अमलैंदु भूषण खां / नई दिल्ली । हरियाणा से राज्यसभा की दो सीटों के लिए तीन उम्मीदवारों के चुनावी मैदान में आने से अब मामला दिलचस्प हो गया है। अब 10 जून को मतदान होना तय हो गया है। बेशक, अभी नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 3 जून तक सभी की नज़र रहेगी। जिस तरह से भाजपा-जजपा गठबंधन के समर्थन से कार्तिकेय शर्मा ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर परचा भरा है, उसे देखते हुए लगता नहीं कि अब कोई उम्मीदवार मैदान से हटेगा। माना जा रहा है कि राज्यसभा की दूसरी सीट के लिए होने वाले चुनाव में क्रॉस वोटिंग का खतरा बना रहेगा। इस तरह की आशंका अकेले कांग्रेस में नहीं बल्कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में भी बनी रहेगी। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि तीसरे उम्मीदवार के रूप में कार्तिकेय शर्मा के मैदान में आने के बाद अब कांग्रेस भी अंदरखाने सरकार के विधायकों से संपर्क साधेगी। ऐसे में अब हर कोई अपने-अपने विधायकों को ‘संभालने’ में जुटा नजर आ रहा है।
भाजपा प्रत्याशी कृष्ण लाल पंवार का पहली सीट पर चुना जाना लगभग तय है। वहीं दूसरी सीट पर कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन को उतारा है। इस सीट पर दूसरे प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा ने आवेदन दाखिल किया है। कार्तिकेय को जजपा के 10 विधायकों ने समर्थन दे दिया है। रानियां से निर्दलीय विधायक व जेल मंत्री चौ. रणजीत सिंह के समर्थन के साथ कार्तिकेय ने अपना नामांकन-पत्र भरा है। इस दौरान उनके पिता व पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा भी मौजूद रहे। इस मौके पर पुंडरी से विधायक रणधीर सिंह गोलन, दादरी से सोमबीर सिंह सांगवान सहित कई अन्य विधायक थे।
कार्तिकेय शर्मा अगर मैदान में नहीं आते तो अजय माकन का राज्यसभा जाना तय हो जाता, लेकिन अब चुनाव के हालात बन गए हैं। साथ ही, क्रॉस वोटिंग का खतरा भी बढ़ गया है। यह तय है कि बिना क्रॉस वोटिंग के कार्तिकेय की राहें आसान नहीं होंगी। वहीं दूसरी ओर, अजय माकन की राह में भी ‘रिश्तों’ की बड़ी बाधा होगी। विनोद शर्मा और अजय माकन के बीच रिश्तेदारी है।
देश के पहले राष्ट्रपति पंडित शंकर दयाल शर्मा की बड़ी बेटी गीतांजलि का विवाह अजय माकन के बड़े भाई ललित माकन के साथ हुआ था। वहीं विनोद शर्मा के छोटे भाई श्याम शर्मा पंडित शंकर दयाल शर्मा की छोटी बेटी जयश्री के पति हैं। यानी ललित माकन और श्याम शर्मा आपस में साढ़ू हुए। अब चूंकि विनोद शर्मा के छोटे बेटे कार्तिकेय चुनाव लड़ रहे हैं तो एक तरह से ‘रिश्ते’ भी इन चुनावों में दांव पर होंगे। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा की विनोद शर्मा के साथ सीधी रिश्तेदारी है। कार्तिकेय शर्मा, कुलदीप शर्मा के दामाद हैं। वहीं ‘आप’ नेता और पूर्व सांसद डॉ़ अशोक तंवर की भी माकन और विनोद शर्मा परिवार के साथ रिश्तेदारी है। तंवर की पत्नी अवंतिका माकन तंवर, अजय माकन के बड़े भाई स्व़ ललित माकन की बेटी हैं। अजय माकन, अशोक तंवर के चाचा ससुर लगते हैं। वहीं दूर के रिश्ते में कार्तिकेय शर्मा भी अवंतिका माकन के भाई हुए।
