जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने शनिवार को एक बार फिर अपनी पार्टी में टूट से इनकार किया और कहा कि यह सच है कि कुछ विधायक पार्टी छोड़कर चले गए हैं, लेकिन केवल विधायकों का मतलब पूरी राजनीतिक पार्टी नहीं है।
पवार ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर में संवाददाताओं से कहा कि वह राकांपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और जयंत पाटिल इसकी राज्य इकाई के प्रमुख हैं। उन्होंने कहा, ”राकांपा विभाजित नहीं हुई है। हालांकि यह सच है कि कुछ विधायक चले गए हैं, लेकिन विधायकों का मतलब राजनीतिक पार्टी नहीं है।
पवार बोले- बागियों का नाम लेकर इतना महत्व क्यों दिया जा रहा
यह पूछे जाने पर कि क्या वह पार्टी के बागियों के प्रति नरम रुख अपना रहे हैं, पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “बागियों के नाम लेकर उन्हें महत्व क्यों दिया जा रहा है।” शुक्रवार को जब पवार से उनकी बेटी और पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले के बयान के बारे में पूछा गया कि राकांपा विभाजित नहीं हुई है और अजित पवार उसके नेता बने रहेंगे, तो उन्होंने कहा, “हां… इस बारे में कोई विवाद नहीं है। लेकिन कुछ घंटे बाद पवार ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया।
अजित पवार और एनसीपी के आठ विधायकों ने दो जुलाई को बदल लिया था पाला
अजित पवार और राकांपा के आठ अन्य विधायक दो जुलाई को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार में शामिल हो गए थे, जिससे शरद पवार द्वारा स्थापित पार्टी में विभाजन हो गया था।
एनसीपी संस्थापक ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर एजेंसियों के दुरुपयोग का लगाया आरोप
राकांपा प्रमुख ने स्वीकार किया कि कुछ विधायकों ने शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने के बारे में उन्हें पत्र लिखा था जब शिवसेना में विभाजन के बाद महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी। उन्होंने कहा, ”लेकिन कोई फैसला नहीं किया गया था।” भाजपा नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए पवार ने कहा, ”मैं फासीवादी प्रवृत्तियों का विरोध करता रहूंगा। केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग हुआ है।”