जनजीवन ब्यूरो / शिमला। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस से बागी हुए बड़सर के विधायक इंद्रदत्त लखनपाल सोशल मीडिया पर दर्द छलका है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लंबा चौड़ा पोस्ट करते हुए अपना दर्द बयां किया है। उन्होंने अपने पोस्ट के जरिए ये भी बताया है कि पिछले डेढ़ साल के दौरान उन्होंने क्या-क्या परेशानी झेली हैं।
बड़सर के विधायक लखनपाल दत्त ने लिखा मैंने 42 साल तक कांग्रेस को अपने ख़ून पसीने से सींचा। सेवादल में तब आया जब 4 लोग इकट्ठे करना मुश्किल हुआ करता था। अपना घर बार ज़मीन बेच कर सेवादल चलाया। लोग कह रहे हैं मंत्री बनना चाहता था। अरे मैं तो अपने बड़सर परिवार के एक चपरासी का ट्रांसफर करवाने के लिए भी घंटों सचिवालय में जूझता रहता था।
मैं मंत्री बनने की कब सोचता? मुख्यमंत्री महोदय को कई बार कहा, सर हमारे कार्यकर्ता बेहद नाराज़ हैं। उनके छोटे छोटे काम भी नहीं हो रहे। लेकिन साहब के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। मेरे कार्यकर्त्ता बार बार कहते , साहब आपसे ज़्यादा काम तो प्रधान और बी डी सी करवा रहे हैं। क्या इज़्ज़त की गयी मेरी ?
मुझे कहा गया कि सिंघवी जी को राज्य सभा के लिए वोट करिये। मैंने सभी से कहा कि प्रदेश के ही किसी व्यक्ति को राज्य सभा भेजा जाना चाहिए। तो मुझे कहा कि आपसे पूछ नहीं रहे, आपको बता रहे हैं।
ठीक है, मेरा सम्मान भी मत करिये, लेकिन जो कार्यकर्त्ता 5 साल लाठी खाकर काम करते रहे, उनके साथ क्या व्यवहार हुआ ये भी सबने देखा। मैंने कई खून के घूंट पिए। मेरे विधानसभा क्षेत्र में भोटा की PHC को स्तरोन्नत करने की बात हुई थी।
लखपाल ने हाईकमान पर भी हमला बोला और कहा कि मैंने हाईकमान को कई बार बताने की कोशिश की, लेकिन हमारी हाईकमान 5 सितारा होटल से कभी बाहर ही नहीं आ पाई। अपने 42 साल के राजनीतिक सफर में मैंने इतना हताश कभी महसूस नहीं किया।
लेकिन एक बात का सुकून है कि अपने ही प्रदेश के आदमी को वोट दिया। बड़सर के हितों को ध्यान में रखते हुए, बड़सर की जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए मैंने अपना वोट दिया। मैं जब-जब लड़ा अपने सर्वस्व के साथ लड़ा। आगे भी अपने सर्वस्व के साथ लडूंगा। मैंने अपने आप को सदा नीचे रखा लेकिन मेरे आत्मसम्मान को इतना छोटा समझने वालों को भी अपने गिरेबां में झांकना चाहिए। हमें निष्कासित कर दिया गया है। अब आगे की रणनीति हम मिलकर बनाएंगे।