जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । इस बार हरियाणा में विधानसभा पिछले चुनाव से अलग रुप में देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव के परिणाम से सत्ता पक्ष जहां सहमें नदर आ रहा है वहीं जीत से विपक्षी दल कांग्रेस काफी उत्साहित है। इस चुनाव में हरियाणा के सीएम नायब सैनी, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व डेप्युटी सीएम दुष्ंयत चौटाला और उनके चाचा अभय सिंह चौटाला जैसे बड़े चेहरे चुनावी मैदान में उतरेंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को सबसे ज्यादा 40 सीटें मिली थीं। कांग्रेस 31 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी पार्टी बनी थी। विधानसभा चुनाव में जजपा 10 सीटें जीतने में सफल रही थी। सात निर्दलीय, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) एक और हरियाणा लोकहित पार्टी को एक सीट पर जीत मिली थी।
गढ़ी सांपला किलोई से चुनाव लड़ेंगे भूपेंद्र सिंह हुड्डा
कांग्रेस के दिग्गज नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गढ़ी सांपल किलोई से चुनाव लड़ सकते हैं। हरियाणा के ये विधानसभा हुड्डा का गढ़ मानी जाती है। इस विधानसभा सीट पर जाट मतदाता सबसे अधिक हैं। इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। यहां हुए अबतक 13 चुनावों में 7 बार कांग्रेस जीती है। 2019 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस सीट से जीत हासिल की ती। उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार को करारी शिकस्त दी थी।
करनाल से लड़ने का दावा कर चुके हैं नायब सैनी
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की बात करें तो वो करनाल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इसका ऐलान उन्होंने पिछले दिनों खुद किया था। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इस सीट से चुनाव लड़ते थे। उनके इस्तीफे के बाद नायब सैनी ने इस सीट से उपचुनाव लड़ा था और इसमें जीत भी हासिल की थी। करनाल विधानसभा सीट पर हरियाणा में इसी साल 25 मई को उपचुनाव कराया गया था। उपचुनाव सीएम नायब सैनी ने कांग्रेस के तरलोचन सिंह को हराया था। करनाल सीट पर करीब आधी आबादी सामान्य वर्ग की है। इनमें सबसे अधिक 21 फीसदी पंजाबी समाज है। इसके अलावा एससी 50 फीसदी, बीसी-ए 22 फीसदी और बीसी-बी पांच फीसदी है। करनाल में 1967 से लेकर 2019 तक कुल 13 चुनावों में बीजेपी को यहां पांच बार जीत मिली है।
अभय चौटाला ऐलनाबाद से तो दुष्यंत उचाना कलां से लड़ेंगे चुनाव
आईएनएलडी के दिग्गज नेता अभय चौटाला अपनी पसंदीदा सीट ऐलनाबाद से एक बार फिर से चुनावी मैदान में उतरेंगे। वहीं दुष्यंत चौटाला उचाना कलां से चुनाव लड़ सकते हैं। बांगर बेल्ट में उचाना कलां सीट की गिनती प्रदेश की सबसे हॉट सीटों में की जाती है। उचाना सीट जींद जिले में आती है और एक जाट बहुल सीट है। वहीं ऐलनाबाद सीट की बात करें तो यहां सबसे अधिक 54 फीसदी मतदाता सामान्य जाति के हैं और इसमें भी अकेले जाट समाज के लोगों का वोट 37 फीसदी है। पिछड़ा वर्ग के 24 फीसदी जबकि अनुसूचित जाति वर्ग के 22 फीसदी मतदाता हैं।
2019 में सबसे कम अंतर वाली सीटें कौन सी थीं?
बीते विधानसभा चुनाव में 1000 से कम अंतर वाली तीन सीटें थीं। ये सीटें थीं सिरसा, पुन्हाना और थानेसर। भाजपा, कांग्रेस और हरियाणा लोक हित पार्टी के खाते में एक-एक सीट गई थी।
सात सीटें ऐसी रहीं, जहां जीत का अंतर 1000 से 2000 वोटों के बीच था। इनमें से चार सीटों पर कांग्रेस जबकि तीन सीट पर भाजपा के उम्मीदवार जीते थे। ये सात सीटें थीं- रतिया (एससी), कैथल, रेवाड़ी, यमुनानगर, खरखौदा (एससी), मुलाना (एससी) और असंध।
कितनी सीटों पर जीत का अंतर 2000 से 5000 वोटों के बीच था?
पिछले चुनाव में 15 सीटें ऐसी रहीं जहां जीत का अंतर 2000 से 5000 वोटों के बीच था। इनमें से सात सीटों पर कांग्रेस, पांच सीटों पर भाजपा, दो सीटों पर जजपा और एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली थी। ये सीटें थीं बड़खल, राय हथीन, फतेहाबाद, होडल (एससी), नीलोखेड़ी (एससी), रादौर, रोहतक, फरीदाबाद एनआईटी, सफीदों, नूंह, गोहाना, बरोदा, बरवाला और गुहला (एससी)।
5,000 से 10,000 की बीच अंतर वाली सीटें कौन सी थीं?
2019 में हुए विधानसभा चुनाव की सात सीटें ऐसी रहीं जहां जीत का अंतर 5,000 से 10,000 वोटों के बीच था। इनमें से छह सीटों पर भाजपा जबकि बची हुई एक सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी को सफलता मिली थी।
2019 में सबसे कम अंतर से कौन जीता था?
बीते हरियाणा विधानसभा चुनाव में 1000 से कम अंतर वाली तीन सीटें थीं। सबसे कम अंतर वाली जीत सिरसा सीट पर हुई थी। यहां हरियाणा लोक हित पार्टी के गोपाल कांडा केवल 602 वोटों से चुनाव जीते थे। दूसरी सबसे कम अंतर वाली जीत गुरुग्राम जिले के पुन्हाना सीट पर मिली थी। यहां कांग्रेस के प्रत्याशी मोहम्मद इलियास 816 वोटों से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। वहीं तीसरी सबसे छोटी जीत कुरुक्षेत्र जिले की थानेसर सीट पर हुई थी। यहां भाजपा प्रत्याशी सुभाष सुधा को 842 वोटों से जीत मिली थी।
सबसे बड़ी जीत किसके खाते में गई थी?
पिछले विधानसभा चुनाव में पांच सबसे बड़ी जीतों की बात करें तो इनमें दो सीटें भाजपा और जजपा तो एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। सबसे बड़ी जीत करने वाले कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा थे। रोहतक जिले की गढ़ी सांपला-किलोई सीट से पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा 58,312 वोटों के अंतर से चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे। इसके बाद फतेहाबाद जिले की टोहना सीट से जजपा के देवेंदर बबली 52,302 वोटों से चुनाव जीते थे।
तीसरी सबसे बड़ी जीत पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के नाम रही थी। जींद जिले की उचाना कलां सीट से उतरे दुष्यंत 47,452 मतों से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।
चौथी सबसे बड़ी जीत हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नाम रही थी। करनाल सीट से उतरे भाजपा के मनोहर लाल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 45,188 मतों से हराया था।
पांचवीं सबसे बड़ी जीत भाजपा के मूलचंद शर्मा ने हासिल की थी। फरीदाबाद जिले की बल्लभगढ़ सीट पर मूलचंद 41,713 मतों से चुनाव जीते थे।