जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली: 25 सितंबर की रात 10.06 बजे, जब से भाजपा ने एमपी विधानसभा चुनाव के लिए 39 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है, कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। पहला संदेश यह माना जा रहा है कि ‘मामा’ की जगह कोई दूसरा चेहरा मध्य प्रदेश में बीजेपी का सीएम फेस हो सकता है। दूसरा और बड़ा संदेश उन नेताओं के लिए हैं जो केंद्रीय मंत्री या सांसद हैं और उन्हें विधायकी लड़ने वापस ‘एमपी गजब है’ भेजा जा रहा है। केंद्रीय मंत्रियों को वापस विधायक का चुनाव लड़ने भेजकर भाजपा ने आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए ही नहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी बड़ा संदेश दे दिया है। जी हां, अंदरखाने से जो खबर निकलकर सामने आ रही है उससे साफ है कि ये सांसद महोदय अपने बेटे या करीबियों के लिए टिकट मांग रहे थे। भाजपा स्पष्ट रूप से राष्ट्रीय स्तर पर संदेश देना चाहती है कि वह भाई-भतीजावाद को बढ़ावा नहीं देगी। उसकी अपनी समस्या यह है कि जिस बात पर वह क्षेत्रीय दलों और कांग्रेस को घेरती आ रही है वो गलती खुद कैसे कर दे। ऐसा कर भाजपा ने खुद को तोप समझने वाले बड़े नेताओं को एक तरह से फंसा भी दिया है। हां, उन्हें कमजोर सीटों पर भेजा गया है। इससे उन नेताओं का भी टेस्ट हो जाएगा कि वे कितने पावरफुल हैं या मोदी लहर में ही नइया पार कराते रहना चाहते हैं।
MP की राजनीति को करीब से समझने वाले बताते हैं कि नरेंद्र सिंह तोमर हों, कैलाश विजयवर्गीय या प्रह्लाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते- ये सभी नेता शिवराज सिंह चौहान के समकालीन हैं। सीएम के लिए इनके भी नाम चलते रहते हैं। चारों एक साथ विधानसभा चुनाव में उतर रहे हैं तो यूं समझ लीजिए कि मोदी ने शिवराज के सामने चुनौती तो खड़ी कर ही दी है।
बेटे की सीट पर लड़ेंगे पिताजी
यहां बात उन प्रमुख नेताओं की करते हैं जिन्हें विधायकी लड़ने एमपी भेजा जा रहा है। पहला बड़ा नाम है कैलाश विजयवर्गीय का। इनके बेटे आकाश विजयवर्गीय इंदौर-1 से विधायक हैं और पिता को टिकट मिलने से बेटे का टिकट कटना पक्का हो गया है। मीडिया में उनका बयान भी आया है। कुछ घंटे पहले उनका दर्द छलक पड़ा जब उन्होंने कहा कि आकाश ने मेहनत कर जगह बनाई है लेकिन पार्टी का आदेश मानना पड़ेगा। मैं आश्चर्यचकित हूं।
तोमर को भी लगा झटका
इसी तरह नरेंद्र सिंह तोमर मुरैना से सांसद और कृषि मंत्री भी हैं लेकिन दिमनी विधानसभा से वह इस बार चुनाव लड़ेंगे। 24 घंटे पहले तक यहां से उनके बेटे देवेंद्र तोमर की बात चल रही थी। अब बेटे की मांग के उलट पिता जी को पार्टी ने विधायकी के लिए उतार दिया है। गौर करने वाली बात यह है कि दिमनी कांग्रेस का गढ़ रहा है। 2008 में आखिरी बार बीजेपी यहां से जीती थी। कुछ लोग कह रहे हैं कि तोमर को कांग्रेस के किले में जीतने के लिए जोर आजमाइश करनी होगी। अंदरखाने चर्चा भी हो रही है कि तोमर यहां घिर तो नहीं गए? केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल को नरसिंहपुर से उतारा गया है। इसी सीट से उनके भाई विधायक हैं। अब प्रह्लाद के आने से भाई जी का टिकट कटना तय है।
भाजपा का मंत्र
भाजपा चुनाव में एक परिवार के एक ही सदस्य को उम्मीदवार बनाने की कोशिश करती है। बताते हैं कि सतना से सांसद गणेश सिंह एमपी चुनाव में अपने भाई के लिए पैरवी कर रहे थे। अब माननीय सांसद जी खुद सतना से लड़ेंगे। इसी तरह से जबलपुर पश्चिम के सांसद राकेश सिंह को जबलपुर से उम्मीदवार बनाया गया है। कहते हैं कि वह भी अपने किसी खास को इस सीट से टिकट देने की मांग कर रहे थे। वैसे, नेताओं से जब पूछा जाता है तो वे यह कभी नहीं कहते हैं कि किसी अपने के लिए वे सीट चाहते थे।