जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : हर साल 21 जून को पूरी दुनिया में विश्व योग दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य आध्यात्मिक और शारीरिक अभ्यास के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाना है। भारत में ऋषि मुनियों के दौर से योग होता आ रहा है। योग भारतीय संस्कृति से जुड़ा है, जो अब विदेशों में भी फैल गया है। योग के विदेशों में प्रसारित करने का श्रेय हमारे योग गुरुओं को जाता है। 21 जून को योग दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि यह उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म संक्रांति का दिन भी है। ग्रीष्म संक्रांति कई संस्कृतियों में महत्व रखती है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को पहली बार 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मान्यता दी गई थी। उस समय संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, अशोक मुखर्जी ने योग के अभ्यास के लिए एक दिन को मान्यता देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय निकाय को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त महासभा में दुनियाभर में योग दिवस मनाने का आह्वान किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्वीकार कर लिया। इस प्रस्ताव में 175 अन्य सह-प्रायोजक मिले, जो संयुक्त राष्ट्र में किसी प्रस्ताव के लिए अब तक का सर्वाधिक है। नतीजतन, प्रस्ताव जमा करने के 90 दिनों के भीतर पारित किया गया था। प्रस्ताव पारित होने के साथ ही 21 जून 2015 को पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया।
21 जून को ही क्यों मनाया जाता है योग दिवस
21 जून को ही योग दिवस क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे की मुख्य वजह ये है कि, 21 जून को उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन होता है, जिसे लोग ग्रीष्म संक्रांति भी कहते हैं। भारतीय परंपरा के मुताबिक, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन होता है। माना जाता है कि सूर्य दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए फायदेमंद है। इसी वजह से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा।
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साल 2022 अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम Yoga For Humanity है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2022 के उत्सव के लिए विषय संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित किया गया है। इस वर्ष की थीम का उद्देश्य हमारे जीवन में बेहतर मानसिक स्वास्थ्य प्रथाओं की सेवा में योग के महत्व पर चर्चा करना है।