जनजीवन ब्यूरो / चंडीगढ़: हरियाणा का महम विधानसभा क्षेत्र काफी अहम माना जाता है। महम ऐसी सीट है जिसका इतिहास खून से रंगा हुआ है। डिप्टी पीएम देवीलाल ने अपने बेटे और हरियाणा के सीएम ओमप्रकाश चौटाला के लिए सीट खाली की थी। इसके बाद चुनावों में भारी हिंसा हुई थी। कुछ बूथों पर जब दोबारा वोटिंग हुई तो फिर से हिंसा हुई। आयोग ने चुनाव रद्द कर दिया। इसके बाद फिर चुनाव घोषित किए गए लेकिन इस बार निर्दलीय उम्मीदवार अमीर चंद की हत्या हो गई।
महम विधानसभा सीट रोहतक संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती है। ये सीट वैसे तो करीब 15 साल तक कांग्रेस की गढ़ बनी हुई थी। आनंद सिंह डांगी ने 1991, 2005, 2009, 2014 में इस सीच से जीत हासिल की थी। हालांकि, साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी बलराज कुंडू ने बड़ा उलटफेर कर दिया और इस सीट को जीत लिया। वहीं, साल 1967 से ही आज तक भाजपा इस सीट पर खाता नहीं खोल सकी है। बलराज कुंडू ने एक बार फिर से इस सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
क्या है सीट का समीकरण?
महम एक सामान्य श्रेणी की विधानसभा सीट है जो रोहतक जिले की 9 विधानसभाओं में से एक है। महम विधानसभा में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 22 फीसदी है। महम में कुल मतदाताओं की संख्या करीब 1 लाख 80 हजार से भी ज्यादा है।
छोड़नी पड़ी थी सीएम की कुर्सी
ऐसा कहा जाता है कि वोट काटने ने के लिए अमीर चंद को चौटाला ने खड़ा किया था। वह आनंद सिंह दांगी के गांव के रहने वाले थे। हत्या का आरोप दांगी से लगा। जब पुलिस अरेस्ट करने पहुंची तो समर्थकों ने गोलियां चला दी। इसमें 10 लोगों की मौत हो गई। इस मामले ने तूल पकड़ा और फिर साढ़े महीने में ओम प्रकाश चौटाला को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। बनारसी दास को सीएम बनाया गया। चौटाला 51 दिन बार दबड़ा से जीतकर सीएम बन गए। महम कांड की छाया के चलते और वीपी सिंह के दबाव में उन्हें पांच दिन बाद फिर पद छोड़ना पड़ा। इस बार मास्टर हुकुम सिंह फोगाट सीएम बने। आखिर में 1991 में महम में चुनाव हुआ और फिर आनंद सिंह दांगी ही जीते।
तीन दशक बाद भी संवेदनशील सीट
महम में तीन दशक पहले हुई घटना के बाद यह सीट चर्चा में रहती है। 2024 के चुनावों में एक बार फिर सीट पर सभी की नजरें लगी हुई हैं कि कौन जीतेगा? कांग्रेस ने आनंद सिंह दांगी के बेटे बलराम दांगी पर दांव खेला है तो वहीं बीजेपी ने कबड्डी खिलाड़ी दीपक हुड्डा को उतारा है। इस सब के बीच हरियाणा के अमीर नेताओं में शामिल और पिछले चुनाव में निर्दलीय जीते बलरार कुंडू भी चुनाव मैदान में हैं। वे अपने खुद के दल हरियाणा जनसेवक पार्टी से मैदान में हैं। 2019 के चुनावों में कुंडू ने 12,047 वोटों से आनंद सिंह डांगी को शिकस्त दी थी। तब बीजेपी ने शमशेर खरखड़ को टिकट दी थी। वह तीसरे नंबर पर रहे थे और उन्होंने 36 हजार वोट हासिल किए थे।
बेटे पर खेला है दांव
2024 के चुनावों में चार बार विधायक रहे आनंद सिंह दांगी ने अपने बेटे बलराम दांगी को मैदान में उतारा है, उनका मुकाबला बीजेपी के दीपक हुड्डा और हरियाणा जनसेवक पार्टी के कैंडिडेट बलराज कुंडू से माना जा रहा है लेकिन महम के चुनावी दंगल को शमशेर खरकड़ा की पत्नी राधा अहलावत रोचक बना रही हैं। अबकी बार राधा पार…नारे के साथ चुनावी समर में कूदी राधा अहलावत वोट मांग रही हैं, तो वहीं पिछली बार जीते बलराज कुंडू हम मिलकर बदलेंगे महम के हालात का नाम नारा बुलंद कर रहे हैं। बलराम दांगी आपका सम्मान मेरा अभियान कैंपेन से समर्थन मांग रहे हैं। रोहतक जिले में आने वाली इस सीट पर भूपेंद्र हुड्डा का अच्छा प्रभाव माना जाता है अब देखना है कि इस बार महम में कौन बाजी मान
कौन हैं राधा अलहावत?
राधा अहलावत पहले बीजेपी में रहे शमशेर खरकड़ा की पत्नी हैं। इस बार बीजेपी ने शमशेर को टिकट नहीं दिया है तो राधा अहलावत इनेलो और बसपा गठबंधन की उम्मीवार हैं। राधा अहलावत पेशे से कोच रही हैं। जब हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) की सरकार थी तब वह उनकी अभय सिंह चौटाला से काफी नजदीकी थी। वह उस वक्त पर खेलों को बढ़ावा देने के लिए काम करती थीं। हरियाणा की इस सीट पर अभी तक कमल नहीं खिला है। अब देखना यह है कि इस सीट कांग्रेस की कब्जा होता है या फिर बीजेपी और निर्दलीय के हाथ में बाजी जाती है। ताऊ देवीलाल की सीट रही महज के मुकाबले को राधा अहलावत ने काफी रोचक बना दिया है। इस सीट से पूर्व डिप्टी पीएम देवीलाल भी तीन विधायक रहे हैं।