जनजीवन ब्यूरो /नई दिल्ली: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से भारत की स्वास्थ्य सेवाओं में काफी क्रांतिकारी बदलाव आ रहे हैं. इससे पेशंट की देखभाल, एडवांस डायग्नोज और मिनिमली इनवेसिव सर्जिकल प्रक्रियाओं के एक नए युग की शुरुआत हो रही है. इन्हीं पहलुओं को उजागर करने के लिए जेईई, नीट और अन्य प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की कोचिंग कराने में अग्रणी विद्यामंदिर क्लासेस (वीएमसी) मेडिकल प्लस विंग ने जीव विज्ञान के नाम से एक एडुकेटर्स शिखर सम्मेलन 2023 का आयोजन किया.
इस सम्मेलन में कई नामचीन हस्तियां मौजूद रहीं. पैनल एक्सपर्ट में डॉक्टर अंजलि हुड्डा, इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड लाइफ स्किल प्रमोशन के सीनियर साइकेट्रिस्ट डॉक्टर जितेंद्र नागपाल, विद्यामंदिर क्लासेस के चीफ अकेडमिक ऑफिसर (सीएओ) सौरभ कुमार, विद्यामंदिर क्लासेस के चीफ बिजनेस ऑफिसर (सीबीओ) अभिषेक शर्मा, आईआईआईटी दिल्ली के लक्ष्य सिंह मौजूद रहे. इन सभी लोगों ने हेल्थकेयर सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका को लेकर जानकारी दी.
एआई तकनीक के आने से, पूरे भारत में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं ने बड़ी मात्रा में मरीजों के डेटा तक अभूतपूर्व पहुंच प्राप्त की है. इससे अस्पतालों को बेहतर निर्णय लेने, सटीक निदान प्रदान करने और व्यक्तिगत/कस्टमाइज्ड ट्रीटमेंट प्लान करने में मदद की है. पैनलिस्टों ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे एआई-संचालित एल्गोरिदम मेडिकल रिकॉर्ड, क्लीनिकल इमेज और जेनेटिक डेटा का तेजी से विश्लेषण कर सकते हैं. इस सबका मरीजों को कई तरह से लाभ मिलता है.
विद्यामंदिर क्लासेस के चीफ अकेडमिक ऑफिसर (सीएओ) सौरभ कुमार ने हेल्थकेयर इकोसिस्टम पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के असर पर बताया, ‘’एआई ने सर्जरी की प्रक्रिया को पूरी तरह से बदल दिया है. सर्जरी अब कम इनवेसिव हो गई हैं, बहुत ही सटीक हो गई हैं, मरीजों की रिकवरी बहुत तेज हो गई है. एआई एल्गोरिदम से संचालित रोबोट की मदद से सर्जरी में डॉक्टरों को मदद मिल रही है, इससे वो सटीक तरह से सर्जरी कर पाते हैं, सर्जरी के खतरे कम हो जाते हैं और ऑपरेशन के बाद होने वाली दिक्कतें भी कम हो जाती हैं. सर्जिकल प्रक्रिया में हुए ये एडवांसमेंट मरीजों के लिए क्रांतिकारी साबित हो रहे हैं. साथ ही बढ़ती हुई तकनीक मेडिकल एस्पिटरेंट्स के लिए नए रास्ते खोल रही है, चाहे वो रिसर्च के क्षेत्र में हो, नॉलेज के लिहाज से हो या फिर करियर अवसर को लेकर हो.’’
विद्यामंदिर क्लासेस के चीफ बिजनेस ऑफिसर (सीबीओ) अभिषेक शर्मा मैल्कम ग्लैडवेल के प्रसिद्ध बेस्टसेलिंग उपन्यास आउटलेर्स के शब्दों से प्रेरणा लेते हैं: ‘’10,000 घंटे का अभ्यास महारत हासिल करने की दहलीज है.” बिल गेट्स, बीटल्स, जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर और अन्य सफल एथलीटों या अन्य स्पोर्टिंग ट्रेलब्लेज़र जैसे दिग्गजों पर एक नज़र डालें और आप देखेंगे कि उन्होंने एक मकाम हासिल करने के लिए अपने कौशल का सम्मान करने के लिए अनगिनत घंटे समर्पित किए.’’
“वास्तव में परेशान करने वाली बात यह है कि एआई में इस रिकॉर्ड को पूरी तरह से उलटने की क्षमता है. यह केवल एक घंटे के अभ्यास के साथ एक विशिष्ट गतिविधि या खेल में महारत हासिल कर सकता है. एआई का 1 घंटा = मानव अभ्यास के 10000 घंटे , AI का 1 वर्ष = 10000 वर्षों के बराबर होता है. AI निश्चित ही एक जबरदस्त गेम चेंजर होगा. हमारे पास विकल्प है कि या तो AI के विरोध में रहें, या इसे सहयोग और निर्माण के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करें.’’
पैनलिस्टों ने इस बात पर जोर दिया कि हेल्थकेयर में एआई डायग्नोस्टिक्स और सर्जरी से परे है. इसके जरिए मरीज की निगरानी, डिजीज मैनेजमेंट और टेलीमेडिसिन में सुधार किया जा सकता है. एआई-संचालित पहनने योग्य डिवाइस और रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम महत्वपूर्ण संकेतों की निरंतर ट्रैकिंग को सक्षम करते हैं, जिससे असामान्यताओं का शीघ्र पता लगाने और समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप की सुविधा मिलती है. इसके अलावा, एआई एल्गोरिदम का लाभ उठाने वाले टेलीमेडिसिन प्लेटफ़ॉर्म मरीजों को दूरस्थ क्षेत्रों में डॉक्टरों और रोगियों के बीच की खाई को पाटने में भी अहम भूमिका निभाते हैं.
डेटा सिक्योरिटी और प्राइवेसी से जुड़ी चिंताओं पर पैनल के सदस्यों ने मजबूत डेटा सुरक्षा ढांचे और सख्त नैतिक दिशानिर्देशों के पालन के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इन परिवर्तनकारी तकनीकों में जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए स्वास्थ्य सेवा में एआई के विकास और तैनाती को मरीज की गोपनीयता और डेटा गोपनीयता को प्राथमिकता देनी चाहिए.
जैसे-जैसे एआई का विकास हो रहा है, भारत के अस्पताल इन तकनीकों को अपना रहे हैं. पैनलिस्ट इस बात पर सहमत हुए कि मेडिकल प्रोफेशनल, शोधकर्ताओं और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों के बीच सहयोग एआई की क्षमता को आगे बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में नवाचार को चलाने के लिए महत्वपूर्ण है.
पैनेलिस्टों ने बताया कि एआई के जरिए भारत की स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए जा सकते हैं. स्वास्थ्य सेवा की बेहतरी के लिए तकनीक का लाभ उठाने के लिए बढ़ती विशेषज्ञता से मरीजों को काफी लाभ पहुंच रहा है.