जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का एलान किया है। शरद पवार ने अपने इस्तीफे में कई भावनात्मक बातें भी कही हैं। पवार ने कुछ दिनों पहले इसको लेकर इशारा भी किया था। पवार के एलान के बाद पार्टी में बैठकों और इस्तीफों का सिलसिला शुरू हो गया है।
महज 27 साल की उम्र में शरद पवार विधायक बन गए थे। उनका सियासी सफर 50 साल से भी ज्यादा का है। पवार आज भले ही देश में राजनीति के केंद्र बिंदु में हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब इनके पूर्वजों को पानी के लिए पलायन करना पड़ा था। आज हम पवार के परिवार की पूरी कहानी बताएंगे। शरद पवार के परिवार में कौन-कौन है यह भी जानेंगे।
शरद पवार के करीबी बताते हैं कि उनके पूर्वज महाराष्ट्र के सातारा के रहने वाले थे। 18वीं सदी के दौरान सातारा में भयानक सूखे का कहर पड़ा। लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरसने लगे। तब बड़ी संख्या में लोगों ने सातारा से पलायन कर दिया। इन्हीं में शरद पवार के पूर्वज भी थे। पवार के पूर्वज सातारा से पलायन करके बारामती के काटेवाडी पहुंचे और यहीं बस गए।
कहा जाता है कि पवार के पूर्वज सातारा के भोंसले (छत्रपति शिवाजी के वंशज) के सैनिकों के रूप में काम करते थे। जब बारामती के काटेवाडी पहुंचे तो यहां उन्होंने खेती शुरू की और बंजर जमीनों को उपजाऊ बना दिया। पवार के पूर्वजों ने गन्ने की खेती में खूब मेहनत की और जबरदस्त उत्पादन करने लगे।
शरद पवार के पिता गोविंद राव पवार गन्ने की खेती किया करते थे। वह शिक्षित नहीं थे, लेकिन उनके तेज दिमाग और किसानों के लिए अच्छी सोच से हर कोई प्रभावित रहता था। उन्होंने पूरे बारामती के गन्ना उत्पादकों को एकजुट किया और एक सहकारी समिति बनाई।
यह एक बड़ी सफलता थी और आसपास के अन्य जिलों में भी सहकारी गतिविधि फैलने लगी। इसमें से साख समितियां और चीनी सहकारी कारखाने शुरू किए गए। लंबे समय तक गोविंद राव गन्ना सहकारी समिति के अध्यक्ष रहे।
शरद पवार की मां का नाम शारदाबाई था। वह बच्चों की शिक्षा के लिए काफी जागरुक थीं। वह चाहती थीं कि हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिले। पवार ने अपनी आत्मकथा में मां के बारे में खूब जिक्र किया है। उन्हें अपना प्रेरणास्रोत बताया है।
पवार ने लिखा है कि उनकी मां महिलाओं के लिए एक नाइट स्कूल और एक नाइट क्लिनिक भी चलाती थीं। ब्रिटिश शासन के दौरान जिला अधीक्षक ने मेरी मां को बारामती महिला उत्कर्ष समिति में नियुक्त किया था। शारदाबाई पवार परिवार की पहली महिला सदस्य थीं, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा था। उन्होंने स्थानीय निकाय चुनाव लड़ा था।
गोविंद राव पवार और शारदाबाई के कुल 11 बच्चे हुए। शरद पवार ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि मेरी मां 11 बच्चों और पति की देखरेख के अलावा खेतों की भी देखभाल करती थीं। सार्वजनिक जीवन में भी वह उतनी ही सक्रिय थीं। पवार अपने 11 भाई-बहनों में नौवें नंबर पर थे।
उन्होंने अपनी आत्मकथा में इसका जिक्र किया है। लिखा है कि मां शारदा बाई 12 दिसंबर, 1911 को कोल्हापुर के नजदीक एक गरीब किसान परिवार में पैदा हुई थीं। मां-बाप उन्हें पढ़ाना चाहते थे, इसलिए पुणे में लड़कियों के हॉस्टल ‘सेवा सदन’ में रहकर उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की।
