जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली: बजट 2024-25 में सबसे बड़ा सवाल यह है कि इनकम टैक्स पेयर्स को जो भी राहत दी गई है, वह कितनी फायदेमंद है और इसका फायदा किसे मिलेगा. टैक्सपेयर्स के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट पचास हजार रुपए से बढ़ाकर 75 हजार रुपए कर दी गई है. यह तोहफा इनकम टैक्स की नई स्कीम चुनने वालों के लिए है. 7 लाख रुपए तक की टैक्सेबल इनकम पर सिर्फ़ 5 फ़ीसदी इनकम टैक्स देना होगा.
बजट में वित्त मंत्री के एलानों के बाद अगर किसी व्यक्ति का मासिक वेतन 64000 या 64500 रुपये के आसपास है तो उसे नई कर प्रणाली में कोई आयकर चुकाने की जरूरत नहीं है. बजट से पहले की स्थिति में सालाना आमदनी 7,50,000 रुपये तक रहने पर ही करदाता को टैक्स देने से राहत मिलती थी.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकरदाताओं को राहत देते हुए नई कर प्रणाली के टैक्स स्लैब में बदलाव का एलान किया है. वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा है कि नई दरों के अमल में आने से देश के करीब चार करोड़ करदातओं को आयकर के मद में 17500 रुपये तक का लाभ होगा. इसके साथ ही वित्त मंत्री ने स्टैंडर्ड डिडक्शन मद में मिलने वाली 50 हजार रुपये की छूट की राशि को बढ़ाकर 75000 रुपये कर दिया है. नई कर प्रणाली के तहत तीन लाख रुपये तक की आमदनी को टैक्स फ्री रखा गया है. हालांकि, सात लाख रुपये तक की आमदनी वालों को टैक्स नहीं देना पड़ता है. इसका कारण हम आपको आगे बताएंगे. पहले जानिए इस बार टैक्स दरों में क्या बदलाव किया गया?
बजट को अगर पूरी तौर पर देखा जाए, तो वित्त मंत्री को 10 में से 9 नंबर बनते हैं. बजट बहुत अच्छा है. जो उम्मीद थी, कि मीडिल इनकम ग्रुप के हाथ में और पैसा दिया जाएगा, मेरे ख्याल से यह बजट बहुत अच्छा है. ऐसा नहीं है कि सैलरी 12 से 15 लाख वालों को ही इसका फायदा होगा. ऐसा नहीं है. स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ने से 50 हजार करने से 75 हजार बढ़ने से हर किसी को फायदा होगा. जैसा कि वित्त मंत्री ने कहा है कि 17 हजार 500 रुपए की हर किसी को टैक्स में बचत होगी. फैमली पेंशन वालों के लिए भी इसे 15 से 25 कर दिया है.
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सरकार के फैसले से लोग कितने खुश?
कैपिटल मार्केट हम देख ही रहे हैं, कि कितना ऊपर गया है. सरकार ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के टैक्स को ढाई प्रतिशत बढ़ा दिया है. 10 से इसे साढ़े 12 कर दिया है. छोटे निवेशों के लिए 1 लाख की लिमिट को 1 लाख 25 हजार तक बढ़ा दिया है. बजट से शयेर मार्केट खुश नहीं है, क्यों कि इसमें गिरावट दर्ज की जा रही है, ऐसा इसलिए है कि कैपिटल गेन पर टैक्स लग गया है. दूसरा कुछ महीनों और कुछ सालों से डेरिवेटिंग ट्रेडिंग की तरफ काफी लोग जाने लगे थे. उसके SAT का रेट बढ़ा दिया है, ताकि लोगों को डिसकरेज किया जा सके, क्यों कि उससे कोई सेविंग नहीं होती है. हालांकि इसी उम्मीद थी.
