जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । कांग्रेस ने बढ़ती महंगाई को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला किया है। जुलाई माह और मुद्रास्फीति से लेकर बेरोजगारी तक 7 फीसदी से ज्यादा होने पर कांग्रेस प्रवक्ता गौरव बल्लव ने कहा 7 के अंक से भारत सरकार और मोदी चिपक चुके हैं। महंगाई दर 7.01 प्रतिशत है तो बेरोजगारी की दर 7.8 प्रतिशत हो गई है। जनवरी से लेकर अब तक रुपए में ह्राश 7 प्रतिशत पर पहुंच चुका है।
अप्रैल के महीने में खुदरा मंहगाई दर 7.79 फीसदी रही थी। खाद्य महंगाई दर जून में 7.75 फीसदी रही है, जो मई महीने में 7.97 फीसदी थी। वहीं एक साल पहले जून 2021 में खुदरा मुद्रास्फीति 6.26 प्रतिशत रही थी। आंकड़ों के अनुसार, सब्जियों की मुद्रास्फीति इस साल जून में घटकर 17.37 प्रतिशत पर आ गई जो मई में 18.26 प्रतिशत थी। वहीं अनाज और उसके उत्पादों की कीमतें जून में बढ़कर 5.66 प्रतिशत पर पहुंच गईं जो इससे पिछले महीने में 5.33 प्रतिशत पर थीं।
गौरव ने कहा कि ताजा जारी सरकार के आंकड़ो के अनुसार जून माह में 25 लाख लोगों ने अपनी नौकरी खौई है। जिसके कारण बेरोजगारी की दर 7.8 प्रतिशत तक पहुंच गई है। ताज आंकड़े सीएमआईई का है ।
उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में सब्जियों के भाव तेजी से बढ़े हैं। गौरव वल्लभ ने कहा, “पहले थाली से रोटी छीनी, अब सब्जियों की बारी थी। आटे पर 5% जीएसटी लगाने के बाद, जून 2022 में सब्जियों के भाव जून 2021 की तुलना में 17.37% बढ़े हैं।”
महंगाई की दर पिछले 33 महीनों से 4 प्रतिशत से ज्यादा है और पिछले 6 महीने से महंगाई की दर रिजर्व बैंक की अपर लिमिट 6 प्रतिशत से लगातार ज्यादा चल रही है। ईंधन श्रेणी की भी मुद्रास्फीति भी बढ़कर 10.39 प्रतिशत हो गई। इससे पूर्व मई महीने में यह 9.54 प्रतिशत थी। इसके अलावा फलों की कीमतें भी चढ़कर 3.10 प्रतिशत पर पहुंच गईं। इससे पिछले महीने में यह 2.33 प्रतिशत थी। रिजर्व बैंक (RBI) ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने खुदरा मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को 5.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत किया हुआ है। खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी 2022 से ही आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है।
एक तरफ तो महंगाई दर और साथियों एक और प्वाइंट मैं आपको बताना चाहता हूँ। एक नया टर्म इकॉनमी में आया है, श्रिंकफ्लेशन। एक तो हो गया इंफ्लेशन, एक नया टर्म चल रहा है- श्रिंकफ्लेशन। उसमें चीज का दाम है, उसको बढ़ाया नहीं जाता, दाम वही रखा जाता है, पर जो वस्तु की जो मात्रा है, उसको कम कर दिया जाता है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूँगा, श्रिंकफ्लेशन के, जो इकॉनमी में चल रहे हैं कि किस तरह श्रिंकफ्लेशन आपके और मेरे जीवन को नकारात्मक रुप से प्रभावित कर रहा है। उसके कुछ उदाहरण मैं आपके सामने लेकर आया हूँ। कुछ डाटा प्वाइंट्स दूंगा, जिससे आपको ये प्वाइंट बिल्कुल क्लियर होगा। पार्ले जी बिस्कुट- 10 रुपए दाम है। पहले आता था, 140 ग्राम, 10 रुपए का पैकेट, अब वो 140 ग्राम से 110 ग्राम का हो गया, इसको कहते हैं श्रिंकफ्लेशन।
