प्रवीण कुमार
मध्य प्रदेश के धार क्षेत्र का इतिहास अति प्राचीन समय से जुड़ा है। धार और मांडू का वर्णन इतिहास की पुस्तकों में दर्ज है। पवार वंश के राजा यहां के शासक थे। धारा नगरी से धार का नाम का उद्भव हुआ। आजादी के बाद से धार-बदनावर संयुक्त विधानसभा सीट थी। 1951 -52 में यहां से कांग्रेस विजयी रही थी। 1957 के चुनाव में धार नाम से नामकरण हो गया और यह पृथक सीट हो गई। 1957 के चुनाव में धार से हिन्दू महासभा के वसंत राव प्रधान विजयी रहे थे।
1962 के चुनाव में कांग्रेस ने हिन्दू महासभा के उम्मीदवार को पराजित कर कब्जा कर लिया था। 1967 में वसंतराव प्रधान हिंदू महासभा के बजाय जनसंघ से चुनाव लड़े और विजय रहे थे। 1972 में पुनः कांग्रेस की धार विधानसभा से विजय हुई। इस तरह बारी-बारी से प्रत्येक दल को मतदाता मौका मिलता रहा।
1977 के चुनाव में देश में जनता पार्टी की लहर व्याप्त थी। तब छात्र नेता विक्रम वर्मा जो इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज में छात्रसंघ से जुड़े रहे, उन्हें जनतापार्टी का उम्मीदवार बनाया और वे विजयी रहे। 1980 में भी विक्रम वर्मा विजय रहे थे। 1985 और 1998 के चुनाव में विक्रम वर्मा को पराजय का सामना करना पड़ा था। 1998 में करणसिंह पवार से वर्मा मात्र 147 मतों से पराजित हो गए थे। विक्रम वर्मा राज्यसभा से सांसद और खेल युवा मामलों के मंत्री रहे। विक्रम वर्मा धार जिले की जमीनी राजनीति से जुड़े रहे।
पिछले तीन चुनाव से लगातार विक्रम वर्मा की पत्नी नीना वर्मा विजयी होती रही हैं। वर्ष 2008 में काफी कशमकश में वे एकमात्र मत से विजय रही थीं। नीना वर्मा का चुनाव कोर्ट द्वारा शून्य घोषित कर दिया था। 2013 में नीना वर्मा पुनः चुनाव मैदान में खड़ी हुईं और कांग्रेस के बालमुकुंद गौतम को 11482 मतों से पराजित कर विजय प्राप्त की थी। 2018 में नीना वर्मा का मुकाबला प्रभा गौतम से हुआ और इसमें नीना वर्मा विजय रही थी।
क्यों हो रहा है विरोध
पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता जो लंबे समय से पार्टी का कार्य कर रहे हैं। वे इस बात से नाराज हैं कि धार की सीट एक परिवार की हो गई है और अन्य को मौका नहीं मिल पा रहा है। इस बार के चुनाव में भाजपा ने नीना वर्मा को पुनः मौका देकर असंतोष को बढ़ा दिया है। धार के मिलन गार्डन में आयोजित कार्यक्रम में परिवारवाद का आरोप लगा कर विरोध किया गया। इस बार नीना वर्मा की राह इतनी आसान नहीं है। मतदाता का रुख यह सब दिशा तय करेगा और यह भविष्य ही बताएगा।
धार मतदाता संख्या
कुल मतदाता- 2 लाख 57 हजार 888
पुरुष- 1 लाख 33 हजार 375
महिला- 1 लाख 24 हजार 500
थर्ड जेंडर- 13
रोचक जानकारी
- धार विधानसभा में पहली महिला उम्मीदवार 1967 में कांग्रेस से प्रमिला बाई खड़ी हुई थीं, पर वे तीसरे स्थान पर रही थीं।
- सबसे कम मतों से विजय होने का रिकॉर्ड नीना वर्मा का 1 वोट से और विक्रम वर्मा का 147 मतों से पराजय का है।
- सर्वाधिक 16 उम्मीदवार मैदान में वर्ष 2013 में थे और न्यूनतम उम्मीदवार 3 वर्ष 1972 एवं 1977 में थे।
- सर्वाधिक मतदान वर्ष 2008 में 75.17 प्रतिशत हुआ था।