अमलेंदु
वैशाली: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के उत्तराधिकारी की लड़ाई दांव पर लगी हुई है. लालू और राबड़ी के दोनों बेटे चुनाव मैदान में हैं. महुआ से बड़े बेटे तेज प्रताप चुनाव लड़ रहे हैं तो राघोपुर से छोटे बेटे तेजस्वी की किस्मत दांव पर है. वैशाली जिले की इन दोनों सीटों पर चुनाव तीसरे फेज में 28 अक्टूबर को है.
लालू ने तेजस्वी के लिए पूरा जोर लगा रखा है. जबकि राबड़ी और मीसा भारती महुआ में तेज प्रताप को जिताने के लिए घर घऱ घूम रही हैं. राघोपुर सीट पर लालू और राबड़ी 1995 से जीतते रहे हैं. 2010 में जेडीयू के सतीश कुमार राय ने राबड़ी देवी को हराकर लालू की खानदानी कहे जानी वाली राघोपुर सीट पर कब्जा जमा लिया था.
अब वही सतीश राय लालू के बेटे तेजस्वी को टक्कर दे रहे हैं. लालू यादव ने इस बार चुनाव प्रचार की शुरुआत राघोपुर से ही की थी. खुद नीतीश कुमार भी तेजस्वी के लिए दो बार प्रचार कर चुके हैं.
2009 के चुनाव के बाद लालू के परिवार से कोई भी चुनाव नहीं जीता है. 2009 में लालू छपरा से सांसद बने थे. लेकिन अगले ही साल 2010 के विधानसभा चुनाव में राबड़ी देवी विधानसभा का चुनाव हार गईं. 2014 के लोकसभा चुनाव में कोर्ट के फैसले की वजह से लालू खुद उम्मीदवार नहीं बन सकते थे इसलिए पत्नी राबड़ी को छपरा और बड़ी बेटी मीसा भारती को पाटलिपुत्र से उतारा था. लेकिन दोनों सीटों पर पार्टी हार गई.
अब एक बार फिर दोनों बेटों को लालू लड़ा रहे हैं. तेजस्वी यादव चुनाव जीत जाते हैं तो अपनी मां की हार का बदला लेकर बिहार की राजनीति में अपनी पारी की शुरुआत करेंगे. अगर हार जाते हैं तो फिर राजनीति की राह में कांटे ही कांटे मिलेंगे. चुनाव जीतने और नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद तेजस्वी को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. वो जिम्मेदारी डिप्टी सीएम और किसी बडे विभाग के मंत्री की भी हो सकती है. लेकिन राघोपुर में हार होने के बाद तेजस्वी का राजनीतिक करियर भंवर में फंस जाएगा.
राघोपुर में फिलहाल मुकाबला सीधा है. लेकिन यादवों के छोटे छोटे क्षत्रपों की वजह से लड़ाई दिलचस्प हो गई है. यादव वोटरों की बहुलता की वजह से ही लालू ने तेजस्वी को यहां से उतारा है. लेकिन मुकाबला यादव जाति के उम्मीदवारों के बीच ही है. 2010 के चुनाव में यादव वोट सीधे सीधे दो खेमों में बंट गया था. राजपूत वोट एकमुश्त सतीश राय के खाते में गया था. जबकि पासवान वोट राबड़ी को मिला था.
यादव, राजपूत और पासवान वोट पहले, दूसरे और तीसरे नंबर पर है. इस समीकरण का नतीजा ये हुआ कि राबड़ी हार गईं. इस बार के जातीय गणित को देखें तो तेजस्वी के लिए राघोपुर की राह आसान नहीं दिख रही है. यादव तो बंटा ही हुआ है. छिटपुट छोड़कर पासवान और राजपूत वोट सतीश राय के खाते में जाता दिख रहा है. कई स्थानीय समीकरण भी तेजस्वी के खिलाफ है.
बताया जा रहा है कि लालू-राबड़ी का चुनाव प्रबंधन देखने वाले भोला राय इस बार निष्क्रिय हैं. भोला राय के साथ जुड़े रहे पुराने लोग भी नाराज बताये जा रहे हैं. सतीश राय के लोगों ने स्थानीय और बाहरी का नारा बुलंद कर रखा है. लालू के लिए किसी भी हाल में अड़ और लड़ जाने वाले शिवजी पहलवान की चुनाव एलान से कुछ दिन पहले हत्या हो गई थी.
शिवजी पहलवान अपने इलाके में यादवों को लालू के पक्ष में गोलबंद करते थे. कहा जाता है कि शिवजी पहलवान की चाहत राघोपुर से चुनाव लड़ने की थी. हत्या के बाद उनके समर्थकों ने पत्नी के लिए टिकट की मांग भी रखी थी. लेकिन तेजस्वी की उम्मीदवारी पहले से तय थी लिहाजा उनकी मांग खारिज हो गई. अब यही लोग लालू के बेटों के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं.
बीजेपी उम्मीदवार सतीश राय के लिए रामविलास पासवान, सुशील कुमार मोदी, नित्यानंद राय जैसे नेता लगातार प्रचार कर रहे हैं. यादव के बाद सबसे ज्यादा राजपूत वोटरों की संख्या है. लेकिन स्थानीय बीजेपी नेता के बेटे राकेश रौशन समाजवादी पार्टी के टिकट पर मैदान में उतर कर राजपूत वोट में सेंधमारी कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी को जितने भी राजपूत वोट पड़ेंगे उसका नुकसान बीजेपी उम्मीदवार को होगा.
राघोपुर विधानसभा सीट हाजीपुर सुरक्षित लोकसभा में पड़ता है. हाजीपुर से रामविलास पासवान सांसद हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में राघोपुर क्षेत्र में रामविलास पासवान को 63 हजार वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार को 55 हजार . जेडीयू के रामसुंदर दास को महज 14,555 वोट मिले थे.
वोटों के इस गणित को देखें तो कांग्रेस और जेडीयू का कुल वोट 70 हजार होता है. जबकि बीजेपी का वोट 63 हजार. ये हालत तब है जब यादवों का एक मुश्त वोट कांग्रेस को मिला था. जबकि इस बार फूट है. 2010 के चुनाव में सतीश कुमार राय को 64 हजार और राबड़ी देवी को 51 हजार वोट मिले थे. कल की रिपोर्ट में पढ़िए लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप की महुआ सीट का क्या है हाल ? क्या महुआ का महाभारत जीत पाएंगे तेज प्रताप.