जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : PM नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव के आखिरी फेज की वोटिंग के पहले कन्याकुमारी जाएंगे. वे यहां रॉक मेमोरियल के उसी पत्थर पर ध्यान लगाएंगे, जहां स्वामी विवेकानंद ने ध्यान लगाया था.
लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में 57 लोकसभा सीटों के लिए 1 जून को मतदान होना है. इन सीटों के लिए चुनाव प्रचार 30 मई की शाम 5 बजे थम जाएगा। मोदी 2019 में आखिरी फेज की वोटिंग के पहले केदारनाथ गए थे. वहां बनी रुद्र गुफा में 17 घंटे ध्यान लगाया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मई को पंजाब के होशियारपुर में रैली करने के बाद तमिलनाडु जाएंगे. रात्रि विश्राम के बाद पीएम मोदी 31 मई को कन्याकुमारी पहुंचेंगे. प्रधानमंत्री यहां पर विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर ध्यान लगा सकते हैं. इससे पहले पीएम मोदी 2019 चुनाव के अंतिम चरण के मतदान के समय केदारनाथ गए थे, जहां उन्होंने रुद्र गुफा में ध्यान किया था.
प्रधानमंत्री 30 मई की सुबह ग्यारह बजे पंजाब के होशियारपुर में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे. उसके बाद उनका तमिलनाडु जाने का कार्यक्रम है, जहां वह रात्रि विश्राम करेंगे. पीएम के आधिकारिक कार्यक्रम में 31 मई और 1 जून का कार्यक्रम अभी जारी नहीं किया गया है. पीएम मोदी 2019 के चुनाव के अंतिम चरण के मतदान के समय केदारनाथ गए थे, जहां उन्होंने रुद्र गुफा में ध्यान किया था.
विवेकानंद रॉक मेमोरियल के बारे में जानिए
स्वामी विवेकानंद 1893 में विश्व धर्म सभा में शामिल होने के लिए अमेरिका के शिकागो गए थे. यहीं पर उन्होंने वो भाषण दिया था, जिसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी. आज भी उनके भाषण की चर्चा होती है. कहा जाता है कि उस यात्रा से पहले उन्होंने 24 दिसंबर 1892 को कन्याकुमारी का दौरा किया था. यहां पर समंदर के किनारे से लगभग 500 मीटर दूर पानी के बीच में उन्हें एक विशाल शिला दिखी. वो तैरकर वहां पहुंचे और ध्यान मग्न हो गए. आखिर में उन्हें अपने जीवन से जुड़े लक्षय और उसे पूरा करने के लिए आवश्यक ज्ञान की प्राप्ति हुई और नरेंद्र, विवेकानंद बन गए.
साल 1970 में इस शिला के पास स्वामी विवेकानंद को समर्पित एक भव्य स्मृति भवन का निर्माण किया गया. इसमें चार मंडप हैं. इस मंदिर की आर्किटेक्चर डीटेल एंटीक स्टाइल की है. इसके 70 फीट ऊंचे गुंबद को लाल और नीले ग्रेनाइट से तैयार किया गया है. ये स्थान 6 एकड़ में फैला है.
यहां पर 4 फीट ऊंची प्लैटफॉर्म पर स्वामी विवेकानंद की बड़ी मूर्ति भी स्थापित की गई थी. कांसे से तैयार इस प्रतिमा की ऊंचाई करीब साढ़े 8 फीट है. इस चट्टान के साथ एक और कहानी जुड़ी है. माना जाता है कि समंदर के पानी में स्थित इस चट्टान पर देवी कन्याकुमारी ने भगवान शिव की आराधना करते हुए तप किया था. उनके पैरों के निशान भी यहां पाए गए थे. इस वजह से ये जगह धार्मिक महत्व भी रखती है. स्मारक में एक सभा कक्ष भी है, जिसका नाम नमस्तुभ्यम जगदम्बा और सभा मंडपम है.
यह मेमोरियल एकता का प्रतीक है, क्योंकि पूरे देश ने इसके लिए काम किया और योगदान दिया. इसके उद्घाटन में सभी राज्यों से लोग शामिल हुए. इस स्मारक को कच्ची कामकोटि पीठम के परमाचार्य ने डिजाइन किया था और जिसके लिए चिन्मय मिशन के स्वामी चिन्मयानंद ने पहला दान दिया था. इसके लिए सभी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार ने योगदान दिया.