अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । भारत में हर साल लगभग 1.5 लाख लोग रोड एक्सीडेंट में मारे जाते हैं. एक अध्ययन में पाया गया कि भारत सालाना सड़क दुर्घटनाओं के कारण लगभग तीन लाख करोड़ रुपए की सामाजिक आर्थिक कीमत चुकाता है.
यही वजह है कि सरकार 2024 तक सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य रखा है. भारत जैसे देश में खराब सड़क, यातायात के नियमों का पालन न करना और शराब पीकर वाहन चलाना सड़क दुर्घटना का प्रमुख कारण है. सड़क दुर्घटनाओं पर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़े दिल दहलाने वाले हैं. औसतन सड़क हादसों में हर घंटे 16 लोग मारे जाते हैं.
देश के बड़े शहरों में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है. सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाओं दिल्ली में होती है. इसके बाद चेन्नई, जयपुर, बेंगलुरू, मुंबई, कानपुर, लखनऊ, आगरा, हैदराबाद और पुणे का नाम आता. दिल्ली सड़क पर होने वाली मौतों के मामले में सबसे आगे रही जबकि उत्तर प्रदेश सबसे घातक प्रांत रहा.
राजस्थान की बात करें तो आंकड़े बताते हैं कि हर साल 10500 से ज्यादा मौतें सड़क हादसों में होती है. राजस्थान में सबसे ज्यादा Road Accident शाम 6 बजे से रात 9 बजे के बीच है. खास बात यह है कि सड़क दुर्घटनाएं मृतक के घर के नजदीक होती हैं.
हालांकि सरकार ने दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाई है. देश भर में ऐसी जगहों की पहचान की गई है, जहां सर्वाधिक दुर्घटनाएं होती हैं. दुर्घटनाओं में हुई मौतों के आधार पर देशभर में 786 ब्लैक स्पॉट की पहचान की गई है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है सड़क सुरक्षा बहुत ही गंभीर मुद्दा है और सड़क दुर्घटनाओं के लिए जीरो टॉलरेंस होना चाहिए. गडकरी का कहना है ब्लैक स्पॉट पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए.
नितिन गडकरी द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, साल 2017 में 4,64,910 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. साल 2020 में सड़क दुर्घटनाओं में कमी आई इस साल 3,66,138 रोड एक्सीडेंट हुए. वहीं, साल 2019 से तुलना की जाए तो साल 2020 में 18.46% कम एक्सीडेंट हुए. गडकरी ने बताया कि साल 2020 में हुई सड़क दुर्घटनाओं में 1,31,714 लोगों ने अपनी जान गंवाई. ये आंकड़ा साल साल 2019 के आंकड़े से 22.84% कम है.
साल 2017 से लेकर साल 2020 तक के चारों साल रोड एक्सीडेंट होने के मामले में तमिलनाडु नंबर-1 राज्य रहा है. इन चार सालों में 2 लाख से ऊपर लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. वहीं, तमिलनाडु के बाद सबसे ज्यादा हादसे मध्य प्रदेश में हुए. हालांकि दोनों राज्यों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. साल 2017 में 42,542 रोड एक्सीडेंट के साथ कर्नाटक नंबर-3 पर था. लेकिन साल 2017 में चौथे नंबर पर रहने वाले उत्तर प्रदेश ने साल 2018, 2019 और 2020 में कर्नाटक को पछाड़ते हुए तीसरे नंबर पर रहा. दोनों राज्यों में तीसरे और चौथे नंबर के लिए कांटे की टक्कर रही. आखिरकार कर्नाटक बहुत ही मामूली अंतर से तीसरे पायदान पर आकर खड़ा हो गया. केरल में कुल एक्सीडेंट के मामले में पांचवे नंबर पर रहा. वहीं देश में हुए कुल 17,47,094 एक्सीडेंट में से 8,97,815 एक्सीडेंट इन्हीं 5 राज्यों में हुए.
यूपी में हुई सड़क हादसों से सबसे ज्यादा मौतें
देश के जिन 5 राज्यों में सबसे ज्यादा एक्सीडेंट हुए उनमें से सिर्फ केरल ही मौत के मामले में टॉप-5 की लिस्ट से बाहर हुआ है. बाकी राज्यों ने सिर्फ अपनी जगह बदली है. महाराष्ट्र ऐसा राज्य है जो रोड एक्सीडेंट से होने वाली मौत के मामले में टॉप-5 में शामिल है. सड़क हादसों के मामले में चौथे नंबर पर रहने वाला उत्तर प्रदेश एक्सीडेंट में हुई मौत के मामले में अव्वल नंबर पर है. यूपी में 84,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई. दुर्घटनाओं के मामले में महाराष्ट्र की स्थिति तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और केरल से बेहतर थी लेकिन सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौत के मामले में महाराष्ट्र की हालत भी खराब रही. इन 4 सालों के दौरान कुल मिलाकर लगभग 50 हजार लोग सड़क दुर्घटनाओं मारे गए. देश की सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं तमिलनाडु में हुईं, सबसे ज्यादा मौत के मामले में भी तमिलनाडु टॉप-5 राज्यों में तीसरे पायदान पर खड़ा है. मध्य प्रदेश रोड एक्सीडेंट में दूसरे नंबर पर था तो मौत के मामले में चौथे नंबर पर.