जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । इस साल होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में है। इसको लेकर पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से एक चिट्ठी जारी की गई है। इसमें आगामी गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव को लेकर पर्यवेक्षकों की नियुक्ति को लेकर जानकारी दी गई है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गुजरात चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। उनके साथ छत्तीसगढ़ के मंत्री टीएस सिंह देव और युवा नेता मिलिंद देवड़ा पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद रहेंगे।
दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हिमाचल प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई है। भूपेश बघेल हिमाचल प्रदेश के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक होंगे। भूपेश बघेल का साथ देने के लिए सचिन पायलट और प्रताप सिंह को पर्यवेक्षक बनाया गया है।
आपको बता दें कि वर्तमान में कांग्रेस 2 राज्यों में अपने दम पर सत्ता में है। जबकि झारखंड और तमिलनाडु जैसे राज्यों में वह गठबंधन में है। हिमाचल प्रदेश और गुजरात में कांग्रेस का मुकाबला भाजपा से है। हालांकि, दोनों ही राज्यों में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी में भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रखी है। खुद अरविंद केजरीवाल लगातार दोनों ही राज्यों का दौरा कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए दोनों ही राज्यों में राह इतनी आसान नहीं है।
पिछले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद गुजरात के प्रभारी थे। इस बार राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा को गुजरात प्रभारी लगाया गया। इसके चलते रघु शर्मा को स्वास्थ्य मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। गहलोत ने गुजरात के प्रभारी रहते हुए बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी। पड़ौसी राज्य होने के नाते विधानसभा चुनाव में राजस्थान के नेताओं को मौका दिया गया है। राजस्थान से जिन नेताओं को गुजरात में पर्यवेक्षक लगाया गया है, वे स्थानीय नेताओं से रायशुमारी कर मजबूत दावेदारों की सूची अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को सौंपेंगे।
हिमाचल और गुजरात में कांग्रेस हर हाल में सत्ता वापसी की कोशिश में लगी हुई है। 1995 के बाद कांग्रेस गुजरात में अपने दम पर अब तक सरकार नहीं बना सकी है। वहीं, हिमाचल में 2017 में हुए चुनाव में पार्टी को सत्ता गंवानी पड़ी थी। यही कारण है कि इस साल के चुनाव को ध्यान में रखते हुए पार्टी अब खुद को रणनीतिक तौर पर तैयार करने और मजबूत रखने की कोशिश में जुट गई है।
माना जा रहा है कि आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव विपक्षी कांग्रेस के लिए सबसे कठिन चुनावों में से एक होने की संभावना है। कांग्रेस को गुजरात में दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है इसलिए सत्तारूढ़ भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस को यहां काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।
कांग्रेस को विश्वास है कि सत्ता विरोधी लहर का फायदा मिल सकता है। माना जा रहा है कि लोग इस साल के अंत में होने वाले गुजरात चुनावों में उनकी पार्टी को वोट देंगे, क्योंकि वे दो दशकों से अधिक समय से भाजपा के ‘कुशासन’ से तंग आ चुके हैं। लेकिन, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस अभी अपने संकट काल से गुजर रही है। इसलिए कांग्रेस के लिए यह चुनाव जीतना काफी मुश्किल रहेगा।