अमलेंदु भूषण खां / मुंबई : महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में अब तक की सबसे बड़ी बगावत हुई है। एनसीपी में फूट के चलते अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में सीटों के बंटवारे का क्या समीकरण होगा? इस पर मंथन जारी है। इस बीच, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के बारामती लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की चर्चा है। अगर ऐसा हुआ तो शरद पवार के गढ़ बारामती में ननद बनाम भाभी का सियासी मुकाबला देखने को मिलेगा। बारामती से अभी शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले एनसीपी सांसद है।
महाराष्ट्र के पुणे ज़िले के बारामती को पवार परिवार का गढ़ माना जाता है, जहाँ से पवार परिवार राजनीति में दशकों से जड़ जमाए हुए है। खबर है कि बारामती लोकसभा क्षेत्र से सुप्रिया सुले को हराने के लिए बीजेपी ने कमर कस ली है। चर्चा है कि बीजेपी ने सुप्रिया सुले को हराने के लिए पवार परिवार से ही किसी को उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है। जिसमें सुनेत्रा पवार का नाम सबसे ऊपर बताया जा रहा है। लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि क्या राजनीति में बच्चों की सक्रिय भागीदारी बढ़ाने की चाहत रखने वाली सुनेत्रा पवार वाकई सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी।
बारामती के सियासी समीकरण
बारामती लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा क्षेत्र हैं। विधानसभा क्षेत्रों में बारामती, इंदापुर, दौंड, पुरंदर हवेली, खडकवासला, भोर-वेल्हा शामिल हैं। इनमें एनसीपी के दो, कांग्रेस के दो और बीजेपी के दो विधायक हैं। खडकवासला और दौंड विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के विधायक हैं।
एनसीपी से अजित पवार और दत्तात्रय भरणे, कांग्रेस से संग्राम थोपटे और संजय जगताप, बीजेपी से राहुल कुल और भीमराव तापकीर विधायक हैं। हालाँकि एनसीपी विधायक दत्तात्रय भरणे अब अजित पवार के पक्ष में हैं। जबकि भोर के विधायक संग्राम थोपटे और शरद पवार के बीच संबंध अच्छे नहीं हैं। जबकि पुरंदर के विधायक संजय जगताप अजित पवार की वजह से जीते हैं। लेकिन पुरंदर तालुका के कुछ लोगों को छोड़कर पूरी एनसीपी शरद पवार के पक्ष में है।
सुप्रिया सुले को मात देना आसान नहीं!
सुनेत्रा पवार राज्य के एक शक्तिशाली परिवार से आने वाली पॉवरफुल बहू भी हैं। ऐसे में चर्चा जोर पकड़ रही है कि सुनेत्रा पवार बारामती लोकसभा क्षेत्र से ननद सुप्रिया सुले के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी। पहले कहा जा रहा था कि सुले के खिलाफ अजित पवार के बेटे पार्थ पवार चुनाव लड़ेंगे।
2019 लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले के खिलाफ बीजेपी के राहुल कुल की पत्नी कंचन कुल खड़ी हुईं। कंचन कुल 1 लाख 30 हजार वोटों से हार गईं। जबकि 2014 में महादेव जानकर सुप्रिया सुले के खिलाफ बारामती से उतरे थे। जानकर को 69 हजार 666 वोटों से हार मिली थी।
सुप्रिया सुले Vs सुनेत्रा पवार
सुप्रिया सुले राजनीति में आने से पहले महिला सशक्तिकरण, आदिवासियों के शैक्षणिक और सामाजिक विकास के साथ-साथ पवार चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से कई सामाजिक कार्यों में सक्रिय थीं। साथ ही आज भी अनेक समाज कल्याण से जुड़े काम यशवंतराव चव्हाण विकास प्रतिष्ठान के माध्यम से कर रहीं हैं। अपने कामों से वह लोगों से सीधे संपर्क में है। वह पहले राज्यसभा के लिए चुनी गईं। इसके बाद वह लगातार तीन बार बारामती लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहीं। सुप्रिया सुले ने अपने संसदीय क्षेत्र के हर गांव का दौरा किया है। सुनेत्रा पवार और सुप्रिया सुले विद्या प्रतिष्ठान संस्था के जरिये शिक्षा के क्षेत्र में लगातार काम कर रहीं हैं।
वहीं, सुनेत्रा पवार भी कई संगठनों से जुड़ी हैं। उनकी पहल से टेक्सटाइल उद्योग से बड़ी संख्या में महिलाएं जुड़ी है। जिससे कई परिवारों की महिलाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। वे ग्राम स्वच्छता, स्मार्ट विलेज, पर्यावरण संतुलित ग्राम के जरिये भी सक्रिय हैं। शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय है। सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय में सीनेटर सुनेत्रा पवार पुणे जिले में खासकर बारामती विधानसभा क्षेत्र में प्रभावशाली शख़्सियत हैं।