जनजीवन ब्यूरो / कोलंबो : श्रीलंका में आर्थिक संकट अब दिन-ब-दिन भयावह होते जा रहे हैं और स्थिति ये हो गई है, कि दवा और दो रोटी के लिए महिलाओं को सेक्स के लिए मजबर होना पड़ता है। फूड प्रोग्राम की आई रिपोर्ट में कहा गया है कि, श्रीलंका में करीब 60 लाख लोगों के सामने भीषण खाद्यान्न संकट पैदा हो गया है और इस आंकड़े में तेजी से इजाफा हो रहा है। खाना बचाने के लिए लोग अब सिर्फ दिन में एक ही बार खाते हैं और देश की 28 प्रतिशत आबादी गंभीर मुश्किलों में फंस गई है, जिसकी वजह से श्रीलंका में वेश्यावृति बढ़ने के साथ साथ महिलाओं को सेक्स के लिए मजबूर होना पड़ता है।
सेक्स के लिए मजबूर महिलाएं
श्रीलंका में स्थिति अब ये हो चुकी है, कि पैसों के लिए वेश्यावृति के धंधे में तेजी से इजाफा हो रहा है और आर्युर्वेदिक सेंटक और स्पा सेंटर अब अड्डे बनने लगे हैं और इस धंधे में तेजी से महिलाएं आ रही हैं, ताकि उनके पास कुछ पैसे आ सके। श्रीलंका के द मॉर्निंग न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, स्थिति अब इतनी विकराल हो चुकी है, कि स्पा सेंटर्स में पर्दे लटकाकर सेक्स किए जाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि, कपड़ा उद्योग में लगी महिलाएं काफी तेजी के साथ वेश्यावृति के इस धंधे में शामिल हो रही हैं और इस साल के अंत तक देश में ये दुर्गंध पूरी तरह से फैल जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि, कपड़ा उद्योग में शामिल महिलाएं उद्योद बंद होने के डर से अपने लिए वैकल्पिक रास्ता चुन रही हैं, लिहाजा कपड़ा उद्योद की स्थिति काफी बदतर होने लगी है।
लोगों के पास खत्म हो रहे हैं रास्ते
भीषण आर्थिक संकट में फंसे श्रीलंका में ज्यादातर उद्योग धंधे बंद हो रहे हैं और देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था ने महिलाओं को इस धंधे में आने के लिए मजबूर कर दिया है। एक सेक्स वर्कर ने श्रीलंकन अखबार को बताया कि, “हमने सुना है कि देश में आर्थिक संकट के कारण हम अपनी नौकरी खो सकते हैं और इस समय हम जो सबसे अच्छा समाधान देख सकते हैं, वह है सेक्स वर्क। हमारा मासिक वेतन लगभग 28,000 रुपये है, और हम ओवरटाइम के जरिए 35 हजार तक कमा सकते हैं। लेकिन, सेक्स वर्क में शामिल होकर हम इससे ज्यादा रुपये कमा लेते हैं’। महिला ने कहा कि, ‘सेक्स वर्क से हम एक दिन में 15,000 रुपये तक कमा सकते हैं’। महिला ने द मॉर्निंग को बताया कि, ‘हर कोई मेरी बात से सहमत नहीं होगा, लेकिन यह एक सच्चाई है।’ वहीं, Ecotextile.com की एक पूर्व रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका के ज्वाइंट अपैरल एसोसिएशन फोरम ट्रेड बॉडी ने खुलासा किया था कि, मौजूदा आर्थिक संकट के कारण श्रीलंका भारत और बांग्लादेश से मिले अपने ऑर्डर का 10 से 20 प्रतिशत हिस्सा खो रहा है और खरीददारों का विश्वास अब डोल चुका है।
सेक्स वर्कर्स की संख्या में 30% की वृद्धि