दूसरा विम बार- आप और मैं, बर्तन धोने में वही प्रयोग करते हैं। पहले उसकी जो बट्टी होती थी, 155 ग्राम की, अब हो गई है, 135 ग्राम की। हल्दीराम की भुजिया का पैकेट 10 रुपए का, पहले उसमें 55 ग्राम, भुजिया आता था, अब 42 ग्राम आती है। मैगी- एक पैकेज में 80 ग्राम मैगी आती थी, अब 55 ग्राम के मैगी के नूडल्स आते हैं। रिन बार- पहले 150 ग्राम का बार होता था, अब 140 ग्राम का हो गया। व्हील डिटर्जेंट- 115 ग्राम होता था, एक पैकेट में, अब 110 ग्राम हो गया। इंफ्लेशन से जूझ रहे है, श्रिंकफ्लेशन से जूझ रहे हैं। मतलब दाम अगर कोई कंपनी नहीं घटा रही है तो वस्तु कितनी देगी, उसकी मात्रा घटा रही है। बेरोजगारी से जूझ रहे हैं और वित्तमंत्री कह रही हैं- दूसरे ग्रह में कितने अच्छे रंग हैं, अब बताइए। अरे वित्तमंत्री जी आप भारत की वित्तमंत्री हैं, आप प्लूटो और जूपिटर और उनकी वित्तमंत्री नहीं हैं। देश के लोगों ने आपकी पार्टी को चुना है, आपको देश के लोगों के जीवन में जो कठिनाई है, उनको सॉल्व करना है। उनके जीवन में किस तरह रंग भरा जाए उस पर आपका फोकस होना चाहिए, आप कह रहे हो कि दूसरे ग्रहों के रंग कितने अच्छे हैं, हवाएं कितनी अच्छी हैं। मुझे समझ में नहीं आ रहा कि उनके मन में हमारे देश के लोगों के रंग के प्रति कोई भी सकारात्मक उनके सुझाव का सकारात्मक पॉजिटिव एटीट्यूड क्यों नहीं है?
श्री लंका के हालातों को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में प्रो. वल्लभ ने कहा कि श्री लंका में जो हालात हैं, हमने इस पर अपनी एक रिलीज भी दी थी कि हालात बहुत गंभीर हैं, भारत की सरकार से हमने आग्रह भी किया था कि इस गंभीर हालत में श्री लंका के लोगों के साथ हमें खड़ा होना चाहिए। कांग्रेस पार्टी का ऐसा मानना है कि इस मुश्किल हालात में हमें श्री लंका के लोगों के साथ खड़े रहने की जरुरत है। रही बात कि क्या श्री लंका जैसे हालात भारत में उत्पन्न हो सकते हैं? मैं एक पॉजिटिव आउटलुक का आदमी हूँ, मुझे मेरे देश पर और मेरी अर्थव्यव्स्था पर पूर्ण विश्वास है कि अभी भी वो रिवर्ट कर सकती है, पर उसको सिर्फ दिशा दिखाने की जरुरत है। मैं कभी नहीं चाहूँगा और न मेरी पार्टी कभी ऐसा चाहेगी कि हमारा देश भी श्री लंका बने। हम तो हमारे देश पर गर्व करते हैं। हमें उम्मीद है कि हम इस जो मोदी जी ने हमें जो अर्थ नीति के कुचक्र में फंसाया है और क्यों फंसे हैं, हमने बार-बार आपके सामने बात रखी है। जब आप बिना सोचे-समझे नोटबंदी कर देते हो, जब आप बिना तैयारी के जीएसटी लागू कर देते हो, जब आप बिना सोचे-समझे तालाबंदी कर देते हो, ये नोटबंदी से तालाबंदी के सफर में आज इकॉनमी पर ताले लगे हैं।