जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली । केंद्र सरकार ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ के अपमान को लेकर पंजाब में हुए बवाल को लेकर केंद्र सरकार बेहद गंभीर दिख रही है। सरकार को आशंका है कि इस विवाद को भडका कर राज्य में आतंकवाद फिर से न अपनी जड़ जमा ले। फिलहार केंद्र सरकार राज्य सरकार की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है । खुफिया एजेंसियों को मिले सुराग संकेत दे रहे हैं कि पंजाब में खालिस्तान आंदोलन को फिर से खड़ा करने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने साजिश रची है।
बताया जाता है कि इस बवाल के पीछे विदेशी हाथ होने का आधार यह है कि दो संदिग्धों ने ऑस्ट्रेलिया में फोन किया था । यह जानकारी पंजाब पुलिस को तब मिली, जब उसने फरीदकोट में ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को अपमानित किए जाने के बाद जसविंदर सिंह और रूपिंदर सिंह को गिरफ्तार किया था।
पंजाब पुलिस का यह मानना है कि इस घटना को अंजाम देने के लिए मुमकिन है कि ऑस्ट्रेलिया और दुबई से पैसे मुहैया कराए गए हों। इससे खुफिया एजेंसियों को उस शक को और ताकत मिलती है कि खालिस्तान समर्थक तत्वों के साथ पंजाब में चरमपंथ को फिर से हवा देने की आईएसआई साजिश कर रही हो।
इससे पहले खुफिया एजेंसियों को सुराग मिले थे कि पाकिस्तान में आईएसआई ने लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के आतंकवादियों से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में सिख चरमपंथी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के आतंकी भी शरीक हुए थे।
मुलाकात का मकसद पंजाब, दिल्ली और जम्मू और कश्मीर में आतंकी हमलों को अंजाम देना था। यह सुराग मिलने के करीब एक महीने के अंदर ही फरीदकोट में गुरु ग्रंथ साहब के अपमान की घटना, इस आशंका को और पुख्ता करती है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के करतारपुर साहिब गुरुद्वारे 15 से 20 आतंकियों को सिख परंपराओं और गुरुमुखी भाषा सिखाई गई। उन्हें पंजाब की भौगोलिक स्थिति के बारे में भी बताया गया था।
इसके अलावा इस साल की शुरुआत में कट्टरपंथी सिख संगठनों द्वारा ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, पाकिस्तान और मलेशिया में ऑपरेशन ब्लूस्टार की बरसी मनाए जाने पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियां चिंता जता चुकी हैं। हाल ही में आईएसआई के अधिकारियों ने लंदन के साउथहाल में एक गुरुद्वारे का दौरा किया था। बताया जा रहा है कि इसका मकसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वहां होने वाली यात्रा के पहले परेशानी पैदा करना था।