जनजीवन ब्यूरो / रांची : झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के पीएस (आप्त सचिव) संजीव लाल को लेकर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की टीम बुधवार को प्रोजेक्ट भवन पहुंची है। भी हैं। उनके कमरे को ईडी के अधिकारी खंगाल रहे हैं। बता दें कि करोड़ों की कैश बरामदगी मामले में ईडी की टीम ने संजीव लाल व सहायक जहांगीर आलम को 6 मई को ही देर रात गिरफ्तार कर लिया था। फिलहाल वे ईडी की रिमांड पर हैं। सहायक जहांगीर के घर से ईडी को 35 करोड़ रुपए कैश मिले थे।
मंत्री आलमगीर के ओएसडी संजीव लाल और जहांगीर आलम से ईडी की पूछताछ बुधवार से शुरू हो गई है। संजीव लाल के चैंबर में कागजात को ईडी की टीम जांच कर रही है। इस दौरान ईडी की टीम संजीव लाल को लेकर झारखंड मंत्रालय जांच के लिए पहुंची है। ईडी को जानकारी मिली है कि झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग में भ्रष्टाचार और ठेकों से कमीशन के नाम पर उगाही का पैसा संजीव लाल (निजी सचिव) तक पहुंचता था। पैसों की उगाही के लिए वह विभाग के इंजीनियरों व कुछ प्राइवेट लोगों का इस्तेमाल किया करता था। ईडी ने कोर्ट को बताया है कि झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के निचले अधिकारियों से लेकर उच्च पदस्थ पदाधिकारियों का नेक्सस पूरे करप्शन में शामिल है। अफसर-नेताओं तक करोड़ों रुपए पहुंचा। इन सभी को कैश में काफी बड़ी मात्रा में पैसे पहुंचाए जाने की बात शुरुआती जांच में सामने आयी है।
ईडी की टीम सरकार के मंत्रालय में घुसी है
ग्रामीण विकास विभाग का एक दफ्तर प्रोजेक्ट भवन में हैं, जहां मंत्री बैठते हैं। जबकि दूसरा दफ्तर एपीपी बिल्डिंग में है। इस दफ्तर में विभागीय सचिव और अन्य अधिकारी, कर्मचारी काम करते हैं। ईडी की इस कार्रवाई से प्रशासनिक महकमे के साथ-साथ राजनीतिक गलियारे में खलबली मच गयी है। क्योंकि ऐसा पहली बार हो रहा है, जब ईडी की टीम सरकार के मंत्रालय में घुसी है।
राजनेताओं और अफसरों का कमीशन 1.5 प्रतिशत
ईडी ने जांच में पाया है कि विभागीय ठेकों में कुल 3.2 प्रतिशत की उगाही होती थी। इसमें 1.5 प्रतिशत का कमीशन कट मनी के तौर पर बड़े राजनेता और विभाग के बड़े अधिकारियों तक जाती थी। जांच में यह बात सामने आयी है कि संजीव लाल की देखरेख में कमीशन का कलेक्शन प्रभावशाली लोगों तक जाता था। टेंडर मैनेज करने और कमीशन की उगाही तक में इंजीनियरों के सिंडिकेट के साथ मिलकर रकम की उगाही होती थी। इसके बाद तय परसेंटेज सरकार के उच्च पदस्थ लोगों तक पहुंचायी जाती थी। जांच में कुछ आईएएस अधिकारियों व नेताओं की भूमिका बड़े संदिग्ध के तौर पर उभरी है।
तीन माह में जमा किया गया था 35.23 करोड़ रूपया कमीशन
ईडी जांच में आए तथ्यों के मुताबिक, जहांगीर के गाड़ीखाना स्थित फ्लैट से जो 31.20 करोड़ रुपये बरामद किए गए थे, वह महज तीन माह में जमा किए गए थे। फ्लैट की खरीद भी कुछ माह पूर्व जहांगीर के नाम पर सिर्फ इसलिए की गई थी, ताकि यहां पैसों को रखा जा सके। मुन्ना सिंह के यहां से बरामद 2.93 करोड़ रुपये भी यहीं शिफ्ट किए जाने थे, लेकिन इससे पहले ईडी की टीम ने छापेमारी कर इन पैसों को बरामद कर लिया।