जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : NEET यूजी 2024 परीक्षा में सम्मिलित हुए 23 लाख स्टूडेंट्स के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण हो सकता है। उच्चतम न्यायालय में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा – अंडरग्रेजुएट (NEET UG) 2024 को रद्द करने और फिर से आयोजन का राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) को आदेश देने की मांगों से सम्बन्धित दायर 38 याचिकाओं पर सुनवाई आज यानी सोमवार, 8 जुलाई को हुई। याचिका में पांच मई को हुई परीक्षा रद्द करने, एनटीए को दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देने और अनियमितताओं के संबंध में कोर्ट की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की गई। इन मामलों की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की खण्डपीठ द्वारा की गई। दो अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा थे।
शीर्ष कोर्ट ने कहा, ‘एक बात तो साफ है कि प्रश्न-पत्र लीक हुआ है। सवाल यह है कि इसकी पहुंच कितनी व्यापक है? पेपर लीक होना एक स्वीकार्य तथ्य है। लीक की प्रकृति कुछ ऐसी है, जिसका हम पता लगा रहे हैं। आप केवल इसलिए पूरी परीक्षा रद्द नहीं कर सकते, क्योंकि दो छात्र धांधली में शामिल थे। इसलिए हमें लीक की प्रकृति के बारे में सावधान रहना चाहिए। दोबारा परीक्षा का आदेश देने से पहले हमें लीक की सीमा के बारे में जानना होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि हम 23 लाख छात्रों के मामले को सुन रहे हैं।’ सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि केंद्र और एनटीए ने इस गड़बड़ी से किन-किन छात्रों को फायदा पहुंचा? यह जानने के लिए क्या कार्रवाई की?’
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि लीक होने के कारण कितने छात्रों के परिणाम रोके गए। कोर्ट ने पूछा कि ये छात्र कहां हैं? भौगोलिक तौर पर ये छात्र कहां कहां हैं? क्या हम अभी भी गलत काम करने वालों का पता लगा रहे हैं और क्या हम लाभार्थियों की पहचान कर भी पाएं हैं? सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि परीक्षा को दोबारा से कराना सबसे आखिरी विकल्प होना चाहिए। मामले में जो कुछ भी हुआ, उसकी जांच देश भर के विशेषज्ञों की एक बहु-अनुशासनात्मक समिति से कराई जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पढ़ाई-लिखाई की सबसे प्रतिष्ठित शाखा से निपट रहे हैं। हर मध्यम वर्ग का व्यक्ति चाहता है कि उनके बच्चे या तो चिकित्सा या इंजीनियरिंग की पढ़ाई करें। यह मानते हुए कि हम परीक्षा रद्द नहीं करने जा रहे हैं। हम ऐसे लोगों की पहचान कैसे करेंगे, जिन्हें इस धांधली का फायदा हुआ है। क्या हम काउंसलिंग होने देंगे और अब तक क्या हुआ है?
एआई का उपयोग करके गलत काम करने वालों की संख्या का पता लगाने और उनके लिए फिर से परीक्षा की संभावना तलाशने के बारे में पूछा। कोर्ट ने सीबीआई को जांच की स्थिति बताते हुए रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने एनटीए को निर्देश दिया कि वह बताए कि प्रश्नपत्र पहली बार कब लीक हुआ। वह प्रश्नपत्र लीक होने की घटना और 5 मई को परीक्षा आयोजित होने के बीच की समय अवधि के बारे में भी बताए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तारीख तय की।
देश भर के सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एनटीए द्वारा नीट-यूजी आयोजित की जाती है। पेपर लीक सहित अनियमितताओं के आरोपों के कारण कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए। इस पर जमकर राजनीति भी हुई। केंद्र और एनटीए ने 13 जून को अदालत को बताया था कि उन्होंने 1,563 अभ्यर्थियों को दिए गए कृपांक (ग्रेस मार्क) रद्द कर दिए हैं। उन्हें दोबारा परीक्षा या प्रतिपूरक अंकों को छोड़ने का विकल्प दिया गया था। एनटीए ने 23 जून को आयोजित पुन: परीक्षा के परिणाम जारी करने के बाद एक जुलाई को संशोधित रैंक सूची जारी की।
कैसे संदेह पैदा हुआ?
पांच मई को हुई परीक्षा में कुल 67 छात्रों ने पूरे 720 अंक प्राप्त किए। यह एनटीए के इतिहास में अभूतपूर्व था। इसमें सूची में हरियाणा केंद्र के छह छात्र शामिल हैं। इसके बाद परीक्षा में अनियमितताओं को लेकर संदेह शुरू हुआ। आरोप लगाया गया कि कृपांक के चलते 67 छात्रों को शीर्ष रैंक मिली। इसके बाद एनटीए ने एक जुलाई को संशोधित परिणाम घोषित किया। इसके बाद नीट-यूजी में शीर्ष रैंक वाले अभ्यर्थियों की संख्या 67 से घटकर 61 हो गई।