जनजीवन ब्यूरो
मोकामा । टाल क्षेत्र के नाम से मशहूर यह क्षेत्र हमेशा से बाहुबलियों का गढ़ रहा है। वर्तमाम विधायक अनंत सिंह, जेल से ही चुनाव लड़ रहे हैं ।फरवरी 2005 से लगातार मोकामा से जीतते रहे हैं। पहले जेडीयू कैंडिडेट के तौर पर और अब निर्दलीय हैं। लेकिन, इस बार लोग अनंत सिंह, नीतीश में विश्वास और लालू के डर के बीच फंसे हुए हैं । पटना से मोकामा जाने के लिए जिस जगह गंगा पर बने पुल की शुरुआत होती है, वहीं एक ढाबा है। इस ढाबे पर खाना खाने वालों और खिलाने वालों के बीच चुनावी चर्चा केवल ‘दादा’ और उनकी ‘जिंदादिली’ के किस्सों तक ही सीमित है।
ढाबे पर चाय पी रहे मोहन सिंह कहते हैं, ‘दादा ने कई बेटियों की शादियां करवाई हैं। उन्होंने इस विधानसभा क्षेत्र में अनगिनत लोगों की मदद की है। बीमार पड़ने पर वह अच्छे से अच्छे डॉक्टर से हमारे इलाज का प्रबंध करवाते हैं। उन्हें नापसंद करने का सवाल ही नहीं है।’
अनंत सिंह के पुराने प्रतिद्वंद्वदी रहे हैं सूरज सिंह। पूर्व सांसद हैं। सूरज भान के नाम से मशहूर हैं। उन्होंने अपने भाई कन्हैया सिंह को लोजपा (रामविलास पासवान की पार्टी) से उम्मीदवार बनवाया है। यहां से चुनाव लड़ रहे एक और उम्मीदवार हैं ललन सिंह, जो सूरज भान के करीबी हैं। लोजपा से टिकट के असली दावेदार वही थे, पर अंतत: सूरज भान के भाई बाजी मार ले गए। ललन ने पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी से टिकट लिया। चुनावी मुकाबले में चौथे उम्मीदवार हैं जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार। चारों उम्मीदवार भूमिहार हैं।
अनंत सिंह भी कुछ महीने पहले तक जेडीयू में ही थे, लेकिन मर्डर के केस में आरोपी बनाए जाने के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी। ढाबे पर खाना खा रहे एक व्यक्ति के मुताबिक, ‘लालू प्रसाद ने अनंत सिंह को पुटुस यादव के कत्ल के आरोप में फंसा कर यहां बैकवर्ड-फॉरवर्ड के बीच बंटवारा कराने की कोशिश की।’ असल में लालू ने कत्ल को बड़ा मुद्दा बना कर नीतीश कुमार को अनंत सिंह के खिलाफ एक्शन लेने के लिए राजी किया था। लालू को लगता है कि वह कत्ल के मुद्दे को भुना कर यादव वोटर्स को अपने साथ जोड़ सकेंगे।
अनंत सिंह फिलहाल जेल में हैं। उनकी पत्नी नीलम देवी उनके लिए वोट मांग रही हैं। वह लोगों को बता रही हैं कि छोटे सरकार (अनंत सिंह को इलाके में लोग इस नाम से भी बुलाते हैं) राजनीतिक साजिश का शिकार हुए हैं। नीलम घर-घर जा रही हैं। चुनाव क्षेत्र में भूमिहारों, यादवों और धानुक की मिली-जुली आबादी है।
मोकामा पारंपरिक रूप से अनंत सिंह के परिवार का गढ़ रहा है। उनके बड़े भाई दिलीप सिंह ने 1990 और 1995 में जनता दल के टिकट पर चुनाव जीता था। 2000 में सूरज भान जीते। उसके बाद अनंत सिंह मैदान में उतरे और लगातार जीतते रहे।
इस बार जेडीयू उम्मीदवार नीरज कुमार खुद को नीतीश के कैंडिडेट के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे हैं। साफ छवि के कुमार क्षेत्र के विकास की बात कर रहे हैं। यहां के किसान साल में बस एक फसल (दाल की) ही ले पाते हैं। बाकी समय जमीन नदी के पानी में डूबी रहती है या उसमें रेत भरी होती है। नीरज को उम्मीद है कि भूमिहार वोट बंटेंगे और यादव व धानुक मतदाता उनके पक्ष में वोट डालेंगे। एक जेडीयू नेता ने कहा, ‘अनंत सिंह जेल में हैं। भूमिहार वोटर्स के पास अपनी जाति के कई उम्मीदवार होने के कारण असमंजस की स्थिति रहेगी। सामाजिक समीकरण और विकास का मुद्दा हमें फायदा दिलाएगा।’
मोकामा के रहने वाले रमेश कुमार कहते हैं, ‘यह अनंत सिंह और लालू-नीतीश खेमे के लिए प्रतिष्ठ की सीट बन गई है। अनंत सिंह की जीत का मतलब होगा कि किसी पार्टी से नहीं जुड़े होने के बावजूद इलाके में उनका दबदबा सबसे ज्यादा है। मतदाता नीतीश में विश्वास और लालू के डर के बीच फंसा हुआ है। हालांकि, वह अपनी राय जाहिर नहीं कर रहा है। यहां छोटे सरकार के खिलाफ जाता कोई दिखना नहीं चाहता।’