकार 23 जनवरी से सार्वजनिक करना शुरू करेगी। आशा की जा रही है कि 18 अगस्त, 1945 को नेताजी के गायब होने जाने को लेकर बनी रहस्य की परतें खुल सकती हैं । प्रधानमंत्री नेताजी के परिजनों से मुलाकात के बाद इसकी घोषणा करते हुए कहा कि इतिहास को दबाने की जरूरत नहीं है ।
मोदी अपने सरकारी आवास पर नेताजी के परिवार के 35 सदस्यों का स्वागत करते हुए यह वादा किया। परिजनों से मिलने के बाद मोदी ने ट्वीट किया, नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की प्रक्रिया 23 जनवरी, 2016 को सुभाष बाबू के जन्म दिन से शुरू होगी। उन्होंने एक और ट्वीट किया कि विदेशी सरकारों से भी उनके पास उपलब्ध नेताजी से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करने का अनुरोध करेंगे। दिसंबर में रूस के साथ इसकी शुरूआत करेंगे। मोदी ने कहा कि इतिहास को दबाने की कोई जरूरत नहीं है। जो देश अपने इतिहास को भुला देते हैं उनमें इतिहास बनाने की क्षमता नहीं रह जाती।
नेताजी के परिवार और कई अन्य लोग गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग उठाते रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि ऐसा करने से 1945 में रहस्यमयी तरीके से नेताजी के गायब हो जाने से जुड़े सवालों के जवाब मिल सकते हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार ने कुछ दिन पहले अपने पास उपलब्ध नेताजी से जुड़ी 64 फाइलों को सार्वजनिक किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके सरकारी आवास 7, रेसकोर्स रोड पर नेताजी के परिवार का स्वागत करना सम्मान की बात है। उन्होंने कहा कि मैंने सुभाष बाबू के परिवार के सदस्यों से कहा, कृपया मुझे अपने परिवार का हिस्सा मानें। उन्होंने अपने कीमती सुझाव मुझसे साझा किये। मोदी ने कहा कि हमारी महत्वपूर्ण और गहन बातचीत हुई।
इस बातचीत के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थित थे। इस दौरान नेताजी के परिवार के सदस्यों ने भारत सरकार के पास मौजूद फाइलों को सार्वजनिक करने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान के मुताबिक परिवार के सदस्यों ने सुझाव दिया कि भारत सरकार को दूसरे देशों की सरकारों के पास उपलब्ध नेताजी से संबंधित फाइलों को भी सार्वजनिक कराने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। बयान के अनुसार प्रधानमंत्री ने कहा कि नेताजी के परिजनों के सुझावों से उनके खुद के और केंद्र सरकार के भी विचार मेल खाते हैं। मोदी ने विदेशी सरकारों के पास उपलब्ध नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने के लिए उनसे अनुरोध करने के सुझाव पर सहमति जताई।
बयान के अनुसार मोदी ने नेताजी के परिवार के सदस्यों के साथ इस बारे में कुछ उदाहरण भी साझा किये कि गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल में उन्होंने किस तरह नेताजी को याद किया। फाइलों को सार्वजनिक करने की मांगों के बीच प्रधानमंत्री ने 20 सितंबर को अपने ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम में कहा था कि वह अक्तूबर में अपने आवास पर नेताजी के परिजनों का स्वागत करेंगे। तब प्रधानमंत्री ने कहा था कि संभवत: पहली बार ऐसा होगा कि नेताजी के परिवार के सदस्य एकसाथ प्रधानमंत्री के आवास पर आएंगे। गौर हो कि नेताजी से संबंधित 64 फाइलों को पश्चिम बंगाल सरकार पहले ही सार्वजनिक कर चुकी है।