काफी बैलेंस रखने की कोशिश
स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को सरकार 50 हजार से बढ़ाकर सिर्फ 75 हजार तक ही ले जाया गया, क्यों कि सरकार के पास जो भी पैसा आ रहा है, वह कोविड के समय के कलेक्शन से भी ज्यादा है. तो इसे देखकर क्या आपको ऐसा लगता था कि इसे ज्यादा मिलेगा. अभी हम कोविड के दौर से बाहर निकले हैं. ऐसे में सरकार को ग्रोथ पर भी पैसा खर्च करना है. एजुकेशन लोन पर, जो तीन परसेंट बचत मिल रही है या फिर नई जॉब पाने वाले को जो एक महीने की सैलरी देने की बात कही गई है या इनसेंटिव देने की बात कही गई है, ये सब इस ग्रोथ में लॉन्ग टर्म तक योगदान देंगे. सरकार ने काफी बैलेंस रखने की कोशिश की है.
नए टैक्स स्लैब से किसको फायदा?
नई टैक्स व्यवस्था में पहले और अब में यह फर्क है कि सरकार ने 0 से 3 लाख तक जीरो परसेंट टैक्स, दूसरी स्लैब में 3 से 6 की जगह पर 3 से 7 कर दिया है. और 7 से 10 को 10 परसेंट कर दिया है, ये बहुत ही मार्जनल चेंज है. इससे लोअर इनकम ग्रुप से लोगों को भी कुछ न कुछ फायदा जरूर मिलेगा. लेकिन इसका फायदा सिर्फ उनको ही होगा, जो लोग नए टैक्स रिजीम के तहत आते हैं. मतलब ये है कि जो लोग पुराने टैक्स रिजीम को फॉलो कर रहे हैं, उनको स्टैंडर्ड डिडेक्शन के अलावा इसमें कुछ भी फायदा नहीं है.
एंजेल टैक्स को खत्म करने का भी काफी फायदा लोगों को मिलेगा. स्टार्टअप अगर किसी को बाहर से शेयर अलॉट करते थे तो अगर उसकी वेल्यू शेयर मार्केट की वेल्यू से काफी ज्यादा होती थी तो उनको उसका टैक्स देना पड़ता था. अब उनको ये टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा. ये उनके इको सिस्टम के लिए काफी बढ़िया कदम है.
नए टैक्स रिजीम से कितने टैक्सपेयर्स को फायदा?
जैसे कि वित्त मंत्री ने बताया कि नए टैक्स रिजीम से 4 करोड़ टैक्सपेयर्स को फायदा होने वाला है. इससे हर टैक्सपेयर को 17, 500 का फायदा होगा. मुझे नहीं लगता कि सरकार के पास इससे ज्यादा घटाने की गुंजाइश थी. 2023 के बजट में उन्होंने नए टैक्स रिजीम में काफी बदलाव किए थे. जिसका फायदा काफी लोगों को मिला. इसी लिए दो तिहाई टैक्स पेयर्स नए टैक्स रिजीम की तरफ मुड़ गए.
इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि 7.8 मिलियन जॉब सर साल क्रिएट करनी होंगी. हमारे यहां सर्विस सेक्टर सबसे ज्यादा है. हम ग्लोबली बहुत ही अलग से हालात में डील कर रहे हैं. नई टेक्नोलॉजी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से नौकरियों पर काफी फर्क पड़ा है. वहीं चाइना वन पॉलिसी है, जो मेन्युफेक्चरिंग बढ़ाना चाहते हैं, उसको ध्यान में रखते हुए नए एंप्लॉयमेंट को जनरेट किया जाए. अगर पहली बार जॉब पाने वाले को सरकार एक महीने की सैलरी देना चाहती है, उसके लिए भी सैलरी की लिमिट 1 लाख रुपए हर महीने है या फिर 3 हजार रुपए तक पीएफ फंड में दो साल तक कॉन्ट्रीव्यूट करना, मुझे लगता है कि ये कुछ हद तक इंसेटिवाइज करेंगे कि रोजगार जनरेट हो.
सरकार पर प्रेशर बहुत ज्यादा है
लेकिन हमको ये नहीं भूलना चाहिए कि गैप बहुत ज्यादा है. प्रेशर बहुत ज्यादा है. स्वरोजगार जनरेट करने के लिए या री-स्किलिंग जनरेट करने के लिए जैसे कि वित्त मंत्री ने कहा कि वह रेहड़ी वालों के लिए स्पेस बनाएंगे या फिर एजुकेशन के लिए 3 परसेंट बचत के साथ लोन देंगे, मुझे लगता है कि इनका भले ही अभी न दिखे लेकिन कुछ समय बाद दिखेगा.
