जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को होने वाले मतदान के लिए राजनीतिक सरगरमी बढ़ गई है। बीजेपी ने अपने 90 सीटों में से 67 पर उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में एक नाम ‘सुनील सांगवान’ ने सभी का ध्यान अपनी खींचा है। जी हां, यह वहीं हैं, जिसने जेलर रहते हुए, एक नहीं 6 बार फरलो पर रोहतक जिले की सुनारिया जेल में बंद गुरमीत राम रहीम सिंह को रिहा किया था। रहीम अपनी दो शिष्याओं से दुष्कर्म के आरोप में 22 साल की सजा काट रहा है।
बीजेपी ने पूर्व जेल अधिकारी सुनील सांगवान दादरी सीट से चुनावी रण में उतारा है। यह वही सीट है, जहां से पूर्व बीजेपी नेता सोमवीर सांगवान ने 2019 में बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय के रूप में जीत हासिल की थी। सोमवीर सांगवान उन तीन निर्दलीय विधायकों में से एक हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के मनोहर लाल खट्टर के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद कांग्रेस का समर्थन किया था। दादरी से टिकट मिलने की शर्त पर उनके कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है।
राम रहीम को पिछले महीने 21 दिन की रिहा किया गया था। पिछले चार सालों में यह उनकी 10वीं रिहाई थी। राजनीतिक पर्यवेक्षकों और सत्तारूढ़ बीजेपी के आलोचकों के लिए यह समय कोई आश्चर्य की बात नहीं है। रहीम की अस्थायी रिहाई ज्यादातर राज्य या स्थानीय निकाय चुनावों से कुछ दिन पहले हुई है। फरवरी- पंजाब चुनावों के दौरान 21 दिनों के लिए, जून- हरियाणा नगर निकाय चुनाव के दौरान एक महीने के लिए अक्टूबर- हरियाणा उपचुनावों के दौरान 40 दिनों के लिए। क्या होता है पैरोल? प्रिजन एक्ट 1894 में पैरोल का जिक्र है। पैरोल के अंतर्गत, इसके लिए कोई कारण होना जरूरी है। पैरोल को आम तौर पर बीमारी, मृत्यु, विवाह, संपत्ति विवाद, शिक्षा, या किसी अन्य पर्याप्त कारण के आधार पर दिया जाता है। हालांकि, पैरोल देने से इनकार भी किया जा सकता है। पैरोल देने वाला अधिकारी ये कहकर मना कर सकता है कि कैदी को छोड़ना समाज के हित में नहीं है। पैरोल की अवधि को कैदी की कुल सजा में गिना जाता है।