नब्बे सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में राज्यसभा की पहली सीट जीतने के लिए भाजपा को 31 विधायकों की जरूरत होगी। पार्टी के खुद के 40 विधायक हैं। इसलिए कृष्ण लाल पंवार को किसी तरह का जोखिम नहीं है। अजय माकन की जीत सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस को 30 विधायक चाहिएं। पार्टी के पास 31 विधायक हैं। वहीं आदमपुर से कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं। जजपा के 10 और सात निर्दलीय विधायक भी हैं। ऐलनाबाद से इनेलो के अभय सिंह चौटाला और सिरसा से गोपाल कांडा विधायक हैं। कार्तिकेय शर्मा को चुनाव जीतने के लिए 30 विधायकों का समर्थन चाहिए। भाजपा के 9, जजपा के 10, सातों निर्दलीय तथा अभय चौटाला व गोपाल कांडा के भी समर्थन में आने पर यह संख्या 28 पहुंचती है। अब दो का जादुई आंकड़ा कैसे जुटाया जाता है, इस पर सभी की नजर रहेगी। कांग्रेस के कुलदीप बिश्नोई के ‘बागी’ तेवरों और नाराजगी की वजह से भी क्रॉस वोटिंग का खतरा बना हुआ है।
अहम बात यह भी है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा और कुलदीप बिश्नोई के बीच अच्छे संबंध रहे हैं। विनोद शर्मा और चौटाला परिवार के बीच भी काफी नजदीकियां हैं। ये नजदीकियां तिहाड़ जेल में और भी बढ़ी। दरअसल, इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला और जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद डॉ़ अजय सिंह चौटाला जेबीटी भर्ती घोटाले में तिहाड़ जेल में 10 वर्षों की सजा काट चुके हैं। इसी दौरान विनोद शर्मा के बड़े बेटे मनु शर्मा भी तिहाड़ में सजायाफ्ता थे।
ओपी चौटाला व अजय सिंह चौटाला के साथ इस दौरान वे काफी नजदीक भी आए। इससे पहले भी चौटाला और विनोद शर्मा के व्यापार इकट्ठे थे। इन्हीं समीकरणों के मद्देनजर अब मनु शर्मा के छोटे भाई कार्तिकेय शर्मा जजपा के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में आए हैं। अजय सिंह चौटाला ने जजपा के सभी 10 विधायकों के समर्थन का ऐलान भी उन्हें कर दिया है। माना जा रहा है कि इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला भी पारिवारिक नजदीकियों को देखते हुए कार्तिकेय के साथ जा सकते हैं।
ये वही दो सीटें हैं, जिन पर छह साल पहले वर्ष 2016 में बड़ा ‘खेल’ हुआ था। उस समय भाजपा के 47 विधायक थे और निर्दलीयों का भी सरकार के साथ समर्थन था। दो सीटों पर हुए चुनावों में भाजपा ने पहली सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया। दूसरी सीट पर भाजपा के समर्थन से सुभाष चंद्रा निर्दलीय प्रत्याशी थे। उस समय इनेलो के 21 विधायक थे। इनेलो व कांग्रेस के समर्थन से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट आरके आनंद दूसरी सीट के लिए मैदान में आए। उस समय पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरके आनंद को वोट नहीं देने का पहले ही ऐलान कर दिया था। कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला की वोट इसलिए रद्द हो गई क्योंकि उन्होंने किरण चौधरी को अपना वोट दिखा दिया था। 13 कांग्रेस विधायकों की वोट पेन बदलने की वजह से रद्द हो गई थी। ऐसे में सुभाष चंद्रा आसानी से राज्यसभा का चुनाव जीत गए।
राज्यसभा चुनावों में पार्टियां अपने विधायकों को व्हिप भी जारी नहीं कर सकती। इतना ही नहीं, क्रॉस वोटिंग होने पर विधायकों पर एंटी-डिफेक्शन लॉ भी लागू नहीं होता। ऐसे में क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों पर संबंधित पार्टी किसी तरह की कार्रवाई भी नहीं कर सकती। यही कारण हैं कि इस बार राज्यसभा के चुनावों में क्रॉस वोटिंग का खतरा अधिक बना हुआ है।