जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : जनसंख्या के लिहाज से देश का सबसे बड़ा प्रदेश एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनना चाहता है। क्या उत्तर प्रदेश में यह क्षमता है, वह भी तब जब इसकी पहचान एक पिछड़े और बीमारु राज्य के तौर पर रही हो? अपराध और माफिया जिस राज्य की पहचान रहे हों, निवेशक जिधर देखना पसंद ना करते हों, क्या वह उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का सपना भी देख सकता है? कुछ साल पहले तक तो इस सवाल का जवाब ‘ना’ में होता, लेकिन मोदी योगी के डबल इंजन शासन में राज्य इस सपने को हकीकत में बदलना चाहता है। जिस राज्य ने आर्थिक सुधारों की बदौलत सात सालों में अपनी जीडीपी को 12.47 लाख करोड़ से बढ़ाकर 26 लाख करोड़ तक पहुंचाया है, वह राज्य यह सपना देख सकता है। एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना आसान नहीं है, लेकिन आपको एक छोटी सी कहानी के जरिये बताते हैं कि कोशिश हो तो यह मुश्किल भी नहीं है। बनारस से सटे चंदौली जनपद में पुराने जीटी रोड पर स्थिति डांडी में उद्योगपति दीपक बजाज ने 2008 में अनिरुद्ध फूड लिमिटेड की स्थापना की थी। इस प्रोजेक्ट ने सैकड़ों लोगों को नौकरी और रोजगार दिया। दीपक बजाज ने अपनी कई अन्य व्यसायिक गतिविधियों को भी जनपद चंदौली तक ही सीमित रखा। राज्य के ही किसी दूरदराज के जिले में अपने व्यवसाय का एक्सटेंशन करने या नया उद्योग स्थापित करने की कोशिश नहीं की, क्योंकि उत्तर प्रदेश में लाल फीताशाही और माफिया गिरोहों के आतंक के बीच कोई भी उद्योगपति खुद को परेशानी में डालना समझदारी नहीं मानता था। अतीत में व्यवसायियों के साथ हुई घटनाओं का इतिहास देखते हुए तो कई उद्योगपति उत्तर प्रदेश से अपना अच्छा खासा चलता उद्योग समेटकर दूसरे राज्यों में ले गये। उत्तर प्रदेश को 1991 के कल्याण सिंह के छोटे से कार्यकाल को छोड़ दिया जाये तो उत्तर प्रदेश वर्ष 2017 तक ऐसा ही था। माफिया सरकारों में महत्वपूर्ण भूमिका में होते थे। वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार आई और उत्तर प्रदेश में अपराध उन्मूलन और संगठित माफिया गिरोह के खिलाफ जब गोली और बुलडोजर चलना शुरू हुआ, तब राज्य के लोगों को पहली बार विश्वास हुआ कि सत्ता संचालित करने वाले अपराधियों को भी रौंदा जा सकता है। वरना जनता तो यह नियति मान चुकी थी कि उत्तर प्रदेश में सत्ता भले ही बदल जाये, माफियाओं के दहशत और रसूख में कोई कमी नहीं आने वाली, क्योंकि सरकार बदलते ही माफिया सत्ता के साथ हो लेते थे। योगी सरकार ने जब माफिया गिरोहों पर अंकुश लगाकर उद्योग और निवेश का माहौल बनाना शुरू किया तब उद्योगपतियों का विश्वास सरकार पर बढ़ा। सरकार के कार्यशैली पर भरोसा बढ़ने के बाद दीपक बजाज ने गोरखपुर डेवलपमेंट इंडस्ट्रीयल अथॉरिटी में 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश कर 2021 में प्लॉट नंबर के-29 पर सक्षम एग्रो प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की। सक्षम एग्रो कंपनी प्रतिदिन सवा लाख से ज्यादा बोरियों का उत्पादन कर रही है, और सैकड़ों लोगों को नौकरी और रोजगार दे रही है। दीपक बजाज 2021 से पहले भी निवेश करने और रोजगार देने में समक्ष थे, लेकिन तब किसी मुख्यमंत्री या सरकार को दीपक बजाज जैसे उद्योगपति की शायद जरूरत ही नहीं थी। तब सरकारों की प्राथमिकता उद्योगों को बढ़ावा देकर राज्य की आर्थिक स्थिति सुधारने की बजाय अपनी पार्टी तथा अपने लोगों की झोली भरने पर ज्यादा थी, परंतु बीते सात सालों में उत्तर प्रदेश की कार्यप्रणाली बदली है। उद्योग एवं उद्योगपतियों की महत्ता को प्रदेश ने समझा है। इस बदलती फिजा का असर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 फरवरी को 10 लाख करोड़ की 14,000 से ज्यादा उद्योग परियोजनाओं का शुभारंभ किया। उत्तर प्रदेश में ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरेमनी 4.0 के जरिये हुआ निवेश प्रदेश के 34 लाख लोगों को नौकरी और रोजगार देने में सफल होगा। दरअसल, सैकड़ों दीपक बजाज उत्तर प्रदेश की तकदीर और तस्वीर बदलने को तैयार हैं, लेकिन उन्हें लाल फीताशाही से छुटकारा, उद्योग का माहौल, सुरक्षा और संरक्षा चाहिए। वरना यही उत्तर प्रदेश है, जहां मुख्तार अंसारी जैसा कोई सत्ता परस्त माफिया कोयले के बड़े व्यवसायी नंदकिशोर रुंगटा का फिरौती के लिए अपहरण और हत्या करने के बावजूद बेखौफ रहता था, और उद्योगपति और व्यवसायी डरे-सहमे। पुलिस ऐसे माफियाओं के आगे-पीछे घूमती थी, और वह जेल से