जनजीवन / ब्यूरो पटना : लंबे समय से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में रहे प्रेम कुमार मणि ने पार्टी से सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए मणि ने एक लंबा पत्र राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव के लिए लिखा है। इस पत्र में उन्होंने टिकट बेचने और माफियाओं को संरक्षण देने जैसे कई आरोप लालू यादव और पार्टी पर लगाए हैं।
प्रेम कुमार मणि की ओर से लालू यादव को लिखा पत्र कुछ इस तरह से है-
प्रिय लालूजी , मेरा यह पत्र व्यक्तिगत भी है और ऑफिसियल भी। आपसे अपने स्तर से एक व्यक्तिगत सम्बन्ध अनुभव करता रहा हूँ और पिछले नौ वर्षों से उस पार्टी से भी जुड़ा रहा,जिसके आप राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। आपने आग्रह पूर्वक अपने दल में शामिल होने का कई दफा न्यौता दिया और 4 जुलाई 2013 को जब मैं दिल्ली में आपसे मिलने गया तब मेरी आगे की यात्रा रद्द करवा कर अपने साथ पटना लाए और दल में शामिल किया। 2013 की राजनीतिक स्थितियां गंभीर थीं। देश और बिहार दोनों की। महीने भर पहले नीतीश कुमार ने भाजपा का संग -साथ छोड़ दिया था। कांग्रेस देश भर में कमजोर- हाल दिखलाई पड़ रही थी। आप मुकदमों में फंसे घर और जेल के बीच पेंडुलम की तरह डोल रहे थे। मुझे लगा समय की गंभीरता का दबाव आप पर अवश्य होगा। आप और आपके साथ राष्ट्रीय जनता दल भी नयी परिस्थितियों के अनुरूप जरूर बदलेगा । इसी वहम का मैं शिकार हुआ। मेरी मनोदशा यह थी कि राष्ट्रीय हित में येनकेन भारतीय जनता पार्टी को सत्तासीन होने से रोकना है। मिलजुल कर बिहार में पार्टी को एक सक्षम मंच के रूप में विकसित करना है। उन दिनों की राजनीतिक स्थितियों की अतिरिक्त व्याख्या में नहीं जाकर इतना ही कहूंगा कि आपने तब भी किसी स्तर पर गंभीरता नहीं दिखलाई। 2015 में प्रान्तीय स्तर पर राजनीतिक स्थितियां बदलीं। भाजपा को बिहार से करारा जवाब मिला। राजद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और महागठबंधन की सरकार बनी। इसमें आपकी कोई विशिष्ट भूमिका नहीं थी। यह बिहार की सेकुलर समाजवादी जनता की जीत थी। फिर से हुए दलित-बहुजन एकता की जीत थी। आपने सरकार बनने के साथ ही अड़ंगा लगाया। अपने दोनों बेटों को सरकार में शामिल करवा कर पूरे राजनीतिक आवेग की एकबारगी हवा निकाल दी।
आप टिकटों का मोलभाव कर रहे थे
प्रेमकुमार मणि ने आगे लिखा है- राजद कोटे से जो भी मंत्री बनाए गए उनके बारे में हज़ार तरह की बातें बाजार में होती रहीं। नतीजा यह हुआ कि 2017 में बीजेपी महागठबंधन को तोड़ने में सफल हो गई। इस पूरे दौर में अपनी कमजोरियों का आत्मविश्लेषण आपको करना चाहिए। फिर आप जेल गए। पार्टी कमजोर होती गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को एक सीट भी नहीं मिली। मेरे जैसे लोग भाजपा के इस विस्तार से चिंतित थे। इसलिए 2020 में महामारी व्याधि के बीच जब बिहार विधानसभा का चुनाव हुआ और तेजस्वी जी ने मुझसे बात की और सहयोग की अपेक्षा की तब मैंने पूरी शक्ति के साथ सहयोग दिया। आप जेल में बैठे -बैठे टिकटों का मोलभाव कर रहे थे। कांग्रेस के माध्यम से बीजेपी की हुंडी आपको मिली और पचास सीटें मांगने वाली कांग्रेस को आपने सत्तर सीटें दे दी। जैसे ही मुझे यह सब मालूम हुआ, मुझे बड़े षड्यंत्र की आशंका हुई थी। तेजस्वी ने कड़े परिश्रम से एक राजनीतिक माहौल बनाया। मैंने उनसे कहा था ,आप परिवार की छवि से बाहर निकलिए। आप सहित आपके पूरे परिवार की तस्वीर ऑफिस के होर्डिंग से हटा ली गई। इसका जनता में जोरदार स्वागत हुआ। राजद बदल रहा है। राजद लालूमुक्त हो रहा है, जनता में यह सन्देश गया। जनता दल के पारम्परिक वोट वापस आने लगे। लेकिन इसी वक्त आप में अपने बेटे से ईर्ष्या गहरा रही थी कि वह आपसे आगे तो नहीं चला जाएगा। लालूजी , छाती पर हाथ रख कर ईमानदारी से कहिए क्या यही सच नहीं था ? 