जसविंदर सिद्धू
टीम इंडिया शनिवार को साउथ अफ्रीका के खिलाफ आईसीसी टी-20 विश्व कप का फाइनल खेलने उतरेगी. पिछले आठ महीनों में उसका यह दूसरा और पिछले डेढ़ साल में तीसरा फाइनल होगा. परेशान कर देने वाली बात यह है कि इन तीनों ही फाइनल में टीम हारी है. सेमीफाइनल तक यह टीम बिना किसी परेशानी के अपने मुकाबले अपनी शर्तों पर जीतती रही लेकिन फाइनल में वह हार गई. ऐसे में सवाल उठना जायज है कि कल ब्रिजटाउन के किंग्सटन ओवल में टीम इंडिया फाइनल में हार के टोटके से पार पा सकेगी!
पिछले साल भारतीय टीम आईसीसी टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल ओवल में आस्ट्रेलिया से हारी थी. उसी साल नवंबर में भारत आईसीसी 50 ओवरों के विश्व कप का मेजबान था. टीम इंडिया ने फाइनल में पहुंचने से पहले अपने सभी 10 मैच जीते लेकिन अहमदाबाद में एक लाख समर्थकों के बीच टीम आस्ट्रेलिया से हार गई.
अमेरिका और वेस्टइंडीज में हुए आईसीसी टी-20 विश्व कप में भारतीय टीम ने अभी तक हावी होकर खेला है और सभी मैच जीते हैं. उसके अब तक के प्रदर्शन की समीक्षा करने पर साफ दिखता है कि वह इस बार भी 50 ओवरों के वर्ल्ड कप की तरह ही फाइनल में पहुंची है. लेकिन इस सफल यात्रा के पीछे एक सवाल उठाने लायक पहलू भी है.
50 ओवरों के विश्व कप में टीम की कामयाबी में उपरीक्रम के बल्लेबाजों का ही योगदान रहा. सीधी भाषा में समझे तो शीर्ष क्रम के बल्लेबाजों ने ही टीम के लिए बड़ा स्कोर किया और जीत का रास्ता साफ किया. पूरे टूर्नामेंट में बीच के और निचलेक्रम के बल्लेबाजों को विश्व कप के मैचों के दबाव का सामना करने का मौका नहीं मिला.
अहमदाबाद में रोहित शर्मा और विराट कोहली आउठ हुए तो बीच के क्रम को पहली बार ऐसे प्रेशर का सामना करना पड़ा. नतीजतन, टीम स्कोर बोर्ड पर बड़ा स्कोर दिखा पाने में नाकाम रही. किंग्स्टन ओवल में भी टीम कुछ इसी तरह के हालात के साथ फाइनल खेलने को उतरेगी, यकीनन यह फोरमेट 50 ओवरों के मैचों से अलग है लेकिन फिर भी यह सवाल उठता है कि अगर फॉर्म में लगातार बड़ा स्कोर बना रहे कप्तान रोहित शर्मा जल्दी आउट हो जाते हैं या विराट कोहली एक बार फिर से अपनी प्रतिभा के साथ अन्याय करते है तो क्या बीच का बल्लेबाजीक्रम इस संकट से टीम को निकालने में सफल हो पाएगा या नहीं !
टीम इंडिया के साथ अपनी परिस्थिति यह है कि जसप्रीत बुमराह अपने चार ओवरों में सामने वाली टीम के टॉप बल्लेबाजों का विकेट हासिल करके फाइलन में खेलने उतरेंगे. अगर टीम इंडिया फाइनल में संभवत धीमी पिच पर दो सौ से पार होने में नाकाम रहती है तो बाजी बुमराह को ही पलटनी होगी और वह इसके लिए पूरी तरह के सक्षम हैं.