जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। अहम बात यह है कि यह अविश्वास प्रस्ताव ऐसे समय में लाया गया है जब मोदी सरकार के पास पूर्ण बहुमत है।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर विपक्ष यह अविश्वास प्रस्ताव क्यों लेकर आई। दरअसल मणिपुर मुद्दे को लेकर विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर है। विपक्ष मांग कर रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर संसद के भीतर अपना बयान दें और इस मुद्दे पर चर्चा करें।
27 बार लाया गया अविश्वास प्रस्ताव
इससे पहले भी कई बार सरकार के खिलाफ विपक्ष सदन में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है। अभी तक कुल 27 बार सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है। आज से पहले आखिरी बार जुलाई 2018 में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। हालांकि यह अविश्वास प्रस्ताव गिर गया था और इसके पक्ष में 126 वोट पड़े थे, जबकि इसके खिलाफ 325 सांसदों ने वोट किया था।
सबसे पहले किसके खिलाफ आया अविश्वास प्रस्ताव?
सबसे पहले देश में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ लाया गया था। यह प्रस्ताव समाजवादी नेता आचार्य कृपलानी लाए थे। हालांकि यह गिर गया था, इसके खिलाफ 347 लोगों ने वोट दिया था। इस अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 62 वोट पड़े थे।
किस सरकार के खिलाफ कितने प्रस्ताव?
लोकसभा में सबसे अधिक बार इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। उनके खिलाफ 15 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। लाल बहादुर शास्त्री सरकार के खिलाफ तीन बार और नरसिंह राव सरकार के खिलाफ 3 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।
वहीं राजीव गांधी, वीपी सिंह, चौधरी चरण सिंह, मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ 1-1 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है। वहीं मोदी सरकार के खिलाफ यह दूसरा अविश्वास प्रस्ताव है।
अविश्वास प्रस्ताव के चलते तीन बार सरकारें गिर चुकी हैं। 1990 में वीपी सिंह सरकार, 1997 में एचडी देवेगौड़ा सरकार और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को अविश्वास प्रस्ताव के चलते सत्ता से बाहर होना पड़ा था।
क्या है मौजूदा स्थिति
फिलहाल लोकसभा के नंबर की बात करें तो भाजपा के पास 301 सांसद हैं, जबकि एनडीए के पास 333 सांसद हैं। विपक्ष की बात करें तो उसके पास लोकसभा में 142 सांसद है। जिसमे से सबसे सअधिक कांग्रेस के पास हैं। कांग्रेस के पास 50 सांसद हैं। ऐसे में साफ है कि यह अविश्वास प्रस्ताव आसानी से सदन में गिर सकता है।
मणिपुर के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में हंगामा जारी है, इस बीच विपक्षी दलों ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया। वैसे तो सत्ताधारी एनडीए के पास संख्याबल है, ऐसे में वो जीत हासिल कर लेगी। इस वजह उसके नेता भी सहज स्थिति में नजर आ रहे। मौजूदा वक्त में लोकसभा में बीजेपी के 301 सांसद हैं। अगर उसके सहयोगी दलों को मिला लें, तो एनडीए का आंकड़ा 333 का है। वहीं दूसरी ओर विपक्ष के पास कुल 142 सांसद हैं, ऐसे में उसके अविश्वास प्रस्ताव का टिकना मुश्किल है। हालांकि इतिहास में तीन प्रधानमंत्री ऐसे भी रहे हैं, जिनकी सरकार के लिए अविश्वास प्रस्ताव ‘काल’ बन गया।
जनता दल के नेता वीपी सिंह 1989 से 1990 तक प्रधानमंत्री पद पर रहे। वैसे तो उनकी सरकार को कई दलों का समर्थन प्राप्त था, लेकिन राम मंदिर के मुद्दे पर 1990 में बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया। जिसके बाद उनके खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव आया और वो हार गए। इस पर उन्होंने 10 नवंबर 1990 को इस्तीफा दे दिया था। वो कुल 11 महीने तक ही पीएम पद पर रहे। देवेगौड़ा (1997) 1996 के आम चुनाव के बाद संयुक्त मोर्चा गठबंधन सरकार बनी, जिसके तहत 1 जून 1996 को जनता दल के नेता देवेगौड़ा प्रधानमंत्री बने। उनको कांग्रेस का भी समर्थन प्राप्त था। करीब 10 महीने बाद अचानक से सीताराम केसरी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया। जिसके बाद संसद में अविश्वास प्रस्ताव आया, उसमें वो हार गए।
बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी दो बार प्रधानमंत्री बने और दोनों ही कार्यकाल में उनको अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा। वो पहली सरकार 17 अप्रैल 1999 को अविश्वास प्रस्ताव एक वोट से हार गए। उस वक्त जयललिता के नेतृत्व वाली अन्नाद्रमुक ने समर्थन वापस ले लिया। हालांकि फिर से उनकी सत्ता में वापसी हुई। 2003 में उनके दूसरे कार्यकाल में भी विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया, लेकिन उस वक्त वो जीत गए थे।