जनजीवन ब्यूरो/नई दिल्ली/ : पुराने पीठ, गर्दन, चेहरे, कंधे, घुटने, जोड़ों के दर्द से परेशान रोगियों के लिए रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन (आरएफए) एक नई आशा बनकर सामने आया है। यह तकनीक उस समय सुर्खियों में आई जब टेनिस स्टार राफेल नडाल पुराने पैर के दर्द से परेशान थे। इस समस्या को दूर करने में अन्य सभी विकल्प फेल हो गए थे। दर्द से परेशान कुछ खिलाड़ियों को ही विंबलडन में खेलने का मौका दिया जाता है। इस आधुनिक प्रौद्योगिकी का एडवांस वर्जन अवनोस द्वारा लाया गया है और इसकी पहली मशीन आईपीएससी पेन और स्पाइन हॉस्पिटल में स्थापित की गई है। एकल विशेषता केंद्रों की यह श्रृंखला अत्याधुनिक रूप से स्पाइन की देखभाल और पुराने दर्द को प्रभावी तरीके से सही करता है।
आईपीएससी इंडिया के सीईओ और एमडी डॉ. (मेजर) पंकज एन सुरंगे ने कहा कि रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दर्द-संचारण तंत्रिका के एक हिस्से को रेडियोफ्रीक्वेंसी सुई के साथ गर्मी का घाव बनाने के लिए गर्म करना शामिल है। इस प्रकिया के माध्यम से मस्तिष्क को दर्द का संकेत भेजने से रोका जाता है। आरएफए उपचार सर्जरी, फिजियोथेरेपी, स्टेरॉयड इंजेक्शन, या एनेस्थीसिया जैसे पारंपरिक उपचारों की तुलना में लंबे समय तक दर्द से राहत प्रदान करता है। इसका प्रभाव एक से दो साल तक रहता है, जिसके बाद इस प्रक्रिया को फिर से दोहराया जा सकता है।कूल्ड आरएफए आरएफए प्रौद्योगिकी में नवीनतम नवाचार है। पुराने पीठ दर्द और जोड़ों के दर्द से पीड़ित रोगियों के लिए दर्द निवारक में यह एक क्रांति है।
भारत में आरएफए कई वर्षों से उपलब्ध है, हालांकि कूल्ड आरएफए को आईपीएससी ने देश में पहली बार पेश किया है। पीजीआई चंडीगढ़ और दिल्ली स्थित आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल के 25 से अधिक वरिष्ठ डॉक्टरों ने आईपीएससी द्वारा आयोजित कूल्ड आरएफए के साथ पुराने दर्द के प्रबंधन पर दो दिवसीय कार्यशाला में भाग लिया।
पारंपरिक आरएफए और कूल्ड आरएफए के बीच अंतर को बताते हुए डॉ (मेजर) पंकज एन सुरंगे ने कहा कि कूल्ड आरएफए में उपयोग किए जाने वाले इलेक्ट्रोड बड़े होते हैं, जिसके कारण पारंपरिक तकनीक की तुलना में प्रभावित क्षेत्र बड़ा होता है। इससे सफलता दर कई गुना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि भले ही तंत्रिका की अधिक लंबाई के साथ पूर्ण संरेखण को बनाए नहीं रखा जाता, तब भी घाव अपने बड़े आकार के कारण बहुत प्रभावी होता है। कूल्ड आरएफए का एक अन्य लाभ रीढ़ की हड्डी की डिस्क की स्थिति में इसका उपयोग है जो पीठ दर्द का कारण बनता है। इसमें विशेष कूल्ड सिस्टम है जो निरंतर समय तक तापमान बनाए रखती है और एक बड़े क्षेत्र को कवर करती है, जैसे संपूर्ण रीढ़ की हड्डी और यह किसी तरह के दर्द को रोक देती है। कूल्ड आरएफए न केवल दर्द को कम करने में मदद करता है बल्कि शुरुआती चरणों में क्षतिग्रस्त डिस्क की मरम्मत भी करता है।
आरएफए टिशु के अंदर सुई जैसे दिखने वाले एक इलेक्ट्रोड के माध्यम से एक विद्युत चुम्बकीय प्रवाह को पारित करके गर्मी उत्पन्न करता है। घर्षण ऊर्जा गर्मी पैदा करती है जो तंत्रिका ऊतक को स्थायी नुकसान पहुंचाए बिना स्कंदन की ओर ले जाती है। दर्द के प्रभाव को मस्तिष्क तक पहुंचाने वाले तंत्रिका को यह तकनीक अगले 1-2 साल के लिए सुन्न कर देता है। आरएफए प्रक्रिया में केवल 30-45 मिनट लगते हैं और इसे आवश्यकतानुसार कई बार दोहराया जा सकता है। कई मामलों में, दर्द से राहत स्थायी होता है। इस प्रकिया के दौरान रक्त परिसंचरण को प्रभाव नहीं पड़ता। इस तकनीक के माध्यम से दर्द को प्राकृतिक उपचार के माध्यम से दूर किया जाता है।
डॉ. (मेजर) पंकज एन सुरंगे ने कहा कि यदि दर्द के कारण को पकड़ लिया जाता है तो आरएफए तकनीक के माध्यम से दर्द को 95 फीसदी तक प्रभावी ढंग से दूर किया जा सकता है। यह फिजियोथेरेपी जैसे अन्य दर्द-नियंत्रण उपायों से बेहतर है जो केवल अस्थायी राहत देता है। वहीं सर्जरी करवाने पर खून की कमी होती है। साथ ही अस्पताल में भी भर्ती रहना पड़ता है। स्टेरॉयड इंजेक्शन की तुलना में आरएफए से कहीं बेहतर है। स्टेरॉयड का प्रभाव 3 से 4 सप्ताह तक रहता है, जबकि आरएफए का प्रभाव 1-2 साल तक रहता है।
तीन माह से अधिक समय तक लगातार रहने वाले दर्द को पुराने दर्द के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए चुनौती के रूप में तेजी से उभर रहा है। 19 फीसदी से अधिक भारतीय युवा आबादी किसी न किसी प्रकार के पुराने दर्द से पीड़ित है। इसमें
ज्यादातर संख्या महिलाओं की है। यह समस्या 65 वर्ष की आयु के बाद और तेजी से बढ़ जाता है। देखा गया है कि अधिकतर भारतीय अपनी दर्द की समस्याओं को दूसरों को बताने से कतराते हैं। देश में आम तौर पर पुराने दर्द में रीढ़ की हड्डी, जोड़ों, और माइग्रेन का दर्द शामिल हैं। पुराने दर्द में गठिया, रीढ़ की अपक्षयी स्थिति और कैंसर जैसी समस्या पुराने दर्द में आम समस्या है।
पुराने दर्द के अधिकांश मामलों के लिए कम आक्रामक और लक्ष्य-विशिष्ट हस्तक्षेप (जिसे इंटरवेंशनल दर्द प्रबंधन कहा जाता है) खुले सर्जिकल तरीकों की तुलना में बेहतर विकल्प हैं, क्योंकि इनमें रोगी को कम जोखिम और आघात होता है। वे अधिक सुरक्षित रहते हैं। यह तकनीक सस्ता भी है। साथ ही इस तकनीक के दौरान अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता भी नहीं होती है।