जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली । देश के सबसे मजबूत प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी पोती प्रियंका गांधी को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाना चाहती थीं । इस बात का खुलासा गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले कांग्रेस नेता एमएल फोतेदार ने अपनी किताब ‘चिनार लीव्स’ में किया है। फोतेदार की इस किताब का विमोचन 30 अक्तूबर को होना है। हालांकि इंदिरा की इस मंशा की जानकारी जब सोनिया गांधी को हुई तो वह बहुत परेशान हो गयीं थीं।
इंदिरा के अंतिम दिनों के उन क्षणों को उनके पूर्व सहयोगी फोतेदार ने किताब की शक्ल में अंजाम दिया है। उन्होंने यह भी लिखा है कि इंदिराजी को अपनी मृत्यु का पूर्वाभास हो गया था ।
किताब में इंदिरा की अक्टूबर 1984 की आखिरी कश्मीर घाटी की यात्रा का विशेष विवरण है। फोतेदार ने अपनी किताब में पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के दावे का समर्थन करते हुए लिखा कि 2004 में सोनिया गांधी ने ‘अंतररात्मा की आवाज’ के बजाय पारिवारिक दबाव के चलते प्रधानमंत्री बनने से इनकार किया था।
फोतेदार ने लिखा है कि कश्मीर का यात्रा के दौरान एक मंदिर में वह गई थीं। मंदिर में उन्हें एहसास हो गया था कि उनके जीवन का अंत निकट आ गया है। फोतेदार ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत करते हुए कहा कि कार से वापसी में जब वह आ रहीं थीं कि वह दार्शनिक मुद्रा में थीं। उन्होंने विचारपूर्ण तरीके से कहा था कि प्रियंका को उत्तराधिकार से वंचित किया जा सकता है।…वह काफी सफल हो सकती है और लम्बे समय तक सत्ता में रह सकती है। इस बारे में मैंने राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी को भी बताया था कि कश्मीर यात्रा के बाद इंदिरा ने क्या कहा था, तो वह नाराज हो गई थी।
कांग्रेसी नेता ने लिखा है कि वीपी सिंह की सरकार के गिर जाने के बाद पूर्व राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन ने राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का विरोध किया था और वह प्रणब मुखर्जी को लाए जाने के पक्षधर थे। माधवराव सिंधिया 1999 में मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाने की सोनिया की योजना से अपसेट हो गए थे। उन्होंने इसे रोकने के लिए समाजवादी पार्टी के अमर सिंह के साथ लॉबिंग की थी। उन्होंने यह भी दावा किया है कि अरूण नेहरू को राजीव गांधी की ‘गुड बुक्स’ से बाहर करने में सोनिया और सतीश शर्मा की भूमिका थी।