जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : कर्नाटक सरकार ने आरक्षण का लाभ देने के लिए मुसलमानों को पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल किया है। कर्नाटक सरकार के इस फैसले की जानकारी राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने प्रेस रिलीज जारी करके दी।राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग इस पर अपत्ति जताया है। आयोग ने कहा है कि कर्नाटक सरकार के आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक के मुसलमानों की सभी जातियों और समुदायों को राज्य सरकार के तहत रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए ओबीसी की सूची में शामिल किया गया है
कैटागरी II-बी के तहत, कर्नाटक राज्य के सभी मुसलमानों को ओबीसी माना गया है। आयोग ने कहा कि श्रेणी-1 में 17 मुस्लिम समुदायों को ओबीसी माना गया है जबकि कैटागरी-2ए में 19 मुस्लिम समुदायों को ओबीसी माना गया है। जिन 17 मुस्लिम समुदायों को कैटागरी 1 में ओबीसी माना गया उनमें नदाफ, पिंजर, दरवेश, छप्परबंद, कसाब, फुलमाली (मुस्लिम), नालबंद, कसाई, अथारी, शिक्कालिगारा, सिक्कालिगर, सालाबंद, लदाफ, थिकानगर, बाजीगारा, जोहारी और पिंजारी शामिल हैं। वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने कहा कि हमने इस मामले पर कर्नाटक सरकार से पूछा था कि आखिर किस आधार पर यह कोटा दिया जा रहा है? इस मामले पर हमें कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला है।
कर्नाटक सरकार के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को लिखित रूप से अवगत कराया है कि मुस्लिम और ईसाई जैसे समुदाय न तो जाति हैं और न धर्म। कर्नाटक राज्य में मुस्लिम आबादी 12.92 प्रतिशत है। इसलिए कर्नाटक में मुस्लिमों को धार्मिक अल्पसंख्यक माना जाता है।
राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग कर्नाटक सरकार के फैसले की निंदा की है। आयोग का कहना है कि पिछड़ी जाति के रूप में मुसलमानों का कैटिगराइजेशन सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को कमजोर करता है। बीजेपी के नेता अमित मालवीय का कहना है कि, ‘एक और चौंकाने वाले घटनाक्रम में कर्नाटक सरकार ने पूरे मुस्लिम समुदाय को पिछड़े वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने कांग्रेस सरकार के फैसले की निंदा की है।