जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी रु 11,859 करोड़ की लागत से बने पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) के “401 किलोमीटर लंबे न्यू खुर्जा जंक्शन – साहनेवाल रेल खंड “का उद्घाटन करेंगे । 13,363 करोड़ की लागत से बने पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डब्ल्यूडीएफसी) पर “244 किमी लंबे न्यू मकरपुरा जंक्शन से न्यू घोलवड रेल खंड ” का उद्घाटन करेंगे । ।
नरेंद्र मोदी रु 280 करोड़ की लागत से बने पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डब्ल्यू डी एफ सी) के लिए अहमदाबाद, गुजरात, में अत्याधुनिक “ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर (ओ सी सी)” को राष्ट्र को समर्पित करेंगे । कॉरिडोर के सात स्टेशनों से सात विशेष मालगाड़ियों को दिखाएंगे हरी झंडी।
ई डी एफ सी पर 401 किलोमीटर का ‘न्यू खुर्जा जंक्शन – साहनेवाल रेल खंड ‘
12 मार्च, 2024 को राष्ट्र की समर्पित किए जाने वाला 401 किलोमीटर लंबा न्यू खुर्जा जंक्शन से न्यू साहनेवाल रेल खंड पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) का एक महत्वपूर्ण अंग है जो उत्तर भारत के प्रमुख कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्रों को निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करता है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का यह रेल खंड तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के 12 जिलों से होकर गुजरता है।
इस रेल खंड में चलने वाली मालगाड़ियाँ अधिकतम 100 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ सकती हैं, जिसके कारण भारत के पूर्वी हिस्सों से इस क्षेत्र में स्थित बिजली संयंत्रों तक कोयला रेक की आवाजाही के लिए पारगमन समय 35 घंटे से घटकर 20 घंटे से कम हो जाएगा। इससे कोयले को रखने के लिए इन्वेंट्री लागत 20-30% तक कम करने और भारत की बिजली सुरक्षा को सदृढ़ करने में सहायता मिलेगी। साथ ही, इस क्षेत्र से ई डी एफ सी के माध्यम से भारत के पूर्वी हिस्सों में खाद्यान्न और उर्वरकों के साथ-साथ अन्य आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही को भी गति मिलेगी
डब्ल्यूडीएफसी पर 244 किलोमीटर का “न्यू मकरपुरा जं. – न्यू घोलवड” रेल खंड
244 किलोमीटर लंबे न्यू मकरपुरा जंक्शन से न्यू घोलवड रेल खंड को भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे जो पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डब्ल्यू डी एफ सी) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह रेल खंड गुजरात के पांच जिलों वडोदरा, भरूच, सूरत, नवसारी और वलसाड को जोड़ेगा।
डीएफसीसी के निदेशक शोभित भटनागर बताते हैं कि पश्चिमी कॉरिडोर के इस रेल खंड में मालगाड़ियाँ अधिकतम 100 किमी प्रति घंटे की गति से चल सकती हैं, जिससे भारत के पश्चिमी हिस्सों से अन्य क्षेत्रों तक कृषि और निर्मित वस्तुओं की आवाजाही के लिए पारगमन समय दोगुने से भी कम हो जाएगा। गुजरात की डेयरियों से आने वाले दूध, सब्जियां, फल और अन्य कृषि उत्पाद जैसे खराब होने वाले सामान रिकॉर्ड समय में बड़े बाजारों तक पहुंच सकते हैं। इससे नुकसान की संभावना कम हो जाती है और हमारे किसानों और उद्यमियों को अच्छी आय मिलती है। इसके साथ ही, उत्तर के भूमि से घिरे राज्यों से भारत के पश्चिमी बंदरगाहों तक माल की आवाजाही में भी तेजी आएगी। नए रेल खंड के जुड़ने से निर्यात और आयात (EXIM) में भी बढ़ोत्तरी होगी।
ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर (ओसीसी), (डब्ल्यू डी एफ सी) अहमदाबाद
अहमदाबाद में आधुनिक तकनीक द्वारा एक अत्याधुनिक ‘ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर’ (ओसीसी) का निर्माण किया गया है, जो 1506 किमी डब्ल्यू डी एफ सी के पूरे रेलमार्ग के लिए ‘कमांड और नर्व सेंटर’ के रूप में काम करेगा।
यह केंद्र ओएफसी सिस्टम (OFC System) पर डब्ल्यू डी एफ सी के सभी स्टेशनों के साथ-साथ भारतीय रेलवे के मंडल मुख्यालय से भी जुड़ा हुआ है। यह विश्व स्तरीय ट्रेन संचालन सुविधा “एकीकृत ट्रेन प्रबंधन प्रणाली” (टीएमएस), “सुपरवाइजरी कन्ट्रोल और डेटा एक्वीजीशन (स्काडा) प्रणाली डेडीकेटेड फ्रेट सूचना प्रणाली और (डी एफ आई एस) से लैस है जो ट्रेन परिचालन की निगरानी करती है, डी एफ सी नेटवर्क पर चलने वाली मालगाड़ियों का वास्तविक समय विवरण दिखाती है और ट्रेनों की आवाजाही और ट्रैफिक ब्लॉक की कुशलता से योजना बनाने में मदद करती है।
*डीएफसीसीआईएल – विकसित भारत*
माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 12 मार्च, 2024 को राष्ट्र की समर्पित किए जाने वाला 401 किलोमीटर लंबा न्यू खुर्जा जंक्शन से न्यू साहनेवाल रेल खंड पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) का एक महत्वपूर्ण अंग है जो उत्तर भारत के प्रमुख कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्रों को निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करता है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का यह रेल खंड तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के 12 जिलों, अर्थात् लुधियाना, फतेहगढ़ साहिब, पटियाला, अंबाला, यमुना नगर, सहारनपुर, बुलंदशहर, हापुड, मेरठ, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर और गौतमबुद्ध नगर से होकर गुजरता है। डी एफ सी सी आई एल द्वारा इस रेल खंड पर 86 पुल बनाए हैं, जिनमें यमुना, मारकंडा, टांगरी और घग्गर नदियों पर प्रमुख पुल शामिल हैं, और 115 लेवल क्रॉसिंग को समाप्त कर दिया है।
भारत 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है और सरकार ने 2047 तक भारत को ‘विकसित राष्ट्र’ बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति के अनुसार, हमें लॉजिस्टिक लागत को 13-14% की दर से घटाकर 8-9% पर लाने की आवश्यकता है। पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान में देश में एक मजबूत लॉजिस्टिक इकोसिस्टम के निर्माण की परिकल्पना की गई है। डीएफसी इन उद्देश्यों को साकार करने में सहायक होगी। वर्तमान में माल-परिवहन में रेलवे की हिस्सेदारी 70% से घटकर अब 30% से भी कम हो गई है। रेलवे पर्यावरण अनुकूल एवं किफायती परिवहन साधन है। माल ढुलाई में रेल की हिस्सेदारी 40% से अधिक करने में डीएफसी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
डीएफसी में दो कॉरीडोर शामिल हैं:
पूर्वी डीएफसी: 1337 किमी, (पंजाब में लुधियाना के पास साहनेवाल से बिहार में सोननगर तक)। यह पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार से होकर गुजरता है और इसका अत्याधुनिक परिचालन नियंत्रण केंद्र (ओसीसी) प्रयागराज में स्थित है।
पश्चिमी डीएफसी: 1506 किमी., (दादरी, उत्तर प्रदेश से जेएनपीटी, नवी मुंबई, महाराष्ट्र)। यह उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरता है और इसका नियंत्रण कक्ष अहमदाबाद में स्थित है।
परियोजना के उदेश्य
डीएफसी का लक्ष्य उन्नत तकनीक के साथ और अधिक ऊंची, लंबी, तीव्र और भारी मालगाडि़यों के लिए विश्व स्तरीय ढांचा तैयार करना है। इससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी और मोडल शिफ्ट के साथ सड़क से रेलवे की ओर माल ढुलाई की हिस्सेदारी में वृद्धि होगी।
खास बात
स्वतंत्र भारत के इतिहास में 6000 किमी. से अधिक ट्रैक लिंकिंग वाली यह सबसे बड़ी रेल परियोजना है। इस परियोजना में 11,827 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण का चुनौतीपूर्ण कार्य सफलतापूर्णक किया गया साथ ही कार्य का दायरा इतना बड़ा था कि जिसमें 25 करोड़ घन मीटर का मिट्टी का कार्य हुआ है।
संरक्षा पर अत्यधिक जोर देते हुए, 304 रोड ओवर ब्रिज (आरओबी), 557 रोड अंडर ब्रिज (आरयूबी), 53 रेल फ्लाईओवर (आरएफओ) का निर्माण कर लेवल क्रॉसिंग गेटों को हटाया जा रहा है।
535 बड़े और 4643 छोटे पुलों के साथ 118 नए स्टेशन बनाए गए हैं। डीएफसी 79 स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे को भी क्रास करता है, जिसके लिए बड़े पुल बनाए गए हैं।
परियोजना की स्थिति
पूर्वी डीएफसी का 100% कार्य पूर्ण हो चुका है और इस पर प्रतिदिन 150 से अधिक ट्रेनें 50-60 किमी. प्रति घंटे की औसत गति से चल रही हैं। दूसरी ओर पश्चिमी डीएफसी का 81% कार्य पूर्ण हो चुका है और इस पर प्रतिदिन 100 से अधिक ट्रेनें 50-60 किमी. प्रति घंटे की औसत गति से चल रही है। ये गति भारतीय रेल में मालगाड़ियों की औसत गति से बहुत अधिक है।
डीएफसी: एक गेमचेंजर
डीएफसी के कारण, रेल नेटवर्क की क्षमताओं में विस्तार हुआ है। माल के आवाजाही की गति में सुधार हुआ है। तेजी से वैगन टर्नअराउंड के साथ थोक माल के लिए परिवहन का प्रभावी माध्यम खुलने से लॉजिस्टिक्स लागत में बचत हुई है। साथ ही पश्चिमी भारत के बंदरगाहों से दिल्ली-एनसीआर तक कंटेनर ट्रेनों का परिवहन समय लगभग 50% कम हो गया है, जिससे आयात-निर्यात को बढ़ावा मिला है।
साथ ही समुद्री तट से दूर स्थित राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा अब पश्चिमी भारत के कांडला, मुंद्रा, पिपावा और हजीरा आदि बंदरगाह से जुड़ गए हैं, जिससे हमारे कृषि के साथ-साथ औद्योगिक उत्पाद भी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी बन गए हैं।
देश में नए इन्फ्रास्टक्चर के निर्माण से माल की आवाजाही सुविधाजनक और परिवहन लागत में कमी आई है, जिससे नए क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने के साथ स्थानीय उद्योग की वृद्धि और रोजगार सृजन के नए रास्ते खुल रहे हैं। मालगाड़ियों को भारतीय रेल ट्रैक से डीएफसी ट्रैक पर स्थानांतरित करने से भारतीय रेल के ट्रैक पर दबाव भी कम हुआ है और इस क्षमता वृद्धि ने भारतीय रेल को स्थानीय लोगों के हित के लिए अधिक यात्री ट्रेनें चलाने में सहयोग किया है। रेल एक हरित परिवहन साधन है, जो विकसित भारत के साथ-साथ स्वच्छ भारत में भी योगदान दे रहा है।