द मॉर्निंग और Ecotextile.com के साथ साथ यूके की टेलीग्राफ ने भी अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है, कि इस साल जनवरी के बाद से राजधानी कोलंबो में सेक्स इंडस्ट्री में 30 प्रतिशत नई महिलाएं शामिल हो गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, कि सेक्स इंडस्ट्री में शामिल होने वाली नई महिलाएं देश के अंदरूनी हिस्से से हैं, जिनके सामने आर्थिक संकट भयावह हो चुका है। ये महिलाएं पहले कपड़ा उद्योग में कार्यरत थीं। दोनों प्रकाशनों ने इस तथ्य पर देश के अग्रणी यौनकर्मियों की वकालत करने वाले समूह स्टैंड अप मूवमेंट लंका (एसयूएमएल) का हवाला दिया है। रिपोर्ट में एसयूएमएल की कार्यकारी निदेशक, आशिला डांडेनिया का हवाला देते हुए कहा गया है कि, ये महिलाएं “अपने बच्चों, माता-पिता या यहां तक कि अपने भाई-बहनों का पेट भरने या फिर उनका इलाज करवाने के लिए इस इंडस्ट्री में आने के लिए मजबूर हुई हैं’। रिपोर्ट में कहा गया है कि, सिर्फ सेक्स इंडस्ट्री ही एक ऐसा उद्योग बचा है, जहां पर कम समय में ज्यादा पैसा मिल जाता है।
पुलिस सुरक्षा में देह बेचने का कारोबार!
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि, सिर्फ कपड़ा उद्योद पर आये संकट से ही नहीं, बल्कि कई और फैक्टर्स हैं, जिनकी वजह से देह व्यापार काफी तेजी से बढा है, खासकर महंगाई की समस्या ने कपड़ा उद्योग में पहले से ही घटती मजदूरी को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है और महिलाओं को लगता है, कि उनके पास अब कोई और रास्ता नहीं बचा है। खासकर ईंधन, भोजन और दवा की कीमतों में बढ़ोतरी ने समस्या को भयावह बना दिया है और निराशा से भरी महिलाएं देह धंधे में उतर जाती हैं। रिपोर्टों से यह भी पता चलता है कि, आवश्यक वस्तुओं की तीव्र कमी के कारण स्थानीय दुकानदार भी महिलाओं को सेक्स करने के लिए मजबूर करते हैं और बदले में उन्हें राशन और दवाइयां देते हैं। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है, कि पुलिस सुरक्षा और पुलिस की नियमों के मुताबिक, कोलंबो बंदरगाह के पास स्थिति एक औद्योगिक क्षेत्र में बड़े स्तर पर देह व्यापार चलाया जा रहा है और इस व्यापार में शामिल कई महिलाओं को सुरक्षा के एवज में पुलिसकर्मियों के साथ भी सोने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
बनाए जाते हैं असुरक्षित संबंध
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि, इन महिलाओं की मजबूरी का कई स्तर पर फायदा उठाया जाता है और कई महिलाओं को ग्राहक असुरक्षित यौन संबंध बनाने के लिए बाध्य करते हैं। वहीं, दिनों दिन स्थिति और भी ज्यादा खतरनाक इसलिए भी होती जा रही है, क्योंकि इस इंडस्ट्री में भी माफिया आने लगे हैं और अलग अलग लोकल स्तरों पर भी छोटे छोटे ग्रुप बनने लगे हैं, जो सेक्स वर्क में शामिल हो जाते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले साल कृषि पैदावार में 50 फीसदी तक की कमी आई है। मई 2021 में राजपक्षे शासन द्वारा प्रतिबंधित रासायनिक उर्वरकों के कारण देश की कृषि भूमि के बड़े हिस्से को परती छोड़ दिया गया है, जिससे लोगों की परेशानी और बढ़ गई है। इसके साथ ही सेक्स वर्क में शामिल महिलाओं से हिंसा और दुर्वव्यवहार भी किया जाता है, लेकिन मजबूर महिलाओं के पास कोई और चारा नहीं बचा है।