जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : आईएएस भी जब फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए बना जा सकता है तो अन्य नौकरियों की बात करना लगभग बेइमानी है। फर्जी प्रमाण पत्र के मामले में अब पटना एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. गोपाल कृष्ण पाल के बेटे डॉ. अरुप्रकाश पाल भी आ गए हैं। उनके खिलाफ गैर-क्रीमी लेयर ओबीसी प्रमाण पत्र में अनियमितता की शिकायतें मिली हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने फर्जी प्रमाण पत्र की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है।
जानकारी के अनुसार, शिकायतों में आरोप लगाए गए हैं कि डॉ. अरुप्रकाश पाल को ओबीसी (गैर-क्रीमी लेयर) प्रमाण पत्र जारी करने में अनियमितताएं की गई हैं। इस संदर्भ में मिली शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए मंत्रालय ने तत्काल कार्रवाई की है और एक समिति गठित की है, जो सभी तथ्यों और प्रमाणों की जांच करेगी। समिति इस मामले की गहनता से जांच करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता या नियमों का उल्लंघन न हुआ हो।
समिति को अपनी जांच पूरी कर एक सप्ताह के भीतर स्वास्थ्य मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। इस मामले को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि अनियमितता की शिकायतों को गंभीरता से लिया गया है और अगर कोई दोष पाया जाता है, तो उचित कार्रवाई की जाएगी। यह मामला वर्तमान में एम्स पटना और स्वास्थ्य मंत्रालय के उच्चाधिकारियों के ध्यान में है और इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।
जानकारी के मुताबिक, इससे पहले गोरखपुर और पटना AIIMS के डायरेक्टर डॉ. गोपाल कृष्ण पाल पर फर्जी OBC (नॉन-क्रीमी लेयर) प्रमाणपत्र बनवाकर अपने बेटे और बेटी को गोरखपुर और पटना AIIMS में नौकरी दिलाने के गंभीर आरोप लग चुके हैं। गोरखपुर AIIMS के सर्जरी विभाग के प्रमुख (HOD) डॉ. गौरव गुप्ता ने उनके खिलाफ गोरखपुर AIIMS पुलिस को शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि डायरेक्टर ने फर्जी OBC प्रमाणपत्र बनाकर अपने बच्चों को नियुक्ति दिलाई है।
डॉ. गौरव गुप्ता के अनुसार, डॉ. गोपाल कृष्ण पाल और उनका परिवार सामान्य वर्ग (ठाकुर) से आता है, लेकिन उन्होंने अपने बेटे अरुप्रकाश पाल और बेटी के लिए फर्जी OBC प्रमाणपत्र बनवाया। इस प्रमाणपत्र में उनकी पारिवारिक आय 80 लाख रुपये के बजाय केवल आठ लाख रुपये दर्शाई गई। उन्होंने आरोप लगाया कि इस फर्जीवाड़े में डॉ. गोपाल कृष्ण पाल, उनकी पत्नी प्रभाती पाल और उनका बेटा अरुप्रकाश पाल शामिल हैं। शिकायत में इन तीनों के खिलाफ FIR दर्ज कराने की मांग की गई है।
मामले की जांच के दौरान पता चला कि डॉ. गोपाल कृष्ण पाल ने अपने बेटे अरुप्रकाश पाल के लिए फर्जी OBC सर्टिफिकेट का उपयोग कर उसे गोरखपुर AIIMS में MD-PG कोर्स में दाखिला दिलाया। 27 अप्रैल, 2024 को अरुप्रकाश पाल ने AIIMS गोरखपुर के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में दाखिला लिया था। उन्होंने दानापुर, बिहार के पते से जारी OBC प्रमाणपत्र में अपनी पारिवारिक आय आठ लाख रुपये से कम दिखाई थी और नॉन-क्रीमी लेयर का शपथपत्र दिया था। जांच में यह पाया गया कि डॉ. गोपाल कृष्ण पाल और उनकी पत्नी प्रभाती पाल की संयुक्त सालाना आय 80 से 90 लाख रुपये है, जो कि OBC नॉन-क्रीमी लेयर की शर्तों के विपरीत है। जैसे ही यह फर्जीवाड़ा उजागर हुआ, उनके बेटे अरुप्रकाश पाल की नियुक्ति रद्द कर दी गई।
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि डॉ. गोपाल कृष्ण पाल ने अपनी बेटी को भी फर्जी OBC प्रमाणपत्र के जरिए पटना AIIMS के फॉरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट में सीनियर रेजिडेंट पद पर नियुक्ति दिलवाई थी। AIIMS पटना में सीनियर रेजिडेंट के पद के लिए जारी अधिसूचना में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि OBC नॉन-क्रीमी लेयर का प्रमाणपत्र एक वर्ष के भीतर का होना चाहिए। साथ ही, उम्मीदवारों के माता-पिता की सालाना आय आठ लाख से कम होनी चाहिए। हालांकि, डायरेक्टर की पारिवारिक आय OBC नॉन-क्रीमी लेयर की शर्तों से कई गुना अधिक पाई गई।
जैसे ही यह फर्जीवाड़ा सामने आया, अरुप्रकाश पाल की नियुक्ति को निजी कारणों का हवाला देते हुए रद्द कर दिया गया। AIIMS प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है। हालांकि, AIIMS के मीडिया प्रभारी अरूप मोहंती ने इन आरोपों को निराधार बताया और मामले को दबाने की कोशिश की, लेकिन यह विवाद तूल पकड़ता गया। फर्जी OBC सर्टिफिकेट के इस मामले ने गोरखपुर और पटना AIIMS दोनों जगहों पर हड़कंप मचा दिया। उसके बाद AIIMS प्रशासन इस मामले में FIR दर्ज कराने की प्रक्रिया में जुट गया।