इसी उम्र में माता-पिता नहीं रहे। बड़ी बहन के पति श्रीपत राव जादव ने उन्हें पढ़ाया। सातवीं तक पढ़ने के बाद सेवा सदन में ही उन्होंने काम शुरू किया। समाज सुधारक रमाबाई रानाडे ने ये संस्था लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से 1915 में शुरू की थी। 1926 में शारदा की शादी गोविंद राव से हो गई।
शरद पवार ने अपनी आत्मकथा में बताया है कि 1938 में कांग्रेस के कहने पर शारदा बाई ने पुणे लोकल बोर्ड में महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ा। नौ जुलाई, 1938 को वे निर्विरोध चुनी गईं। इसके बाद 14 साल तक इसी सीट से जीतती रहीं। उन्होंने पुणे लोकल बोर्ड में पब्लिक हेल्थ, पब्लिक वर्कर्स, बजट, पंचायत कमेटी और स्टैंडिंग कमेटी की जिम्मेदारियां निभाई थीं।
मां वामपंथी विचारों वाली तेज-तर्रार सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं। 1952 में एक हादसे ने उनका करियर खत्म कर दिया। वे एक घायल सांड़ की देखरेख कर रही थीं, तभी उसने हमला कर दिया। उनकी कई हड्डियां टूट गईं और बाकी जिंदगी उन्हें बैसाखी के सहारे बितानी पड़ी। शरद के कांग्रेस जॉइन करने के आठ साल बाद पुणे के अस्पताल में उन्होंने 12 अगस्त, 1975 को अंतिम सांस ली।
पवार के भाई-बहनों की कहानी
यूं तो पवार 11 भाई-बहन हैं। सात भाई और चार बहनें। हालांकि, पांच भाई-बहनों की जानकारी ही सार्वजनिक है। इसमें अप्पा साहेब, अनंतराव, शरद पवार, प्रताप और सरोज पाटिल हैं। अन्य भाई और बहनों की जानकारी उपलब्ध नहीं है।
शरद पवार के बड़े भाई अप्पा साहेब का निधन हो चुका है। अप्पा साहेब के दो बच्चे हैं। राजेंद्र और रंजीत। राजेंद्र कृषि के क्षेत्र में व्यवसाय करते हैं, जबकि रंजीत वाइन इंडस्ट्री में हैं। राजेंद्र के बेटे रोहित भी राजनीति में है। वह पुणे जिला परिषद का सदस्य हैं।
शरद पवार के दूसरे बड़े भाई अनंतराव का भी निधन हो चुका है। अनंतराव के तीन बच्चे श्रीनिवास, अजित पवार और विजया पाटिल हैं। जित ही एनसीपी प्रमुख के सबसे बड़े दावेदार हैं। अजित इस वक्त महाराष्ट्र विधानसभा में एनसीपी के नेता हैं। दो बार डिप्टी सीएम रह चुके हैं। अजित के दो बच्चे हैं। पार्थ और जय। पार्थ राजनीति में हैं, जबकि जय उद्यमिता के क्षेत्र में अपना करियर बना रहे हैं। अजित के बड़े भाई श्रीनिवास एग्रीकल्चर और ऑटोमोबाइल सेक्टर में बिजनेस कर रहे हैँ। बहन विजया पाटिल मीडिया के क्षेत्र में काम कर रहीं हैं।
देश के बड़े सियासी चेहरों में से एक शरद पवार की एक बेटी सुप्रिया सुले हैं। सुप्रिया सांसद हैं और एनसीपी चीफ की दूसरी सबसे बड़ी दावेदार हैं। पूर्व क्रिकेटर सदाशिव शिंदे की बेटी प्रतिभा शरद पवार की पत्नी हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि शादी के दौरान ही शरद पवार ने बोल दिया था कि वह एक ही बच्चा चाहते हैं। फिर वह बेटी हो या बेटा।
शरद पवार के छोटे भाई प्रताप वाइन और मीडिया बिजनेस संभालते हैं। प्रताप के इकलौते बेटे अभिजीत हैं। अभिजीत भी मीडिया के क्षेत्र में काम करते हैं।
शरद पवार की छोटी बहन सरोज पाटिल गृहणी हैं। वह ज्यादा मीडिया के सामने नहीं आती हैं।