जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिवसेना के सांसद संजय राउत को मुंबई की एक ‘चॉल’ के पुन:विकास से जुड़े, धनशोधन के एक मामले की जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए मंगलवार को तलब किया है। अधिकारियों ने बताया कि राज्यसभा के सदस्य राउत से कहा गया है कि वह 28 जून को दक्षिण मुंबई में स्थित संघीय जांच एजेंसी के दफ्तर में उसके अधिकारियों के सामने पेश हों और धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत अपना बयान दर्ज कराएं। यह घटनाक्रम ऐसे वक्त पर हुआ है जब शिवसेना के विधायकों की बगावत की वजह से महाराष्ट्र की महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के भविष्य पर सवालिया निशान लगा हुआ है। शिवसेना नीत एमवीए गठबंधन में अन्य घटक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस हैं। ईडी ने अप्रैल में राउत की पत्नी वर्षा राउत और सांसद के दो सहयोगियों की 11.15 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी तौर पर कुर्क कर लिया था।
महाराष्ट्र के शिवेसना के बागी विधायकों को केंद्र की ओर से ‘वाई प्लस’ सुरक्षा दिए जाने के बाद सोमवार को पार्टी ने दावा किया कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ही यह सब ‘तमाशा’ कर रही है। शिवेसना के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले पार्टी के बागी विधायकों पर आरोप लगाया गया है कि वे 50-50 करोड़ रुपये में ‘बिक’ गए हैं। केंद्र सरकार ने रविवार को शिवसेना के कम से कम 15 विद्रोही विधायकों को सीआरपीएफ कमांडो के घेरे वाली ‘वाई प्लस’ सुरक्षा प्रदान की। अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि जिन विधायकों को सुरक्षा मुहैया कराई गई है, उनमें रमेश बोर्नारे, मंगेश कुदलकर, संजय शिरसत, लताबाई सोनवाने, प्रकाश सुर्वे और 10 अन्य विधायक शामिल हैं। अधिकारियों ने कहा था कि महाराष्ट्र में रह रहे उनके परिवारों को भी सुरक्षा प्रदान की जाएगी। अधिकारियों के अनुसार, विधायकों के महाराष्ट्र लौटने के बाद प्रत्येक पाली में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के लगभग चार से पांच कमांडो उनकी सुरक्षा करेंगे।
‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया है, ‘भाजपा अंतत: बेनकाब हो गई। वे कह रहे हैं कि शिवसेना में विद्रोह आंतरिक मामला है।’ संपादकीय में दावा किया गया है, ‘वडोदरा में एकदास (एकनाथ) शिंदे और देवेंद्र फड़णवीस की गुप्त बैठक हुई थी। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे।’ संपादकीय में कहा गया है कि केंद्र ने बैठक के तत्काल बाद बागी विधायकों को ‘वाई प्लस’ सुरक्षा प्रदान कर दी, जैसे कि वे ‘लोकतंत्र के रक्षक’ हों। ‘सामना’ में पूछा गया है कि क्या केंद्र सरकार को इस बात का डर था कि वे राज्य में वापस आने के बाद अपनी पार्टी में लौट जाएंगे? संपादकीय में कहा गया है, ”अब यह स्पष्ट हो गया है कि केंद्र और राज्य के भाजपा नेताओं ने ही इन अभिनेताओं (विद्रोही विधायकों) के लिए पटकथा लिखी है और वह पूरे तमाशे का निर्देशन कर रहे हैं।’ पार्टी ने दावा किया कि बागी विधायकों को वाई प्लस सुरक्षा मुहैया कराकर महाराष्ट्र के खिलाफ भाजपा की ”गद्दारी” का पर्दाफाश हो गया है।