अपनी सल्तनत चलाते थे। जेल से ही किसी विधायक की हत्या तक करा देते थे। योगी सरकार की नीयत और कार्रवाई का असर है कि वही मुख्तार अंसारी, जो गाजीपुर की जेल में तालाब खुदवा कर अपने खाने के लिये मछली पालता था, अब उत्तर प्रदेश की जेल में नहीं रहना चाहता है। वह उत्तर प्रदेश की जेल से पीछा छुड़ाकर दूसरे राज्य की जेल में भेजे जाने का गुहार कोर्ट कचहरी में लगा रहा है। यह वही बदलाव है, जिसने उद्योगपतियों का भरोसा जीता है। बदलते भारत का नया उत्तर प्रदेश बनने की राह इतनी आसान नहीं रही है। मानव एवं प्राकृतिक संसाधन की प्रचुरता के बावजूद अगर उत्तर प्रदेश पिछड़ा और गरीब राज्य की श्रेणी में बना रहा तो उसका एकमात्र कारण था राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव। वर्ष 2017 से पहले भी उत्तर प्रदेश के पास पर्याप्त भूमि, सर्वाधिक जनसंख्या और भरपूर पूंजी थी, बस कमी थी तो एक ईमानदार राजनीतिक नीयत की। इसी नीयत की कमी के चलते उत्तर प्रदेश प्रचुर संसाधन होने के बावजूद देश की सातवीं अर्थव्यस्था बनकर पिछड़ेपन का शिकार था। संगठित माफिया गिरोह तथा जेल में बैठकर सत्ता चलाने वाले अपराधियों के डर से कोई निवेशक नोएडा-गाजियाबाद से सुदूर चंदौली, सोनभ्रद, गाजीपुर, जौनपुर, सिद्धार्थनगर जैसे जिलों में आने को तैयार नहीं था। आज उत्तर प्रदेश के सभी इलाकों में छोटी बड़ी इंडस्ट्री लग रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं, ”सात वर्ष पहले हम सोच भी नहीं सकते थे कि यूपी में निवेश और नौकरियों को लेकर ऐसा माहौल बनेगा। पहले चारों तरफ अपराध, दंगे, छीना-झपटी यही खबरें आती रहती थीं। उस दौरान अगर कोई कहता कि यूपी में निवेश लायेंगे और यूपी को विकसित बनाएंगे तो शायद कोई सुनने को भी तैयार नहीं होता। मानना तो दूर की बात है। परंतु आज लाखों करोड़ का निवेश उत्तर प्रदेश में जमीन पर उतर रहा है। अपराध पर अंकुश के चलते बीते सात साल में यूपी में व्यापार, विकास और विश्वास का माहौल बना है।” आर्थिक सुधारों एवं निवेश की बदौलत बीते सात वर्षों में उत्तर प्रदेश बड़ी छलांग लगाते हुए महाराष्ट्र के बाद देश का दूसरा सबसे ज्यादा जीडीपी वाला राज्य बन चुका है। वर्ष 2018 के फरवरी महीने में जब योगी सरकार ने पहली बार यूपी इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया था, तब विपक्षी दल उपहास उड़ा रहे थे, लेकिन सरकार अपने प्रयासों में जुटी रही। पहले इन्वेस्टर समिट में 4.28 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव उत्तर प्रदेश को मिले। अगले पांच महीने में 61,700 करोड़ रुपये के निवेश वाली परियोजनाओं का शुभारंभ हुआ। जुलाई 2019 में दूसरी ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के जरिए 67,000 करोड़ की निवेश परियोजनाओं को धरातल पर उतारा गया। कोविड के दौर में तीसरे ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के जरिए उत्तर प्रदेश में 80,000 करोड़ की परियोजनाएं धरातल पर उतारने में सरकार को सफलता मिली। सरकार के इन्हीं प्रयासों से दीपक बजाज जैसे अनगिनत उद्योगपति उत्तर प्रदेश में निवेश करने को तैयार हुए। उत्तर प्रदेश अपनी इकोनॉमी का साइज बढ़ाने के लिये केवल निवेश पर ही निर्भर नहीं है। वह राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूत कर रहा है। उत्तर प्रदेश 12 एक्सप्रेस वे वाला एकलौता राज्य होने जा रहा है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण एवं काशी-मथुरा में देवालयों के जीर्णोद्धार से राज्य में धार्मिक पर्यटन तेजी से बढ़ा है। बीते साल 32 करोड़ से ज्यादा लोग उत्तर प्रदेश घूमने आये, जिनमें काशी, मथुरा और अयोध्या सबसे ऊपर रहा। उत्तर प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी तेजी से बढ़ी है। 21 एयरपोर्ट संचालित होने जा रहे हैं। जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट तथा फिल्म सिटी का निर्माण पूरा होने के बाद उत्तर प्रदेश की तस्वीर और तेजी से बदलेगी। डेडिकेटेड रेल फ्रेट कॉरिडोर के पूरब-पश्चिम और उत्तर-दक्षिण का जंक्शन उत्तर प्रदेश में है। 96 लाख से ज्यादा एमएसएमई प्रोजेक्ट भी इसी यूपी में संचालित हैं। प्रदेश के भीतर आर्थिक गैरबराबरी को पाटने के लिए बुन्देलखण्ड और पूर्वांचल के इलाकों में उद्योग स्थापित करने के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। अगर सरकारी प्रयास इस काम में सफल रहता है तो न केवल उत्तर प्रदेश एक ट्रिलियन डॉलर (100 लाख करोड़) की अर्थव्यवस्था बनेगा बल्कि यहां से पलायन भी रुकेगा।