8.50 लाख रुपये की सालाना आमदनी पर आयकर का गणित क्या?
अगर किसी करदाता की आमदनी 8 लाख 50 हजार रुपये सालाना है तो स्टैंडर्ड डिडक्शन के 75000 रुपये घटाने के बाद उसकी आमदनी 7,75,000 हजार रुपये रह जाती है. नई कर प्रणाली के तहत नई दर के अनुसार उसे आयकर के रूप में 27500 चुकानें पड़ेंगे. पुरानी दरों के आधार पर उक्त करदाता की सालाना आमदनी 8 लाख रुपये मानी जाती. ऐसे में उसे पुरानी दरों के हिसाब से उसे 35000 रुपये कर के रूप में चुकाने होते. इस तरह वित्त मंत्री के स्लैब बदलने के एलान के बाद अब करदाता को 7,500 रुपये की बचत होगी.
आयकर की गणना का हिसाब-किताब यहां आसानी से समझिए
पहले की स्थिति में कर की गणना
कुल आय- 8,50,000
स्टैंडर्ड डिडक्शन 50000 घटाने पर 8,50,000-50000= 7,50,000
तीन लाख तक कर 0% 0
3-6 लाख पर 5% 15000
बचे दो लाख पर कर 10% 20000
कुल कर देयता 35000
नई दरों के बाद कर की गणना
कुल आय- 8,50,000
स्टैंडर्ड डिडक्शन 75,000 घटाने पर 8,00,000-75,000= 7,75,000
तीन लाख तक कर 0% 0
3-7 लाख पर 5% 20,000
बचे 75000 10% 7,500
कुल कर देयता 27,500
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करदाता को लाभः 35,000-27,500 = 7,500 रुपये
इसी गणना के आधार पर मान लीजिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की 75 हजार रुपये की राशि घटाने के बाद किसी करदाता की आमदनी 9,75,000 रुपये है, तो उसे उपरोक्त गणना के हिसाब से 47,500 रुपये कर चुनाना पड़ेगा. पुरानी स्थिति में उक्त करदाता की आमदनी 50 हजार के स्टैंडर्ड डिडक्शन के अनुसार 10 लाख रुपये सालाना मानी जाती. ऐसे में उन्हें 60 हजार रुपये आयकर मद में चुकाने पड़ते. इस तरह करदाताओं को नई दरों के एलान के बाद 12,500 रुपये बचेंगे.
अब मान लीजिए किसी करदाता की आमदनी इस बार के बजट में हुए एलानों से पहले 15 लाख 50 हजार रुपये थी. तो उसे आयकर की गणना के अनुसार 1,50,000 रुपये कर चुकाने पड़ते. अब सरकार सरकार के नए एलानों के बाद उसी करदाता की आमदनी 14 लाख 75 हजार रुपये मानी जाएगी और उसे कर के रूप में 1,35,000 रुपये चुकानी पड़ेगी. इस तरह उसे ़15000 रुपये की बचत होगी.
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में चार करोड़ करदाताओं को नई दरों के एलान के बाद अधिकतम 17,500 रुपये की बचत की बात कही थी. ऐसा कैसे होगा यह भी जान लीजिए. 20 लाख 50 हजार रुपये तक की आमदनी की स्थिति में पुरानी दरों की गणना के अनुसार करदाता पर तीन लाख रुपये के आयकर की देनदारी बनती थी. अब नई व्यवस्था के तहत उसकी सालाना आमदनी 19,75,000 रुपये मानी जाएगी. इस तरह नई दरों के अनुसार उसे 2,82,500 रुपये चुकाने होंगे. इस तरह उन्हें आयकर मद में 17,500 रुपये बचत होगी.
स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ नौकरीपेशा करदाताओं को ही
यहां एक गौर करने वाली बात यह है कि स्टैंडर्ड डिडक्शन मद में कटौती का लाभ भारतीय प्रणाली में केवल नौकरीपेशा करदाताओं को ही दिया जाता है. इसके अलावा करदाताओं को आयकर के साथ 4% सेस के रूप में भी चुकानें पड़ेंगे.