जनजीवन ब्यूरो / वाराणसी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन पर वाराणसी में आयोजित अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया। अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के एक दिवसीय दौरे पर आये प्रधानमंत्री ने इस शिक्षा समागम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान भी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी विधानसभा चुनाव के लगभग 4 महीने बाद बुधवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे। पीएम मोदी एक जनसभा के दौरान 1743 करोड़ की 45 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। मोदी ने अपने इस दौरे के दौरान 553।76 करोड़ की तीस योजनाओं का लोकार्पण और 1220।58 करोड़ की 13 परियोजनाओं का शिलान्यास किया।
इस तीन दिवसीय शिक्षा समागम में 300 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपति, उच्च शैक्षणिक संस्थानों के निदेशक एवं शिक्षाविद शामिल हो रहे हैं। सम्मेलन का उद्देश्य पिछले दो वर्षों में कई पहलों के सफल कार्यान्वयन के बाद देश भर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने की नीतियों पर व्यापक विचार-विमर्श करना है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक सात से नौ जुलाई तक चलने वाले तीन दिनों के इस समागम के कई सत्रों में बहु-विषयक और समग्र शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार, भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण, डिजिटल सशक्तिकरण तथा ऑनलाइन शिक्षा, अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता, गुणवत्ता, रैंकिंग और प्रत्यायन, समान और समावेशी शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए शिक्षकों की क्षमता निर्माण जैसे विषयों पर चर्चा होगी।
उन्होंने बताया कि इस शिखर सम्मेलन से विचारोत्तेजक चर्चाओं के लिए एक ऐसा मंच मिलने की उम्मीद है जो कार्ययोजना और कार्यान्वयन रणनीतियों को स्पष्ट करने के अलावा ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा। सूत्रों ने बताया कि सम्मेलन में अंतःविषय विचार-विमर्श के माध्यम से एक नेटवर्क का निर्माण करने के साथ-साथ शैक्षिक संस्थानों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा होगी और उचित समाधानों को स्पष्ट किया जाएगा।
अखिल भारतीय शिक्षा समागम का मुख्य आकर्षण उच्च शिक्षा पर वाराणसी घोषणा को स्वीकार करना होगा। यह उच्च शिक्षा प्रणाली के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए भारत के व्यापक नजरिये और नए सिरे से उसकी प्रतिबद्धता को जाहिर करेगा।
शिक्षा समागम कार्यक्रम में पहुंचे शिक्षाविदों से पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘मैं काशी का सांसद हूं, आप मेरी काशी में पधारे हैं। यदि आपको कोई भी असुविधा होती है तो मैं उसके जिम्मेशदार होऊंगा।’ उन्होंने कहा कि अगले तीन दिनों तक यहां पर जो चर्चा होगी वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मजबूत करेगी। इस कार्यक्रम का उद्देश्यय बताते हुये उन्होंने कहा कि इसका लक्ष्यश है शिक्षा को 2021 के अनुरूप बनाना। हमारी पुरानी शिक्षा नीति को कुछ ऐसा बना दिया गया है जिसमें सफलता का अर्थ सिर्फ नौकरी पाना ही रह गया था। यह अंग्रेजों की बनाई शिक्षा पद्धति है। इसमें अब आधुनिक प्रयोग करने की आवश्यकता है।
उन्होंने एक किस्सा सुनाते हुये कहा, ‘एक बार जब मैं गुजरात का सीएम था। मुझे कुछ स्टूाडेंट्स ने एक तोहफा दिया। उसकी मदद से हमने कई प्रोजेक्टा पर काम किए।’ पीएम मोदी ने कहा, ‘नई नीति में पूरा फोकस बच्चों की प्रतिभा और च्वाइस के हिसाब से उन्हें स्कीसल्ड बनाने पर है। हमारे युवा स्कींल्डभ हों, कांफीडेंट हों, प्रैक्टिककल और कैलकुलेटिव हो, शिक्षा नीति इसके लिए जमीन तैयार कर रही है। आज हम दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम हैं। स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में जहां पहले केवल सरकार ही सब करती थी वहां अब प्राइवेट प्लेयर्स के जरिए युवाओं के लिए नई दुनिया बन रही है। उन्हों ने कहा, ‘हमें अपनी शिक्षा नीति को अंतरराष्ट्री य स्तिर पर लाना होगा।’
‘अपनी यूनिवर्सियटी को अब बदलने का समय आ गया है’
राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुये उन्हों्ने कहा कि भविष्य की जरूरतों को देखते हुये नई शिक्षा नीति को अपनाना होगा। उन्होंशने कहा कि 2014 के बाद से देश में कॉलेजों में 55 प्रतिशत की बढ़ोत्तररी हुई है। देश में किये गए कई प्रयासों से यह परिणाम मिल रहा है कि दुनिया की नामी यूनिवर्सिशटीज में अपने देश के शिक्षण संस्थाानों को भी स्थाकन मिलने लगा है।
पीएम मोदी ने कहा कि आज का बच्चाा गूगल को देख-समझकर आपसे सवाल पूछ रहा है। घरवाले सोचते हैं कि ये सिर खा रहा है। मगर मेरा मानना है कि इसका अर्थ यह हुआ कि आज का ज्ञानी उन्हें जवाब नहीं दे पा रहा है। अब य वे बच्चेछ आगे जाकर आज की शिक्षा पाएं तो क्या दस साल बाद यह नीति उनके योग्यन होगी?