जनजीवन ब्यूरो
अहमदाबाद । “भले ही उसका दिल शरीर से बाहर है, लेकिन उसे किसी तरह की परेशानी नहीं होती। अब इसकी आदत उसे हो गई है। आज तक किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई। वह सारे काम आम लोगों की तरह कर लेता है । चाहे वह बाइक या ट्रैक्टर चलाना हो, खेती-किसानी करना हो, यहांतक की पेड़ पर चढ़ना हो ।” यह कहना है 18 साल के अर्पित का।
गुजरात में ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसने मेडिकल साइंस को भी आश्चर्य में डाल दिया है। अहमदाबाद से 40 किमी दूर छापरा गांव में रहने वाले 18 साल के अर्पित का दिल जन्म से ही शरीर के बाहर है। उसके दिल को धड़कते हुए कोई भी देख सकता है।
छापरा गांव के किसान विक्रमभाई गोहिल का बेटा अर्पित मेडिकल साइंस के लिए एक पहेली है, क्योंकि आमतौर पर ऐसे बच्चों की मौत जन्म के कुछ समय बाद ही हो जाती है। लेकिन अर्पित आम लोगों की तरह सेहतमंद जिंदगी जी रहा है। इतना ही नहीं, अर्पित के लिए शरीर से बाहर धड़कता दिल कोई तकलीफ की बात भी नहीं है। वह आसानी से सारे काम कर लेता है, फिर चाहे वह बाइक या ट्रैक्टर चलाना हो या फिर पेड़ पर चढ़ना। अर्पित के पिता विक्रमभाई के मुताबिक, अर्पित का जन्म 1997 में हुआ। जन्म के वक्त उसका दिल बाहर देखकर डॉक्टर्स भी चौंक गए। परिवार ही नहीं, डॉक्टर्स तक को यह उम्मीद नहीं थी कि वह इतने दिन जिंदा रह सकेगा। लेकिन अर्पित अब 18 साल का हो चुका है। इस पर भी मेडिकल दुनिया का ध्यान इस अनोखे युवक पर नहीं गया।
नाडियाद (गुजरात) के हार्ट हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. संजीथ पीटर ने पूरी स्टडी और बेंगलुरु की हार्ट इंस्टीट्यूट की लाइब्रेरी में मौजूद रिकॉर्ड्स चेक करने के बाद दावा किया कि अर्पित भारत का अकेला ऐसा शख्स है, जिसका दिल सीने के बाहर धड़क रहा है।
नाडियाद के धर्मसिंह देसाई हार्ट इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. संजीथ पीटर के मुताबिक, इंसानी शरीर में यह स्थिति ‘पेंटेलॉजी केंट्रेल’ सिंड्रोम के चलते बनती है। इस सिंड्रोम का सीधा संबंध हार्ट और चेस्ट से होता है। यह समस्या जन्म से जुड़ी होती है। यह बच्चे को ज्यादा दिन जीने नहीं देती। यह स्थिति पांच तरह की दिक्कतों के कारण बनती है-
1. नाभि के ऊपर पेट के हिस्से में डिसऑर्डर
2. छाती के निचले हिस्से का पूरी तरह से डेवलप न हो पाना
3. दिल से जुड़ी इंटेस्टाइन का पूरी तरह डेवलप न होना
4. पेट और छाती के बीच दिक्कत
5. दोनों फेफड़ों के बीच डिसऑर्डर
अब तक दुनिया में ऐसे 156 मामले सामने आए हैं। लेकिन इनमें से अधिकतर बच्चों की मौत हो गई। 50 बच्चे 12 साल की उम्र पूरी कर सके। पिछले साल अमेरिका के न्यूज पेपर ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ में चीन की 26 साल की लड़की का ऐसा ही मामला सामने आया था। लेकिन मुश्किल सर्जरी के बाद दिल को वापस शरीर में फिट कर दिया गया था।