तेल अवीव। मेडिकल साइंस की दुनिया में वैज्ञानिकों ने एक से बढ़कर एक उपलब्धि हासिल की है। जिस तरह से कोरोना काल में दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने मिलकर बहुत ही कम समय में कोरोना की वैक्सीन तैयार की वह साबित करता है कि मेडिकल साइंस काफी आगे बढ़ चुका है। लेकिन अभी भी एचआईवी-एड्स का इलाज दुनिया में कहीं भी उपलब्ध नहीं है। लेकिन इस क्षेत्र में भी वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता मिली है। जी हां, हालिया शोध में यह बात सामने आई है कि एक नई वैक्सीन को तैयार किया जा रहा है, जोकि एड्स का इलाज कर सकती है।
क्यूं जानलेवा है एचआईवी
एचआईवी यानि ह्यूमन इम्युनोडिफिसिएंसी वायरस शरीर के इम्यून सिस्टम यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता पर हमला करता है, अगर इसका इलाज ना किया जाए तो इससे एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिसिएंसी सिंड्रोम यानि एड्स होने का खतरा रहता है। एचआईवी की सबसे पहले पहचान तकरीबन 18वीं शताब्दी में हुई थी। सबसे पहला मामला सेंट्रल अफ्रीका के एक चिंपाजी में आया था, जिसके बाद यह दुनियाभर में लोगों के बीच फैला और जानलेवा साबित हुआ। इजराइल के वैज्ञानिकों का दावा इजराइल के वैज्ञानिकों का दावा यहां गौर करने वाली बात यह है कि मौजूदा समय में एचआईवी-एड्स का कोई इलाज नहीं है। लेकिन इसके इलाज में मेडिकल टीम को एक बड़ी शुरुआती सफलता हाथ लगी है, जोकि एचआईवी के वायरस को सिर्फ एक वैक्सीन से खत्म करने में सक्षम है । यह वैक्सीन इंजीनियरिंग टाइप बी व्हाइट ब्लड सेल्स द्वारा तैयार की गई है जोकि इम्यून सिस्टम को सक्रिय करती है, जिसकी मदद से एचआईवी को खत्म करने वाली एंटिबॉडी तैयार होती है। इस रिसर्च को इजराइल की तेल अवीव यूनिवर्सिटी की द जॉर्ज एस वाइस फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज की स्कूल ऑफ न्यूरोबायोलोजी, बायोकेमिस्ट्री व बायोफिजिक्स ने किया है। एड्स का इलाज संभव एड्स का इलाज संभव रिसर्च का जो शोधपत्र पब्लिश किया गया है उसमे कहा गया है कि एचआईवी के खिलाफ एंटीबॉडी सुरक्षित, सक्षम और आगे बढ़ाई जाने वाली है, जोकि ना सिर्फ संक्रमण वाली बीमारी के इलाज में कारगर है बल्कि गैर संक्रमण वाली बीमारियां जैसे कैंसर और एड्स के इलाज में भी कारगर है। बहरहाल रिसर्च के दावे पर अभी दुनिया के अन्य शीर्ष मेडिकल संस्थानों और एक्सपर्ट की ओर से कुछ नहीं कहा गया है। कैसे होगा इलाज कैसे होगा इलाज आखिर यह वैक्सीन एड्स के खिलाफ काम कैसे करती है इसके बारे में रिसर्च में दावा किया गया है कि हमने एक नए तरीके का उपचार ढूंढ़ा है जोकि वायरस को सिर्फ एक इंजेक्शन की मदद से खत्म कर सकता है, जिससे मरीज की स्थिति में काफी सुधार आ सकता है। बी कोशिकाएं एक तरह की कोशिकाएं होती हैं जोकि श्वेत रक्त कोशिका में मौजूद होती है और यह वायरस, बैक्टीरिया जोकि बोन मैरो में पैदा होते हैं उनके खिलाफ एंटिबॉडी का निर्माण करती है। जब ये बैक्टीरिया बड़े होते हैं तो बी सेल्स इन्हें रक्त में भेज देती है और इसके बाद इसे शरीरके अन्य हिस्सों में भेज देती है। वैज्ञानिक अब इस बी सेल्स को शरीर के भीतर ही तैयार करने में सफल हो गए हैं।
जब वैज्ञानिकों द्वारा तैयार बी कोशिकाएं वायरस के संपर्क में आती हैं तो वह इन वायरस को अलग-अलग तोड़ने का काम करती है और इनके खिलाफ लड़ती हैं। अगर वायरस बदल जाता है तो बी कोशिकाएं भी उसी अनुरूप अपने स्वरूप को बदल लेती हैं और इनसे लड़ती हैं। डॉक्टर बारजेल का कहना है कि जरूरत के अनुसार बी सेल जीनोम तैयार करने में सफल रही है। सभी लैब मॉडल को टेस्ट किया गया है और शरीर के भीतर इलाज के दौरान जरूरी बी सेल्स को तैयार करने में सफलता मिली है। हमने खून में एंटिबॉडी को तैयार किया और इस बात की पुष्टि की है कि एचआईवी वारस को खत्म करने में सक्षम है।