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में केवल आपने अपने कारनामों से भाजपा -जदयू को सत्तासीन किया। अन्यथा आज बिहार में महागठबंधन की सरकार होती और तेजस्वी मुख्यमंत्री होते। मलबे का मालिक बने रहने के चक्कर में आपने पार्टी का नाश कर दिया। आमचुनाव के बाद कुशेश्वरस्थान और तारापुर में उपचुनाव हुए। आप चुनाव क्षेत्र में जाने केलिए मचलने लगे। राष्ट्रीय अध्यक्ष को जाने से कौन रोक सकता था। आप गए और दोनों जगह हार हुई। नहीं जाते तब तारापुर सीट तो हम अवश्य जीत जाते। आप नहीं जानते बिहार की जनता आपसे कितनी नफरत करती है। गैर यादव पिछड़े और दलित जिसके कभी आप बहुत दुलारे थे आज आपका चेहरा नहीं देखना चाहते। वह जानते हैं कि इस आदमी ने किस तरह कर्पूरी ठाकुर की विरासत को 1090 -95 के गौरवशाली अवधि के बाद कुख्यात माय (MY) और फिर आई (I) में बदल दिया है। पूरी समाजवादी विरासत को अपने परिवार की तिजोरी में बंद कर दिया है। आपकी गैर हाज़िरी का दल को बहुत लाभ मिला था। पिछले दो वर्षों में पार्टी बहुत बदली। आपके दुलारे बेटे-बेटी की ऑफिस में इंट्री बंद थी। इस बीच कार्यकर्ताओं का सफल प्रशिक्षण शिविर चला। सभी प्रकोष्ठ सक्रिय किए गए। ‘राजद समाचार’ नाम का बुलेटिन नियमित निकलने लगा। प्रांतीय कार्यालय में अनुशासन बहाल हुआ। बोचहा उपचुनाव में आपने जो न आने की कृपा की उसके कारण वहाँ शानदार जीत मिली। तेजस्वी एक नये नायक के रूप में उभरते दिखे। पहली दफा सवर्ण जमात में भी पार्टी केलिए उत्साह दिखा। लेकिन इसी बीच आप प्रकट हुए। ऐसा प्रतीत होता है भाजपा आपको हर द्विवार्षिक चुनाव के पूर्व सोच विचार कर रिहा करती है कि आप अपने कारनामों से उसे मजबूती दे सकें। आपने धनपशु को राज्यसभा भेजा
मणि आगे लिखते हैं, पिछले द्विवार्षिक चुनाव में एक मेडिकल कॉलेज के मालिक और एक अन्य धनपशु को आपने (लालू यादव) राज्यसभा भेजा। मेडिकल कॉलेज का मालिक मुसलमान है। जिस क्षेत्र से आता है वहां इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई और सभी मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से हम हारे और ओबैसी की पार्टी जीती। इस बार भी एक मेडिकल कॉलेज का मालिक गया है। लालूजी बिहार की जनता मूर्ख नहीं है। वह इस पूरे व्यापार को समझती है। भाजपा को कुछ किए बिना आप राजनीतिक ताकत दे जाते हैं। परिषद चुनाव में मुन्नी देवी को उतार कर आप समझते हैं कि कमाल कर दिया है। भगवतिया देवी और मुन्नी देवी का कार्ड पुराने समय में चलता था, जब जनता का अधिकांश निरक्षर था। राजशाही के जमाने में कोई अपने गुलाम को तो कोई किसी भिश्ती को बादशाह बना देता था। यह सामंती रिवाज है। डॉ आंबेडकर ने एक जगह लिखा है द्विज लोग राजनीति में दलित-अछूतों के उन लोगों को आगे करते हैं जो दयनीय दिखते हैं। उनकी अशिक्षा और गरीबी से कथाएं गढ़ी जाती हैं और ये दयनीय लोग अच्छे चापलूस भी हो जाते हैं। फिर उनकी अशिक्षा और अनाप -शनाप वक्तव्यों का इस्तेमाल पूरे दलित समाज का मज़ाक उड़ाने में भी किया जाता है। इसलिए लालू जी आप नहीं जानते कि आपके इस निर्णय का स्वागत दलित समाज की तरफ से नहीं, आपके ग्वालबाड़े के एक कोने से ही क्यों हो रहा है? आप के साथ दिक्कत यह है कि किसी भी चीज को आप गंभीरता से ले ही नहीं सकते। आपने पिछले तीन -चार रोज में जो किया उससे दो साल की कार्यकर्त्ताओं की सम्मिलित मेहनत ध्वस्त हो गई । 2024 -25 केलिए आपने भाजपा की राजनीतिक स्थिति बिहार में पुख्ता कर दी है। पूरी पार्टी का गंडोगोल कर दिया आपने। आखिर में यही कहना चाहूंगा कि आप में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। मेरे अनुरोध पर आप तेजस्वी या किसी अन्य योग्य केलिए जगह छोड़िएगा नहीं। लेकिन मैं तो इस पार्टी से मुक्त हो ही सकता हूँ । इस पत्र के साथ मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता का परित्याग करता हूँ । माफिया तत्वों से लड़ना सांप्रदायिक तत्वों से लड़ने से अधिक चुनौतीपूर्ण है। आपने इस पार्टी को माफिया पार्टी बना कर रख दिया है।