जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : बालीपारा फाउंडेशन ने कंजर्वेशन इंटरनेशनल के साथ साझेदारी करते हुए आज ‘द ग्रेट पीपल्स फॉरेस्ट ऑफ द ईस्टर्न हिमालया’ इनिशिएटिव की शुरुआत की। इस पहल का उद्घाटन श्री अमिताभ कांत, जी20 शेरपा, की उपस्थिति में नई दिल्ली में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के मल्टीपर्पज हॉल में किया गया। यह दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा रीफॉरेस्टेशन और कंजर्वेशन प्रयास है, जिसे इस इनिशिएटिव के जरिये तेजी दी गई है। इसे भारत की जी20 प्रेसीडेंसी थीम ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ के एक हिस्से के रूप में शुरू किया गया है।
इस पहल का लक्ष्य एक अरब पेड़ लगाने और पूर्वी हिमालय में दस लाख हैक्टेयर जमीन को रीस्टोर और सुरक्षित करने के लिए एक अरब अमेरिकी डॉलर जुटाना है। यह क्षेत्र भूटान, बांग्लादेश, नेपाल और भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों तक फैला हुआ है। इसमें जंगलों की बहाली और स्थानीय आजीविका की सुरक्षा का काम करने के लिए समुदायों को शामिल किया जाएगा।
पूर्वी हिमालय क्षेत्र पूर्वोत्तर भारत, भूटान, नेपाल और बांग्लादेश के पहाड़ों, घाटियों, मैदानों और डेल्टा तक फैला है। यह एक विशाल सिंगल कनेक्टेड इकोसिस्टम है, जिसकी दो प्रमुख नदियां – गंगा और ब्रह्मपुत्र – दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ों के ग्लेशियरों से पोषित होती हैं। ये नदियां बांग्लादेश में मिलकर दुनिया का सबसे बड़ा डेल्टा बनाती हैं, जो सुंदरबन में दुनिया के सबसे बड़े मैंग्रोव वन द्वारा संरक्षित है। यह चौंका देने वाला पारिस्थितिक महत्व का क्षेत्र है, जो ग्रह पर मौजूद बायोडायवर्सिटी के बारहवें हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें दो बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट भी शामिल हैं।
यह मानवता के लिए भी अत्यंत महत्व का क्षेत्र है, जहां पृथ्वी पर सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्र हैं, जहां एक अरब लोग अपनी आजीविका और अस्तित्व के लिए सीधे तौर पर इसकी भूमि और पानी पर निर्भर हैं। इसके बावजूद हर साल 100,000 हैक्टेयर जंगल नष्ट हो जाता है और वैश्विक महत्व की पर्यावरणीय और सामाजिक संपत्ति के रूप में इसकी स्थिति इसके महत्व के बारे में अंतरराष्ट्रीय जागरूकता और न ही इसके संरक्षण और बहाली में निवेश से मेल नहीं खाती है, जिसके लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
इस इनिशिएटिव के लॉन्च के अवसर पर बालीपारा फाउंडेशन के अध्यक्ष, रंजीत बरठाकुर ने कहा, “यह ऐतिहासिक प्रयास पूर्वी हिमालय और उस पर सीधे निर्भर एक अरब लोगों को इंटरनेशनल कंजर्वेशन एजेंडे पर लाएगा। ग्रेट पीपल्स फ़ॉरेस्ट उस क्षेत्र की रक्षा का हमारा आंदोलन है जिसे हम अपना घर कहते हैं। भारत की जी20 प्रेसिडेंसी ने हमें इस महत्वाकांक्षी, रचनात्मक पहल को डिजाइन करने के लिए प्रोत्साहित किया है और हम उन अरबों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की उम्मीद करते हैं जो इस खूबसूरत क्षेत्र की जमीन और पानी पर निर्भर हैं।
कंजर्वेशन इंटरनेशनल एशिया पैसिफिक के एसवीपी डॉ. रिचर्ड जियो ने कहा कि, “लोगों ने अमेज़ॅन और कांगो बेसिन की दुर्दशा पर सही ढंग से प्रकाश डाला है। लेकिन हम पूर्वी हिमालय और हमारी धरती के लिए इसके विशाल पारिस्थितिक महत्व के बारे में उतनी तत्परता से बात नहीं करते हैं जितनी हमें करनी चाहिए। पूर्वी हिमालय के लोग हमारे ग्रह पर सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील लोगों में से हैं, जो ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्र के बढ़ते स्तर और लगातार व अधिक हिंसक तूफानों से खतरे में हैं। और उन्होंने ऐतिहासिक उत्सर्जन का केवल सबसे छोटा अंश ही योगदान दिया है, जिसके कारण जलवायु संकट उत्पन्न हुआ है, जिसकी वे अब अग्रिम पंक्ति में हैं। ग्रेट पीपुल्स फ़ॉरेस्ट इस संकट के प्रति उनकी प्रतिक्रिया है और इसकी ऐतिहासिक महत्वाकांक्षा और पैमाने को इस क्षेत्र के पारिस्थितिक महत्व पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित करना चाहिए। हम इस ऐतिहासिक पहल को डिजाइन करने और डिलीवर करने के लिए बालीपारा फाउंडेशन, क्षेत्रीय भागीदारों और भारत की जी20 प्रेसिडेंसी के साथ साझेदारी करके उत्साहित हैं।”
ग्रेट पीपल्स फ़ॉरेस्ट जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता को पहुंची हानि की साझा चुनौतियों के लिए एक तत्काल प्रतिक्रिया है, जिसके माध्यम से स्थानीय संरक्षणवादी उस क्षेत्र की रक्षा के लिए साथ आ रहे हैं जिसे वे अपना घर कहते हैं। इस मिशन के माध्यम से किए गए सभी संरक्षण कार्य प्रकृति-समर्थक, अर्थव्यवस्था-समर्थक दृष्टिकोण के साथ स्थानीय लोगों के जीवन और आजीविका को प्राथमिकता देंगे।